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मैट्रिक परीक्षार्थी की उतरवायी पैंट, संसद में गूंज

खगड़िया / नयी दिल्ली : खगडिया में मैट्रिक परीक्षा केंद्र पर पुलिस अधिकारी द्वारा परीक्षार्थी का पैंट खोलकर जांच प्रकरण की गूंज संसद तक पहुंच गयी है. मधेपुरा के सांसद पप्पू यादव ने सोमवार को संसद में मामला उठाते हुए सरकार को घेरा. सांसद ने छात्रों के साथ इस तरह के अमानवीय व्यवहार की तुलना […]

खगड़िया / नयी दिल्ली : खगडिया में मैट्रिक परीक्षा केंद्र पर पुलिस अधिकारी द्वारा परीक्षार्थी का पैंट खोलकर जांच प्रकरण की गूंज संसद तक पहुंच गयी है. मधेपुरा के सांसद पप्पू यादव ने सोमवार को संसद में मामला उठाते हुए सरकार को घेरा. सांसद ने छात्रों के साथ इस तरह के अमानवीय व्यवहार की तुलना तालिबानी हुकूमत से करते हुए कहा कि इस तरह की घटना मानवाधिकार का उल्लंघन है. जो सरकार की मानसिकता व अफसरशाही को दिखाता है. इधर, संसद में मामला गूंजने के बाद चर्चाओं का बाजार गरम है.

क्या कहा पप्पू यादव ने

अध्यक्ष महोदय, इस देश में एक ऐसा राज्य है, जहां के सरकारी स्कूलों में शिक्षा से कोई मतलब नहीं है. ना प्राथमिक शिक्षा है. बच्चे साइकिल, पोशाक, एमडीएम के लिये बच्चे स्कूल आते हैं. मैं आपको अखबार (प्रभात खबर) में छपी खबर की प्रति सदन को दिखाना चाहता हूं , जिसमें बच्चों (परीक्षार्थी) के कपड़े उतरवा कर उन्हें नंगा करके , पुलिस अधिकारी जांच करते हैं. यह मानवाधिकार का घोर उल्लंघन का मामला है. इससे बड़ी तालिबानी शासन व हिटलरशाही वाली सरकार कहीं नहीं हो सकती. इस पर सदन में निंदा प्रस्ताव लाया जाना चाहिए.’ मधेपुरा के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कुछ इस अंदाज में खगड़िया में परीक्षार्थी को नंगा करने के मामले सोमवार को सांसद में उठाते हुए तुरंत कार्रवाई की मांग की.

ऐसी घटना से आत्महत्या को मजबूर होते हैं छात्र

सांसद श्री यादव ने कहा कि इसी तरह की घटना के बाद पीडित व्यक्ति आत्महत्या को मजबूर होते हैं. छात्रों व अभिभावकों की भीड़ के सामने इस तरह की घटना के बाद परीक्षार्थियों पर पड़ने वाले प्रभाव का जिक्र करते हुए सांसद ने कहा कि हिटलरशाही का इससे ज्यादा सटीक नमूना नहीं हो सकता है. जिसमें अभी सपने देखना शुरू करने वाले छात्रों को वरदी का धौंस दिखा कर नंगा होने पर मजबूर किया गया है. सूबे की चौपट शिक्षा व्यवस्था के सुधार पर जोर देते हुए सांसद ने पूरे मामले को उठाने के लिये प्रभात खबर की तारीफ करते हुए कहा कि सच सामने लाकर इस अखबार ने पत्रकारिता में फिर लोहा मनवाया है.

इस तरह की घटना को किसी भी सभ्य समाज में बरदाश्त नहीं किया जा सकता है. तालिबानी हुकूमत में इस तरह का व्यवहार देखने को मिलता था. आखिर उस छात्र का क्या कसूर जो अभी सपना देखना ही शुरू किया था. परीक्षार्थियों की भीड़ के सामने वरदी का धौंस दिखाकर परीक्षार्थी को एक तरह से नंगा करके जांच करना मौलिक अधिकार का हनन है. सरकारी स्कूल एमडीएम, साइकिल व पोशाक वितरण केंद्र बन गया है. पहले सरकारी स्कूलों की चौपट शिक्षा व्यवस्था में सुधार करने की जरूरत है ताकि बच्चों का भविष्य बरबाद होने से बचाया जा सके.

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