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रेलवे में बच्चों की सुरक्षा के लिए आरपीएफ का रेस्क्यू अभियान जारी

रेलवे में बच्चों की सुरक्षा के लिए आरपीएफ का रेस्क्यू अभियान जारी

– वर्ष 2021 से अब तक 61345 बच्चों को किया रेस्क्यू कटिहार विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के उपलक्ष में बाल श्रम उन्मूलन और सभी बच्चों को शिक्षा सुनिश्चित करने के प्रति रेलवे जागरूकता अभियान चला रखी है. भारत में कानूनी प्रावधानों के बावजूद, गरीबी, अशिक्षा और असमानता जैसे कारणों से बाल श्रम आज भी जारी है. यह अक्सर रेलवे नेटवर्क पर देखा जाता है. जहां बच्चे असुरक्षित परिस्थितियों में रहते, काम करते या यात्रा करते हैं. 61345 बच्चों को आरपीएफ ने बचाया आरपीएफ ऐसे संवेदनशील बच्चों को रेस्क्यू करने और उनकी सुरक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभा रहा है. नन्हें फरिश्ते पहल के तहत, आरपीएफ ने वर्ष 2021 से अप्रैल 2025 तक 61,345 बच्चों को बचाया है. इनमें अकेले यात्रा कर रहे नाबालिग, तस्करी के शिकार बच्चे या भीख मांगते और संकट में पाये गये बच्चे शामिल हैं. 649 मानव तस्करों को गिरफ्तार कर 2719 लोगों को किया रेस्क्यू आरपीएफ ने सघन निगरानी, खुफिया तंत्र और ट्रेनों में एस्कॉर्टिंग के माध्यम से बाल तस्करी, अपहरण, नशीले पदार्थों के दुरुपयोग और चिकित्सा आपात स्थितियों जैसे कई मुद्दों को प्रभावी ढंग से हल किया है. वर्ष 2021 से अब तक, 649 मानव तस्करों को गिरफ्तार किया गया है. 2719 लोगों को रेस्क्यू किया गया है. जिनमें 2456 बच्चे और 263 पुरुष-महिला वयस्क शामिल हैं. बाल तस्करी के खिलाफ कार्रवाई को मजबूत करने के लिए, आरपीएफ ने नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित बचपन बचाओ आंदोलन के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं. जिसके अंतर्गत संयुक्त कार्रवाई, जागरूकता कार्यक्रम और समन्वित रेस्क्यू किए जा रहे हैं. जमीनी स्तर पर प्रतिक्रिया को सशक्त बनाने के लिए आरपीएफ ने 750 से अधिक मानव तस्कर रोधी इकाई और 135 चाइल्ड हेल्प डेस्क स्थापित किए हैं, और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा 212 और डेस्क स्थापित किए जाने की योजना है. ये डेस्क प्राथमिक सहायता केंद्र के रूप में कार्य करते हैं, जो रेस्क्यू किए गए बच्चों को बाल कल्याण समितियों के माध्यम से पुनर्वास सेवाओं का लाभ प्रदान करते हैं. कहते हैं अधिकारी ट्रेनों में बाल तस्करी को रोकने के साथ भारतीय रेलवे प्रतिबद्ध हैं कि रेलवे परिसर को सुरक्षित और आशापूर्ण वातावरण में बदला जाय. ताकि प्रत्येक रेस्क्यू किया गया बच्चा स्वतंत्रता, देखभाल और एक बेहतर भविष्य की ओर यात्रा शुरू कर सकें. कपिंजल किशोर शर्मा, सीपीआरओ, एनएफ रेलवे

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