हद है! बिना सीढ़ी के ही बना दिया दो मंजिला भवन वाला विद्यालय प्राथमिक विद्यालय बलुआही में शिक्षा विभाग के इंजीनियर की मिलीभगत से हुआ यह कारनामा ——— बिना सीढ़ी के बने दो मंजिले भवन का नक्शा व मापी पुस्तिका इंजीनियर ने कैसे कर दिया पास ———————विद्यालय में नाम के थे पांच प्रतिनियोजित सहित आठ शिक्षक, घर बैठे गुरुजी उठा रहे थे वेतन —————कुल 50 बच्चे विद्यालय में नामांकित, 16 बच्चों पर एक कमरा का निर्माण कर सरकारी राशि की बंदरबांट ——————–भवन निर्माण की संचिका की खोज जारी, सर्व शिक्षा अभियान के तत्कालीन अभियंता पर कस सकता है शिकंजा ————————-डीडीसी, एसडीओ व बीइओ के निरीक्षण में प्राथमिक विद्यालय बलुआही में बड़े पैमानेक पर गड़बड़ी का हुआ खुलासा ————-एमडीएम बंद होने के बाद बच्चों ने भी स्कूल आना किया बंद, वितरण शुरू कराने में विभाग ने नहीं ली दिलचस्पी —————-पोशाक, छात्रवृति आदि योजनाओं की राशि निकालने में कोई देरी नहीं लेकिन बच्चों के बीच वितरण पर संदेह —————बिना विद्यार्थी के संचालित इस विद्यालय में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के संरक्षण में हो रहा था सारा खेल —————-निरीक्षण कर चले जाते थे अधिकारी लेकिन नहीं होती थी कार्रवाई, एसडीओ के निरीक्षण बाद कसा शिकंजा —————-डीएम की कड़ाई बाद मजबूर होकर डीइओ ने प्रतिनियुक्ति रद करने का जारी किया फरमान —————–प्राथमिक विद्यालय बलुआही के प्रधानाध्यापक पर नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज, छानबीन शुरू ————————————-एसडीओ के निरीक्षण के दौरान पूरा मामला संज्ञान में आने के बाद बिना सीढी के प्राथमिक विद्यालय बलुआही में दो मंजिला भवन बनाने के प्रकरण की जांच का निर्देश डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान को दिया गया है. इस तरह के कारनामे में तत्कालीन अभियंता की भूमिका संदेह के घेरे में है. जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषी पर कार्रवाई की जायेगी. – डॉ ब्रज किशोर सिंह, डीइओ. ————–प्राथमिक विद्यालय बलुआही में बिना सीढी के ही दो मंजिला भवन बना कर लाखों रुपये का बंदरबांट कर लिया गया. अब इस बात की जांच की जा रही है कि आखिर भवन निर्माण के नक्शे में सीढी था कि नहीं? अब आप ही बताइये बिना सीढी के उपरी मंजिल पर बने कमरे तक बच्चे पहुंचेंगे कैसे? इस बात की चर्चा जोरों पर है आखिर बिना सीढी के दो मंजिले भवन के निर्माण का क्या औचित्य है. मात्र 50 बच्चे नामांकित बच्चों के लिये 14 कमरा बनाने के पीछे सरकारी राशि की बंदरबांट की आशंका जतायी जा रही है. पूरे खेल पर से परदा हटने के बाद डीएम ने इसे गंभीरता से लेते हुए भवन निर्माण से जुड़ी फाइल तलब की है. इधर, स्कूल के प्रधानाध्यापक पर प्राथमिकी के बाद तत्कालीन अभियंता पर शिंकजा कसे जाने की तैयारी है. प्रतिनिधि4खगड़िया पैसों के लिये शिक्षा विभाग में नियम कायदे ताक पर रख कर काम करने से भी अधिकारी गुरेज नहीं करते हैं. स्थिति यह है कि कहीं सरकारी स्कूल में पेड़ के नीचे पढाई हो रही है तो किसी जगह लाखों की लागत से दो मंजिला भवन बना कर भाड़ा पर लगाया जा रहा है. प्राथमिक विद्यालय बलुआही के निरीक्षण में शिक्षा विभाग की सच्चाई सामने आने के बाद विभागीय अधिकारी कटघरे में हैं. यहां बिना सीढ़ी के ही दो मंजिला भवन बना दिया गया. इंजीनियर ने भी नक्शा से लेकर सारी तकनीकी मंजूरी देते हुए नया करनामा कर दिया. जाहिर है शिक्षा विभाग के अधिकारी भी इस अनूठे भवन के बारे में जानते होंगे तो उन्होंने इंजीनियर पर क्यों नहीं पूछा कि आखिर