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स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों का घोटाला!

स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों का घोटाला! प्रभात खबर एक्सक्लूसिव ——————- वर्ष 2010 से 2013 तक खरीदारी व भुगतान में गड़बड़ी का खुलासा ऑडिट ने पकड़ी गड़बड़ी, सीएस कार्यालय भी आरोपों के घेरे में गड़बड़ी में सीएस कार्यालय के तत्कालीन लिपिक की भूमिका संदेहास्पद प्रतिबंधित दवा की खरीदारी से लेकर ब्लैक लिस्टेड कंपनी को भी मिला […]

स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों का घोटाला! प्रभात खबर एक्सक्लूसिव ——————- वर्ष 2010 से 2013 तक खरीदारी व भुगतान में गड़बड़ी का खुलासा ऑडिट ने पकड़ी गड़बड़ी, सीएस कार्यालय भी आरोपों के घेरे में गड़बड़ी में सीएस कार्यालय के तत्कालीन लिपिक की भूमिका संदेहास्पद प्रतिबंधित दवा की खरीदारी से लेकर ब्लैक लिस्टेड कंपनी को भी मिला आपूर्ति का ठेका जेनेरेटर से लेकर साफ-सफाई मद में लाखों के भुगतान में हेराफेरी का खुलासा अनावश्यक दवाओं व उपकरणों की खरीद कर सरकारी राशि का गोलमाल निर्धारित दर से अधिक मूल्य पर दवा खरीद कर गड़बड़ी को दिया गया अंजाम सूचना के अधिकार से मिली जानकारी में पूरे गोलमाल पर से उठा परदा ————————विभिन्न मदों में हुई गड़बड़ी का ब्योरा बिना गुणवत्ता की दवा खरीद : 1.55 करोड़अनियमित व्यय : 1.08 करोड़ दवा क्रय मद : 18.07 लाखउपकरण मद : 16. 34 लाख मशीन उपकरण मद : 17.36 लाख सामग्री आपूर्ति मद : 8. 49 लाखऔषधि खरीद : 31.77 लाख प्रतिबंधित दवा खरीद : 15.91 लाख दोबारा भुगतान : 2.18 लाख अधिक मूल्य पर दवा खरीद : 1.82 लाख जेनेरेटर/सफाई मद : 26.07 लाख भरती मरीजों के आहार मद : 1.84 लाख अनावश्यक उपकरण खरीद मद : 23 लाख ———————-वर्ष 2010 से 2013 तक स्वास्थ्य विभाग में हुई खरीदारी सहित अन्य भुगतान में गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद तत्कालीन लिपिक से जवाब मांगा गया था. ऑडिट टीम की जांच के दौरान मामला पकड़ाया. आरोप के घेरे में आये सीएस कार्यालय के लिपिक ने आरोपों के संबंध में स्पष्टीकरण का जवाब दे दिया है. इसे स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय निदेशक को भेज दिया गया है. आगे की कार्रवाई के लिए मुख्यालय के निर्देश की प्रतीक्षा की जा रही है. रासबिहारी सिंह, सिविल सर्जन —————सूचना के अधिकार से मिली जानकारी में स्वास्थ्य विभाग में सरकारी राशि के गोलमाल के खुलासा के बाद कार्रवाई का इंतजार है. पहले तो स्वास्थ्य विभाग ने घोटाले से जुड़ी जानकारी देने में आनाकानी की, लेकिन अपील के बाद स्वास्थ्य विभाग ने विवश होकर जानकारी दी है. दीपक कुमार अकेला, आरटीआइ कार्यकर्ता प्रतिनिधि, खगड़िया स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों की हेराफेरी (घोटाला) का खुलासा हुआ है. ऑडिट टीम की जांच के दौरान सरकारी राशि की बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आयी है. वर्ष 2010 से लेकर 2013 के बीच विभिन्न खरीदारी व दूसरे मद में हेराफेरी को अंजाम दिया गया. इसमें दवा खरीद से लेकर साफ-सफाई तक तक शामिल है. सरकारी नियम को ताक पर रख प्रतिबंधित दवाओं की खरीदारी से लेकर ब्लैक लिस्टेड कंपनी से दवा खरीद में सीएस कार्यालय की भूमिका भी सवालों के घेरे में है. घोटाला उजागर होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जांच शुरू कर दी है. सिविल सर्जन कार्यालय में तैनात तत्कालीन लिपिक विनय कुमार मिश्र से स्पष्टीकरण पूछा गया. इसका जवाब क्षेत्रीय स्वास्थ्य निदेशक को भेज दिया गया है. सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग में कई स्तर पर गड़बड़ी कर करोड़ों के घोटाला को अंजाम दिया गया. उधर, आरोप के घेरे में आये सीएस कार्यालय के तत्कालीन लिपिक विनय कुमार मिश्र ने कहा कि ऑडिट की आपत्ति पर विभाग को जवाब दे दिया गया है. पूरी खरीदारी से लेकर भुगतान में गड़बड़ी के आरोप बेबुनियाद हैं. बता दें कि श्री मिश्र फिलहाल अलौली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात हैं. निर्धारित दर से अधिक कीमत पर खरीदी गयी दवा वर्ष 2010-11 में राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा निर्धारित दर से अधिक मूल्य पर लाखाें की दवा खरीद कर सरकारी राशि का चूना लगाया. इतना ही नहीं स्वास्थ्य विभाग ने सारे नियम कायदे ताक पर रख कर करीब 16 लाख रुपये की प्रतिबंधित दवा की खरीदारी कर ली. बिना गुणवत्ता की जांच किये 155. 95 लाख रुपये की दवा खरीद कर गोलमाल को अंजाम दिया गया. वैट की राशि में भी 2.31 लाख का चूना लगाया गया. साथ ही औषधि खरीद में एक्सपायर तिथि का ख्याल नहीं रखा गया. इससे सरकार को 6.66 लाख की हानि हुई. सबसे ताज्जुब की बात है कि दो-दो बार भुगतान दिखा कर सरकारी राशि की गड़बड़ी की गयी. दवा के अनियमित स्थानीय आपूर्तिकर्ता से क्रय पर 155 लाख रुपये खर्च पर भी ऑडिट की टीम ने लाल निशान लगाया है. लाखों की अनावश्यक मशीन की खरीदारी सरकारी राशि की हेराफेरी के लिए अनावश्यक उपकरणाें की भी खरीदारी कर ली गयी. इतना ही नहीं उपकरण मद में 16 लाख रुपये का अधिक भुगतान दिखा कर सरकारी राशि को डकार लिया गया. मशीन उपकरण मद में 17.36 लाख रुपये के अनियमित व्यय से भी अनियमितता की बू आ रही है. राशि भुगतान के वक्त वैट सहित अन्य सरकारी नियम को ताक पर रख दिया गया. मरीजों के आहार में भी गोलमाल सरकारी अस्पताल में भरती मरीजों को मिलने वाले आहार को भी नहीं बख्शा गया. इसके अलावा जेनेरेटर, साफ – सफाई, कपड़ा धुलाई में भी करीब 34 लाख के भुगतान पर ऑडिट टीम ने आपत्ति जतायी है. सामग्री आपूर्ति मद में 8.49 लाख की राशि का दुर्विनियोजन पकड़ाया है. ऐसे 20 बिंदुओं पर ऑडिट की टीम ने आपत्ति जताते हुए गड़बड़ी की आशंका जतायी है.

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