गोगरी. ठंड की शुरुआत के साथ ही बच्चों और बुजुर्गों में बुखार, खासकर मियादी बुखार या टाइफाइड के मामले बढ़ सकते हैं. गोगरी अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ चंद्र प्रकाश का कहना है कि मियादी बुखार दूषित पानी और भोजन से फैलता है. जिससे साल्मोनेला टाइफी नामक जीवाणु शरीर में प्रवेश करता है. यह किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह अधिक हानिकारक हो सकता है. बुखार जैसे लक्षणों के प्रति समय पर सजग होकर, समय से उपचार कर इस संक्रमण को गंभीर होने से बचाया जा सकता है. अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर चंद्र प्रकाश ने बताया कि मियादी बुखार के लक्षण कोरोना संक्रमण जैसे हो सकते हैं. इसमें लगातार तेज बुखार, कमजोरी, पेट और सिर दर्द, भूख में कमी, त्वचा पर चकत्ते या गुलाबी धब्बे शामिल हैं. लक्षण दिखने पर बुखार एक सप्ताह या उससे अधिक समय तक रह सकता है. इस बीमारी में लापरवाही से मरीज को बेहोशी भी हो सकती है, जो बच्चों के लिए विशेष रूप से घातक साबित हो सकता है. ऐसे में समय रहते चिकित्सकीय परामर्श अवश्य लें. स्वस्थ जीवन के लिए शुद्ध पेयजल और पौष्टिक आहार आवश्यक हैं. संतुलित आहार से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. चिकित्सक कहते हैं कि बच्चों के भोजन में हरी सब्जियां, मौसमी फल, दूध और डेयरी उत्पाद, अंडा, मांस, मछली, और अंकुरित अनाज को शामिल करें. इसके अलावा, विटामिन-सी युक्त खट्टे फल जैसे नींबू और संतरा का सेवन भी करें. मियादी बुखार में शरीर में पानी की कमी हो सकती है, इसलिए शुद्ध पेयजल, नारियल पानी, और नींबू पानी जैसे प्राकृतिक पेय पदार्थों का नियमित सेवन करें.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

