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मंदिरों में धूमधाम से मनाई दुर्गा अष्टमी: सुबह से ही भक्तों की उमड़ी भीड़, जयकारों से गूंजता रहा इलाका

सन्हौली निवासी धर्मवीर सिंह ने डांडिया के विजेता को पुरस्कृत किया

डुमरिया बुजुर्ग गांव में कलश पूजन का विशेष महत्व, नौ स्वरूप में दिखतें है कलश

खगड़िया. मंगलवार को मां दुर्गा अष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया गया. लोगों ने मंदिरों में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हुए घरों में कन्याओं का भोजन करवाया. श्रद्धालुओं ने कन्याओं को हलवा-पुड़ी, खीर छोले का प्रसाद खिलाते हुए उपहार भी दिये. शहर के सन्हौली दुर्गा मंदिर में देर रात डांडिया कार्यक्रम का आयोजन किया गया. सन्हौली निवासी धर्मवीर सिंह ने डांडिया के विजेता को पुरस्कृत किया. बताया जाता है कि डेंजर डांस व रॉक स्टार डांस ग्रुप के बच्चों ने डांडिया प्रस्तुत किया. मंदिरों के बाहर प्रसाद व चुनरी की दुकानों पर भी भीड़ रही. मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. भक्तों ने ज्योति लेकर प्रसाद श्रृंगार की वस्तुएं मां के चरणों में अर्पित की, साथ ही आरती कर सदा आशीर्वाद बनाए रखने की प्रार्थना की. अष्टमी की पूजा करने वाले भक्तों ने नवरात्र का व्रत खोल प्रसाद ग्रहण किया. वहीं घरों में मीठे व्यंजन भी बनाए गये.

कुंवारी कन्या के हंसने से आती हैं खुशहाली, छोटी कन्याएं देंगी बुजुर्गों को आशीष

परबत्ता के सिद्ध पीठ श्री चतुर्भुजी दुर्गा मंदिर बिशौनी मंदिर में परंपरागत श्रद्धा के साथ कुंवारी कन्या का पूजन होगा. इस पूजा का विशेष महत्व है जो यहां वर्षों से चली आ रही है. शारदीय नवरात्र में कुंवारी कन्या पूजन का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा ने कुंवारी कन्या के रूप में ही अवतार लिया था. जो सर्वशक्तिमान है. शारदीय नवरात्र में कुंवारी कन्या पूजा करने तथा भोजन ग्रहण कराने से भक्तों को विशेष आशीर्वाद मिलता है. श्री चतुर्भुजी दुर्गा मंदिर बिशौनी में बीते 40 वर्षों से पूजा के माध्यम से मां की सेवा करते आ रहे पंडित प्राणमोहन कुंवर एवं पंडित मनोज कुंवर बताते हैं कि आठ वर्ष से कम उम्र की कुंवारी कन्या को भगवती के रूप में पूजा जाता है. मां भगवती की कृपा उनके ऊपर विराजमान रहती है. नौवीं पूजा को दर्जनों कुंवारी कन्याओं की पूजा मां भगवती के सामने होती है. भक्तजन अपनी चिन्हित कन्याओं को नये वस्त्रों तथा श्रृंगार से सुशोभित कर मंदिर में लेकर आते हैं. मंदिर में इन कन्याओं को कतार में बिठाकर उनके पैरों पर फूल और जल चढाकर उनकी पूजा की जाती है.

हंसती है कन्याएं

कुंवारी कन्या पूजन के अंतिम क्षणों में उपस्थित महिला पुरुष भक्तजन हाथ जोड़कर कुंवारी कन्या से हंसने को विनती करते हैं. दुर्गारुपी कुंवारी कन्या भक्तों की विनती को स्वीकार कर हंस पड़ती हैं. वहां उपस्थित दो दर्जन से अधिक कुंवारी कन्याओं की हंसी से मंदिर परिसर और भी भक्तिमय हो जाता है. इन कन्याओं से आशीर्वाद लेने की होड़ सी लग जाती है. छोटी छोटी बच्चियों द्वारा बुजुर्गों के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद देते देखना एक अविस्मरणीय प्रसंग के रूप में स्मृति में समाती है. प्रत्येक व्यक्ति आशीष लेकर ही घर लौटते हैं.

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