बिना सीढ़ी के बने भवन कैसे बन गया? करीब 14 लाख की लागत से बने नये भवन के उपरी मंजिल में सीढी नहीं रहने के कारण बच्चे का पहुंचना मुमकिन नहीं था. शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से पैसे की निकासी वर्षो पहले कर ली गयी. डीडीसी व एसडीओ के निरीक्षण के बाद पूरा सच सामने आने के बाद प्राथमिक विद्यालय बलुआही के प्रधानाध्यापक शशि भूषण कुमार पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी विजय कुमार पासवान ने नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी है. भाड़े पर लगाया या जबरदस्ती रहते थे नेताजी बताया जाता है कि अनुपयोगी हो रहे विद्यालय के ऊपरी मंजिल के सभी कमरों को भाड़े पर लगा दिया गया. परदे के पीछे का सच बाहर आने के बाद तरह तरह के चर्चे हो रहे हैं. करीब चार दिन पहले एसडीओ ने निरीक्षण के दौरान कब्जाधारी नेताजी को बाहर का रास्ता दिखाया. अब प्राथमिकी की तैयारी की जा रही है. बताया जाता है कि शहर के बीचों-बीच स्थित इस विद्यालय का हर महीने शिक्षा विभाग के अधिकारी निरीक्षण करते रहे लेकिन थैली के वजन में सारी गड़बड़ी दबी रही. प्रधानाध्यापक बताते हैं कि उपरी मंजिल पर जबरदस्ती कब्जा किया गया था. जब उनसे पूछा गया कि इसकी सूचना वरीय पदाधिकारियों को क्यों नहीं दी तो वह टाल गये. इस मामले में डीएम ने तत्काल प्राथमिकी का निर्देश दिया गया था लेकिन आदेश पर अमल हुआ या नहीं यह अधिकारी नहीं जानते हैं. इसका मतलब समझा जा सकता है. ————————–एमडीएम बंद होते ही बच्चे अनुपस्थित करीब एक साल पहले प्राथमिक विद्यालय बलुआही में मध्याह्न भोजन वितरण बंद होने के बाद धीरे धीरे बच्चों ने भी विद्यालय आना बंद कर दिया. प्रधानाध्यापक ने अकेले एमडीएम संचालन से हाथ उठाते हुए विभाग को रिपोर्ट कर दिया. विभाग ने भी एमडीएम चालू करवाने में कोई दिलचस्पी नहीं ली. इधर, विद्यालय में विद्यार्थी नहीं आने के कारण गुरुजी भी गायब रहने लगे. बताया जाता है कि महीनों से अधिकांश शिक्षक घर बैठे वेतन उठाते रहे हैं. विभागीय अधिकारियों के प्रत्येक महीने निरीक्षण के कागजी रिपोर्ट में सब कुछ ठीक-ठाक बता कर खेल चलता रहा. ——————————घर बैठे वेतन का हथियार बना प्रतिनियोजन खगड़िया में 300 से अधिक शिक्षक शिक्षिकाओं को मनपंसद विद्यालय व दूसरे कार्यालयों में प्रतिनियोजन पर रखा गया है. बिना डीपीओ स्थापना से राय लिये ही डीइओ से लेकर बीइओ तक प्रतिनियोजन कर रहे थे. शिक्षा विभाग में प्रतिनियोजन के खेल में लाखों की वसूली की बात कही जा रही है. एसडीओ शिव कुमार शैव बताते हैं कि प्राथमिक विद्यालय बलुआही में बिना किसी जरूरत से पांच शिक्षिकाओं के प्रतिनियोजन के पीछे दाल में काला नजर आ रहा है. बताया जाता है कि सभी महिला शिक्षकों के कम बच्चों वाले विद्यालय में प्रतिनियोजन कर अनुचित लाभ पहुंचाया जा रहा था. एसडीओ ने पूरी रिपोर्ट डीएम को सौंप दी है. इधर, विद्यालय में पहले से 50 नामांकित बच्चों के एवज में तीन शिक्षक तैनात रहने के बाद भी पांच शिक्षिकाओं को इस विद्यालय में प्रतिनियोजित कर दिया गया. इसके पीछे मोटी रकम वसूली की चर्चा जोरों पर है. कहा जाता है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों के निरीक्षण में सारी गड़बड़ियों पर परदा डाले जाने के कारण विद्यालय में महीनों से खेल होता रहा. ——————–विद्यालय में नाम के आठ शिक्षकप्रधानाध्यापक श्री सिंह का कहना है कि कि विद्यालय में भले ही पांच महिला शिक्षकों के प्रतिनियोजन के बाद विद्यालय में कुल आठ शिक्षक की तैनाती की गयी हो लेकिन विद्यालय