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आरोपी लिपिक पर की मेहरबानी

खुलासा. आरा तबादला होकर गये तत्कालीन सीएस के कारनामे की खुल रही पोल स्वास्थ्य विभाग में सरकारी राशि की हेराफेरी से जुड़े एक मामले में तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ रासबिहारी सिंह द्वारा लिये फैसले सवालों के घेरे में है. पूरा मामला वर्ष 2006-07 से चला आ रहा है, जो सीएस कार्यालय में सरकारी राशि की […]

खुलासा. आरा तबादला होकर गये तत्कालीन सीएस के कारनामे की खुल रही पोल

स्वास्थ्य विभाग में सरकारी राशि की हेराफेरी से जुड़े एक मामले में तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ रासबिहारी सिंह द्वारा लिये फैसले सवालों के घेरे में है. पूरा मामला वर्ष 2006-07 से चला आ रहा है, जो सीएस कार्यालय में सरकारी राशि की हेराफेरी से जुड़ा हुआ है.
खगड़िया : ऑडिट टीम की आपत्ति व थाना में दर्ज प्राथमिकी, डीएम के आदेश सहित कई सीएस व अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों की आपत्ति को दरकिनार कर तत्कालीन सीएस डॉ रासबिहारी सिंह ने क्षेत्रीय स्वास्थ्य उपनिदेशक को पत्र भेज कर कार्यालय के तत्कालीन लिपिक ज्योतिष ठाकुर को लगे आरोप को विलोपित करने के लिए अनुशंसा की है. इधर, सरकारी राशि की हेराफेरी सहित कई आरोपों के घेरे में आये लिपिक पर मेहरबानी की चर्चा जोरों पर है.
गोलमाल है भाई … सब गोलमाल है : आरा तबादला होकर गये तत्कालीन सीएस डॉ रासबिहारी सिंह के कारनामे धीरे-धीरे सामने आने लगे हैं. वर्ष 2006-07 में ऑडिट टीम की आपत्ति व पूर्व के सीएस के फैसले को दरकिनार करते हुए आरोप के घेरे में आये लिपिक ज्योतिष ठाकुर को बचाने के लिए तत्कालीन सीएस ने क्षेत्रीय स्वास्थ्य उपनिदेशक को पत्र भेज दिया, जबकि वर्ष 2015 में इस लिपिक पर कार्रवाई के लिए तत्कालीन सीएस ने सरकार के उपसचिव से कार्रवाई की अनुशंसा भी की है.
साथ ही पैसा जमा करने में आनाकानी के कारण उक्त लिपिक पर चित्रगुप्त नगर थाना में प्राथमिकी भी दर्ज करवायी गयी है. इसके अलावा डीएम से लेकर कई अधिकारियों ने इस लिपिक की कार्यशैली पर प्रतिकूल टिप्पणी भी की है. पूरे प्रकरण में तत्कालीन सीएस द्वारा उठाये गये कदम की चर्चा जोरों पर है. जितनी मुंह उतनी बातें सामने आ रही है. हालांकि इस मामले में तत्कालीन सीएस डॉ रासबिहारी सिंह ने पत्र भेजने के प्रकरण में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी से इनकार किया है.
क्या है पूरा मामला : वर्ष 2006-07 में सीएस कार्यालय के कागजात की जांच के दौरान ऑडिट टीम ने रोकड़ पंजी व बैंक की राशि में 1,23,345 रुपये का अंतर पाया. इसका कोई विवरणी (नकद राशि, चेक या ड्राफ्ट) कार्यालय में लिपिक ने उपस्थापित नहीं किया. बाद में सीएस कार्यालय के आरोपी रोकड़पाल व लिपिक ज्योतिष ठाकुर (वर्तमान में एसीएमओ कार्यालय में कार्यरत) ने कार्रवाई के डर से 30, 520 रुपये विभाग को लौटा भी दिया,
लेकिन बाकी की राशि लौटाने में आनाकानी को देखते हुए तत्कालीन सीएस डॉ अजय प्रताप ने स्थानीय थाना में लिपिक ज्योतिष ठाकुर पर प्राथमिकी कांड संख्या 365/09 दर्ज करवायी थी. इस पूरे प्रकरण में उस वक्त के सीएस ने 13.08.2015 को सरकार के उपसचिव को पत्र भेजकर लिपिक समेत तीन स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा भी की है, लेकिन हाल में तबादला होकर आरा गये सीएस डॉ रासबिहारी सिंह ने पूरे मामले में लीपापोती करते हुए मामले में क्षेत्रीय स्वास्थ्य उपनिदेशक को पत्र भेजकर दोषी कर्मचारियों को एक तरह से बचाने की पूरी कोशिश की है. उनके इस फैसले पर कई सवाल उठ खड़े हुए हैं.
डीएम ने भी लिपिक की कार्यशैली पर जतायी थी आपत्ति
21 जून 2012 को तत्कालीन डीएम ने सीएस को पत्र भेज कर लिपिक ज्योतिष ठाकुर के क्रियाक्लाप पर आपत्ति जतायी थी. डीएम ने पत्र में कहा है कि लिपिक द्वारा वित्तीय अनियमितता एवं कई गंभीर आरोप के कारण पूर्व सीएस ने उन्हें निलंबित भी किया है. ऐसे में उक्त लिपिक से लेखा व अन्य कार्य कराना उचित नहीं है. उनके पदस्थापन से पुन : वित्तीय अनियमितता की आशंका है. ऐसे में अगर जिला मुख्यालय में ऐसे लिपिक की पदस्थापना के बाद पुन: वित्तीय अनियमितता व दूसरी गड़बड़ी सामने आती है तो इसकी सारी जवाबदेही आपकी (सीएस) सारी जबावदेही होगी.
मामला स्वास्थ्य विभाग में सरकारी राशि की हेराफेरी के आरोपी कर्मचारियों को कार्रवाई से बचाने का
ऑडिट टीम ने सीएस ऑफिस के रोकड़ पंजी की जांच में 1,23,345 रुपये के गोलमाल का किया खुलासा
आरोपी लिपिक ने 30, 520 रुपये विभाग को लौटाया, बाकी 92,525 रुपये देने को तैयार नहीं
बीते दिनों पिछले दरवाजे से खेल के सहारे गड़बड़ी के आरोपी स्वास्थ्यकर्मी को बचाने का हुआ खेल
पूरे प्रकरण में तत्कालीन सीएस ने आरोपी लिपिक पर थाने में दर्ज प्राथमिकी को भी कर दिया दरकिनार
दुर्भावना से ग्रसित होकर मेरे खिलाफ गलत रिपोर्ट कर फंसाने की कोशिश हुई है. इसमें कोई सच्चाई नहीं है. सारे आरोप मनगढंत हैं. उच्चाधिकारियों के दबाव में वह 30, 520 रुपये विभाग को लौटाये थे. ऑडिट टीम की आपत्ति के आलोक में तत्कालीन सीएस डॉ रासबिहारी सिंह ने क्षेत्रीय स्वास्थ्य उपनिदेशक को पत्र भेज कर आरोप विलोपित करने की अनुशंसा की है.
ज्योतिष ठाकुर, तत्कालीन रोकड़पाल, सीएस कार्यालय.
अभी मुझे इस मामले की जानकारी नहीं है. पूरे प्रकरण की रिपोर्ट व अद्यतन स्थिति देखने के बाद ही वह कुछ कह सकते हैं.
डॉ अरुण कुमार सिंह, सीएस,

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