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भ्रष्टाचार की आग में झुलस रही जनता
भ्रष्टाचार की आग ने आम जनता का जीना मुहाल कर रखा है. चाहे सरकारी अस्पताल हो या सदर अस्पताल, शिक्षा विभाग के कार्यालय हो या सरकारी स्कूल, समाजिक सुरक्षा पेंशन हो या सार्वजनिक वितरण प्रणाली… कहीं एमडीएम का चावल बेचते गुरुजी पकड़े जा रहे हैं तो ग्रामीण इलाकों के स्कूलों का ताला तक नहीं खुल […]
भ्रष्टाचार की आग ने आम जनता का जीना मुहाल कर रखा है. चाहे सरकारी अस्पताल हो या सदर अस्पताल, शिक्षा विभाग के कार्यालय हो या सरकारी स्कूल, समाजिक सुरक्षा पेंशन हो या सार्वजनिक वितरण प्रणाली… कहीं एमडीएम का चावल बेचते गुरुजी पकड़े जा रहे हैं तो ग्रामीण इलाकों के स्कूलों का ताला तक नहीं खुल रहा है. हाल के दिनों में भ्रष्टाचार व गड़बड़ी के ऐसे दर्जनों मामले उजागर हो चुके हैं, लेकिन एक दो मामलों को छोड़ दे तो अधिकांश मामले की लीपापोती कर दी गयी.
खगड़िया : भ्रष्टाचार की आग ने आम जनता का जीना मुहाल कर रखा है. चाहे सरकारी अस्पताल हो या सदर अस्पताल, शिक्षा विभाग के कार्यालय हो या सरकारी स्कूल, समाजिक सुरक्षा पेंशन हो या सार्वजनिक वितरण प्रणाली… कहीं एमडीएम का चावल बेचते गुरुजी पकड़े जा रहे हैं तो ग्रामीण इलाकों के स्कूलों का ताला तक नहीं खुल रहा है.
फर्जी प्रसव से लेकर बंध्याकरण दिखा कर सरकारी राशि का गोलमाल किया जा रहा है. स्थिति यह है कि स्वास्थ्यकर्मियों की ट्रेनिंग में फर्जी हाजिरी के नाम पर भोजन की राशि का गोलमाल तक कर लिया जाता है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ स्पष्टीकरण का दिखावा किया जा रहा है. हाल के दिनों में भ्रष्टाचार व गड़बड़ी के ऐसे दर्जनों मामले उजागर हो चुके हैं, लेकिन एक दो मामलों को छोड़ दे तो अधिकांश मामले की लीपापोती कर दी गयी. कई मामलों को जांच के नाम पर लीपापोती की कोशिश जारी है. सबसे खास्ता हाल स्वास्थ्य व शिक्षा विभाग का है.
इन दोनों विभागों में जहां भी अधिकारी हाथ डाल रहे हैं वहीं गड़बड़ी सामने आ रही है, लेकिन कार्रवाई के अभाव में गड़बड़ी का सिलसिला बदस्तूर जारी है. डीएम जय सिंह ने जिले का कार्यभार संभालने के बाद भ्रष्टाचार के मामलों को कड़ाई से निबटने का एलान किया है.
डीएम जय सिंह की प्राथमिकता सूची में समाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य व शिक्षा क्षेत्र को सुधार कर सरकारी योजनाओं को जरूरतमंद तक पहुंचाना है, लेकिन खगड़िया में इन तीनों विभागों की हालत बहुत नाजुक है. स्थिति यह है कि पैसों के बल पर गड़बड़ी पर परदा डाल दिये जा रहे हैं. अस्पताल में मरीजों को दवा देने में आनाकानी के कारण हर वर्ष लाखों रुपये की दवा एक्सपायर हो रही है. जिसे ठिकाने लगाने के लिए तरह-तरह के तिकड़म किये जा रहे हैं. अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी अनजान बने हुए हैं.
कमरे सील किये जाते हैं, लेकिन रातों-रात सील से छेड़छाड़ कर लाखों की दवा ठिकाने लगा दिये जाते हैं. अधिकारी जांच तक करना मुनासिब नहीं समझते हैं. अवैध उगाही की मांगें पूरी नहीं किये जाने पर मरीज को तड़पते छोड़ दिया जाता है. शिक्षा विभाग के अधिकारी विभिन्न स्कूलों की जांच में गड़बड़ी उजागर होती है, लेकिन कार्रवाई नहीं होने से सुधार नहीं हो पा रहा है. वृद्धावस्था पेंशन में भी कमीशन की वसूली हो रही है. सार्वजनिक वितरण प्रणाली में गोलमाल का सिलसिला जारी है. सरकारी अनाज गरीबों तक पहुंचना आसान नहीं है.
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