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बारिश से रबी की पिछात खेती की संभावना, किसान चिंतित

बारिश से रबी की पिछात खेती की संभावना, किसान चिंतित

कुरसेला असमय बारिश से निचले क्षेत्र के जमीन से पानी निकलने में विलंब होने से रबी बुआई की तैयारी को पीछे कर दिया है. रबी खेती के लिए निचले क्षेत्रों का जमीन जुताई के लिए सुख नहीं पाया है. क्षेत्र के तटीय भूभाग की खेती के जमीन से बाढ़, बारिश का फंसा पानी बाहर नहीं निकल पाया है. किसानों का अनुमान है कि इस तरह के जमीन से पानी के बाहर निकलने जोत के लिए तैयार होने में एक पखवाड़ा से लेकर माह तक का समय लग सकता है. अक्तूबर प्लांट मक्का, गेहूं, आलू खेती का समय बीत रहा है. इन स्थितियों में संबंधित क्षेत्रों के किसानों की रबी की खेती पिछात होने की सम्भावना बनी गयी है. किसानों में पिछात खेती से उपज में कमी आने को लेकर निराशा है. प्रखंड क्षेत्र के 80 प्रतिशत किसानों का रबी बुआई के लिए खेतों को तैयार नहीं कर सके है. परिक्षेत्र के किसान मक्का, आलू, गेहूं, दलहन, तिलहन की खेती प्रमुखता से करते हैं. इनमे मक्का, आलू, सरसों का नगदी फसल के रुप मे किसान प्रमुखता से खेती करते है. मिट्टी और जलवायू इन फसलों के खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है. मक्का के साथ कृषक वर्ग बड़े भूभाग पर प्रतिवर्ष आलू की खेती करने का कार्य करते हैं. पिछात आलू की खेती होने से उसमें पाला आदि कीटों के प्रकोप का खतरा बढ़ जाता है. मक्का की खेती समय अनुरुप नहीं होने से उसके पैदावार में कमी आने की सम्भावना रहती है. नदियों के तटीय क्षेत्र के भूभाग में रबी की खेती की बुआई करने में अधिक विलंब होने की सम्भावना है. क्षेत्र में रबी खेती में मक्का, आलू की खेती प्रमुखता से की जाती है. असमय बारिश से इस साल रबी खेती का पिछात होने का अहम वजह माना जा रहा है.

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