परेशानी. फसलों की सिंचाई अब अपने या भगवान भरोसे
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नलकूपों की स्थिति खराब
परेशानी. फसलों की सिंचाई अब अपने या भगवान भरोसे खरीफ फसल की सिंचाई या तो भगवान भरोसे है या फिर किसानों को अपने दम पर करनी पड़ेगी. अगर इंद्र देवता की मेहरवानी हुई तो मुफ्त में किसानों के फसलों की सिंचाई होगी. अगर बारिश नहीं हुई तो इन्हें अपने दम पर फसलों को सूखने से […]
खरीफ फसल की सिंचाई या तो भगवान भरोसे है या फिर किसानों को अपने दम पर करनी पड़ेगी. अगर इंद्र देवता की मेहरवानी हुई तो मुफ्त में किसानों के फसलों की सिंचाई होगी. अगर बारिश नहीं हुई तो इन्हें अपने दम पर फसलों को सूखने से बचाने के लिए सिंचाई करनी पड़ेगी. जिससे इन्हें नुकसान होगा.
खगड़िया : निजी नलकूपों से सिंचाई करने में किसानों की काफी जेब ढीली करनी पड़ेगी. सरकारी नलकूपों की स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि जिले के किसान इन नलकूपों से अपने फसलों की बुआई कर सके. जिले में नलकूपों की संख्या 164 है. जिसमें राजकीय नलकूप की संख्या 139 जबकि नाबार्ड नलकूपों की संख्या 25 है. जिसमें से अधिकांश नलकूप हाथी का दांत बनकर रह गया है जो कि सिर्फ अवस्थित है.
खराब रहने के कारण इनसे पानी नहीं निकल पा रहा है. विभागीय आंकड़ों के अनुसार 99 नलकूप बंद पड़े हैं. जिसमें से 79 नलकूप खराब बताये जाते हैं. जबकि विद्युत दोष की वजह से 20 नलकूप बंद पड़े हैं. हैरानी की बात तो यह है कि ये नलकूप हाल के दिनों में नहीं बल्कि कई वर्षों से बंद पड़े हुए हैं.
लेकिन अभी तक किसी भी अिधकारी का ध्यान नहीं दिया गया. जिला स्तर पर आयोजित समीक्षात्मक बैठक में हर बार विभागीय अभियंता को बंद पड़े नलकूपों को चालू कराने तथा विद्युत दोष के कारण बंद पड़े नलकूपों तक विद्युत की आपूर्ति करने का निर्देश विभाग के अभियंताओं को दिया जाता रहा है.
कम हुई है बारिश, बिचड़े बुआई में हो रही परेशानी
दो दिनों शुक्रवार की हुई बारिश को छोड़ दिया जाय तो इस जिले में काफी कम बारिश हुई है. जिस कारण किसानों को धान के बिचड़े बुआई करने में काफी परेशानी हुई हैं. किसानों को ऊंचे दामों पर निजी पंपसेटों से पटवन कर धान के बिचड़े बोने पड़े है. अगर आगे भी बारिश की स्थिति यही रही तो धान के पौधे की बुआई से लेकर इसके सिंचाई तक की व्यवस्था किसानों को स्वयं करनी पड़ेगी. जिसमें उनके काफी रुपये खर्च होंगे.
विभागीय आंकड़ों के अनुसार एक जून से 13 जुलाई तक 339.78 मिली मीटर वर्षापात का अनुमान था लेकिन इसके विरुद्ध आधे से भी कम यानी 143.42 मिली मीटर बारिश ही इस जिले में हुई है. आंकड़े बताते हैं कि इस अवधि के दौरान वर्ष 2014 -2015 में यह आंकड़ा इन वर्षों से अधिक यानी 290.00 मिली मीटर था. पिछले दो वर्षों से भी कम कम बारिश इस वर्ष हुई है. पहले से नलकूपों की बदतर स्थिति अब मौसम की बेरूखी ये दोनों ही किसानों की कमर तोड़ने वाली है.
खराब पड़े नलकूपों को नहीं किया गया ठीक
विभागीय उदासीनता के कारण वर्षों से खराब पड़े नलकूपों को अबतक ठीक नहीं कराया जा सका है. जिसका नुकसान जिले के किसानों को उठाना पड़ राह है. सरकारी नलकूप खराब रहने तथा इसकी संख्या काफी कम रहने के कारण यहां के किसानों को ऊंचे दामों पर निजी नलकूपों के द्वारा अपने फसलों की सिंचाई करनी पड़ती है. हालांकि विभागीय अभियंता के द्वारा यह बताया गया हैं कि 87 खराब नलकूपों को ठीक कराने का प्रस्ताव उच्च पदाधिकारी के पास भेजा गया है.
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