का ताला खोलने से लेकर सारा काम अकेले निबटाने की नौबत थी. लिहाजा उनका इशारा विद्यालय से गुरुजी के गायब रहने की ओर था. निरीक्षण में विद्यालय की एक शिक्षिका बिना किसी सूचना के करीब 20 दिनों से लापता थीं. तीन तीन अधिकारियों के निरीक्षण में प्रधानाध्यापक को छोड़ अधिकांश गुरुजी गायब मिले. बीते दिनों डीडीसी व एसडीओ के निरीक्षण बाद शहर के नाक के नीचे सरकारी स्कूलों का काला सच सामने आने के बाद अब प्रखंडवार औचक निरीक्षण किया जा रहा है. फिलहाल जांच रिपोर्ट पर अभी शिकंजा कसा जाना बाकी है. ——————शिक्षा विभाग में अधिकारी आमने सामने बीते दिनों समाहरणालय में डीएम की समीक्षात्मक बैठक के दौरान डीपीओ अनिल कुमार सिंह ने डीइओ पर जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया तो सारे अधिकारी भौचक्क रह गये. डीपीओ श्री सिंह ने कहा कि बीते दिनों प्राथमिक विद्यालय बलुआही का निरीक्षण कर रिपोर्ट किया गया था. इसी तरह अलौली के कई विद्यालयों के निरीक्षण के दौरा अधिकांश स्कूलों में प्रतिनियोजन पर तैनात गुरुजी गायब थे. प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के माध्यम से पूरी रिपोर्ट डीइओ को भेज कर कार्रवाई की अनुशंसा की गयी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी. बैठक में श्री सिंह ने कहा कि जब डीपीओ के रिपोर्ट पर बीइओ कार्रवाई करने से इंकार कर दे तो जांच करने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है. —————–कोई इंटरेस्ट है तो बताइये डीइओ साहब बीते दिनों बैठक के दौरान डीएम ने डीइओ से जब कहा कि क्या डीइओ साहब कोई पर्सनल इंटरेस्ट हो तो बताइये. बैठक के दौरान जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं होने सहित प्रतिनियोजन के खेल पर बिफरते हुए डीएम साकेत कुमार ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को लताड़ लगाते हुए कहा कि आखिर कब, किसके द्वारा, किस कारण से शिक्षकों का प्रतिनियोजन किया गया इसकी रिपोर्ट करें. बैठक में यह बात भी उठी कि प्राथमिक विद्यालय बलुआही में बंद एमडीएम चालू करवाने की दिशा में भले ही कोई कोशिश नहीं की गयी हो लेकिन पोशाक व छात्रवृति की राशि जरूर उठ गयी. बताया जाता है कि शिक्षा विभाग में अधिकारियों के बीच आपसी समन्वय के अभाव रहने के कारण स्थिति बिगड़ी है. ——————सभी शिक्षकों का प्रतिनियोजन रद्द, अमल बाकी डीएम की कड़ाई के बाद डीइओ ने भी सख्ती दिखाते हुए जिले के विद्यालयों में प्रतिनियोजन रद कर दिया गया है. मामला तूल पकड़ते देख प्राथमिक विद्यालय बलुआही के प्रधानाध्यापक पर प्राथमिकी के अलावा भवन निर्माण नहीं करने वाले 35 प्रधानाध्यापकों को निलंबित करने में डीइओ ने कोई देरी नहीं दिखायी. डीइओ डॉ सिंह ने बताया कि सभी शिक्षकों का प्रतिनियोजन रद्द कर मूल विद्यालय में योगदान का निर्देश दिया गया है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है. डीइओ ने कहा कि प्राथमिक विद्यालय बलुआही के सभी शिक्षकों के वेतन पर रोक लगा दिया गया है. साथ ही प्रधान शिक्षक पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है. इंजीनियर से भवन निर्माण की फाइल तलब किया गया है. जिसके बाद इसका भेद खुलेगा कि आखिर किस परिस्थिति में इंजीनियर ने सारी गड़बड़ी पर परदा डाल कर घालमेल किया था. भवन निर्माण में धांधली में इंजीनियर की गरदन फंस सकती है.
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हद है! बिना सीढ़ी के ही बना दिया दो मंजिला भवन वाला वद्यिालय
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