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अतिक्रमण हटाने की बजाय सड़क पर दुकान लगाने वालों से बट्टी वसूल रहा निगम

अतिक्रमण हटाने की बजाय सड़क पर दुकान लगाने वालों से बट्टी वसूल रहा निगम

– नगर निगम की दोहरी नीति से फुटकर दुकानदारों में आक्रोश – सड़क किनारे अतिक्रमण का ठप्पा, फिर भी वसूल रहे है बट्टी कटिहार शहर की सड़कों से अतिक्रमण हटाने के नाम पर नगर निगम प्रशासन समय-समय पर अभियान चलाती है. निगम की ओर से दावा किया जाता है कि यह कदम शहर की यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाने और आमलोगों की परेशानी कम करने के लिए है. हैरत की बात यह है कि यही निगम प्रशासन फुटकर दुकानदारों को अतिक्रमणकारी करार देने के साथ-साथ उन्हीं से सड़क किनारे दुकान लगाने की एवज में बट्टी वसूली भी कर रही है. इस दोहरी नीति को लेकर शहर के छोटे दुकानदारों व सब्जी-फल विक्रेताओं के बीच गहरा आक्रोश पनप रहा है. हैरत की बात यह है कि नगर निगम ने पिछले माह घोषणा की थी कि फुटकर दुकानदारों, सब्जी-फल विक्रेताओं से किसी भी प्रकार की बट्टी वसूली नहीं की जायेगी. इस घोषणा के बाद गरीब और मेहनतकश तबके ने राहत की सांस ली थी. उन्हें लगा था कि अब बिना अतिरिक्त बोझ के वे अपने जीविकोपार्जन के लिए फुटपाथ या सड़क किनारे दुकान लगाकर परिवार का भरण-पोषण कर पायेंगे. लेकिन विडंबना यह है कि निगम प्रशासन ने महज़ तुरंत ही पुराने ढर्रे पर लौटते हुए फिर से बट्टी वसूली अभियान शुरू कर दिया है. पिछले छह अगस्त से फिर शुरू हुई बट्टी वसूली शहर के न्यू मार्केट से लेकर बड़ा बाजार तक फुटकर दुकानदारों से पिछले छह अगस्त से बट्टी वसूली अभियान शुरू कर दिया गया है. दुकानदारों ने बताया कि छह अगस्त से नगर निगम ने एक बार फिर इस वसूली की प्रक्रिया तेज कर दी है. सड़क किनारे सब्जी बेचने वाले एजाज, सोनू कुमार व शमीर आलम ने बताया कि वे रोज़ाना अपना सब्जी का दुकान लगाने के एवज में निगम प्रशासन को पैसे देते हैं. लेकिन विडंबना यह है कि इसके बावजूद निगम उन्हें अतिक्रमणकारी करार देकर समय-समय पर खदेड़ देता है. एजाज ने कहा हम सभी दिनभर मेहनत कर थोड़ी-बहुत कमाई करते हैं. निगम के लोग आकर हमसे बट्टी के नाम पर पैसे ले जाते हैं. कहते हैं कि यह बट्टी है. लेकिन जब अभियान चलता है तो हमें जबरन हटाया जाता है. आखिर यह कैसी नीति है. अगर हम अतिक्रमणकारी हैं तो फिर हमसे पैसे क्यों लिए जाते हैं. दुकानदारों ने कहा की नगर निगम को चाहिए कि सड़क किनारे जीविकोपार्जन करने वाले फुटकर दुकानदारों के लिए स्थायी व्यवस्था की जाय. उन्हें एक निर्धारित स्थान दिया जाय जहां वे बिना भय के दुकान सजा सकें. बार-बार उन्हें खदेड़ना और अतिक्रमण का ठप्पा लगाना उचित नहीं है. खासकर तब जब उनसे बाकायदा बट्टी के नाम पर पैसे वसूले जा रहे हो. दुकानदार सोनू कुमार ने कहा हम छोटे दुकानदार हैं घर चलाने के लिए फुटपाथ पर बैठकर सब्जी-फल बेचते हैं. निगम अपना पैसा वसूल लेता है. जब चाहे अतिक्रमण के नाम पर दुकान हटा देता है. आखिर हम जायें तो कहां जायें. नगर निगम प्रशासन के दोहरे रवैये पर उठ रहे सवाल शहर के बुद्धिजीवि और सामाजिक कार्यकर्ता भी नगर निगम की इस दोहरी नीति पर सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि यदि निगम प्रशासन को शहर को अतिक्रमण मुक्त बनाना है तो पहले उसे वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए. फुटकर दुकानदारों को व्यवस्थित रूप से किसी निर्धारित बाजार क्षेत्र में स्थान देकर वहां से राजस्व लिया जाय. इससे न केवल सड़कों से अवैध कब्ज़ा हटेगा बल्कि दुकानदारों को भी स्थायी सुरक्षा मिलेगी. दरअसल शहर की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा इन्हीं फुटकर दुकानदारों और ठेला विक्रेताओं पर निर्भर है. सुबह से देर रात तक ये छोटे व्यापारी लोगों की रोजमर्रा की ज़रूरतों की पूर्ति करते हैं. लेकिन निगम की नीति के कारण वे असमंजस की स्थिति में रहते हैं. एक ओर उनसे बट्टी वसूली होती है. दूसरी ओर अतिक्रमण हटाओ अभियान में अधिकारियों के कोपभाजन का शिकार होते हैं. कहते हैं नगर आयुक्त नगर आयुक्त संतोष कुमार से बात करने पर कहा कि विभागीय स्तर से बट्टी दुकानदारों से ली जा रही है.

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