21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

संध्या में तोड़े गये फूल से सुबह में होती है पूजा

खगड़िया : मिथिला संस्कृति का महान पर्व मधुश्रावणी पूजा श्रद्धा व भक्ति के साथ नवविवाहिता मना रही हैं. पांच अगस्त तक चलने वाली इस पूजा से नवविवाहिता के आसपास का माहौल भक्ति मय बना हुआ है. सदियों से ब्राह्मण समाज की नवविवाहिता इस पूजन को श्रद्धा,भक्ति व हर्षोल्लास के साथ मनाते आ रहे हैं. इस […]

खगड़िया : मिथिला संस्कृति का महान पर्व मधुश्रावणी पूजा श्रद्धा व भक्ति के साथ नवविवाहिता मना रही हैं. पांच अगस्त तक चलने वाली इस पूजा से नवविवाहिता के आसपास का माहौल भक्ति मय बना हुआ है. सदियों से ब्राह्मण समाज की नवविवाहिता इस पूजन को श्रद्धा,भक्ति व हर्षोल्लास के साथ मनाते आ रहे हैं. इस पूजन में संध्या के समय तोड़े गये फूल से सुबह में पूजा की जाती है. संध्या के समय नवविवाहिता अपने सखी सहेलियों के

साथ एक समूह बनाकर पूजन के लिए बांस के डाली में फूल तोड़ती हैं. साथ में महिलाएं गीत गातीं हैं. 24 जुलाई को पूजा प्रारंभ हुआ और पांच अगस्त तक चलेगी. लगातार 13 दिनों तक नवविवाहिता अपने ससुराल का अरवा भोजन करती हैं. तपस्या के समान यह पर्व पति की दीर्घायु के लिए हैं. नवविवाहिता के ससुराल पक्ष से विधि विधान में कोई कसर नहीं होने देते हैं. पूजा के अंतिम दिन नवविवाहिता के ससुराल पक्ष से काफी मात्रा में पूजन की सामग्री,

कई प्रकार के मिष्ठान, नये वस्त्र के साथ पांच बुजुर्ग लोग आशीर्वाद देने के लिए पहुंचते हैं. नवविवाहिता ससुराल पक्ष के बुजुर्ग लोगों से आशीर्वाद पाकर ही पूजा समाप्त करती हैं. मधुश्रावणी पूजा के अंतिम दिन कई विधि विधान तरीके से पूजन का कार्य किया जाता हैं.

सुबह शाम महिलाएं समूह बनाकर घंटों गीत गाती है. लगातार 13 दिनों तक पूजा स्थल पर नवविवाहिता की देखरेख में अखंड दीप प्रज्वलित रहती हैं. कथा वाचिका प्रत्येक दिन नवविवाहिता को मधुश्रावणी व्रत कथा सुनाती हैं. पूजा के समय नवविवाहिता नये वस्त्र में आभूषण से सुसज्जित होकर कथा श्रवण के साथ पूजा-अर्चना कर रही हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें