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समाज सुधार के लिए प्रेरणास्रोत है प्रेमचंद की रचनाएं

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 144 वीं जयंती मनायी गयी

कटिहार. शहर के लड़कनिया टोला के समीप अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रीय महासभा की जिला इकाई की ओर से बुधवार को कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 144 वीं जयंती मनायी गयी. कार्यक्रम की अध्यक्षता महासभा के जिला अध्यक्ष अरविंद पटेल ने किया. इस अवसर पर अपर लोक अभियोजक विनोद कुमार ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य राष्ट्रीय व सामाजिक सुधार के लिए प्रेरणास्रोत है. प्रेमचंद विश्व साहित्य में जगमगाता हुआ सितारा रहा है. इनका साहित्य अपने समय के सामाजिक, राजनीतिक परिस्थितियों का दर्पण है.इनका उपन्यास कालजयी है. इनका पहली कहानी संसार का सबसे अनमोल रत्न 1901 में जमाना में छपी थी. स्वदेशी प्रेम की भावनाओं से भरा इनका प्रथम कहानी संग्रह साजे वतन 1907 में प्रकाशित हुई. जिसे तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने जब्त कर लिया था. निर्मला, प्रतिज्ञा, सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, कर्मभूमि, गोदान, गबन, कायाकल्प, मानसरोवर प्रसिद्ध उपन्यास है. इस अवसर पर अधिवक्ता राजेंद्र मिश्रा, शिव नारायण सिंह, श्यामदेव राय, रामविलास पासवान, धर्मेंद्र कुमार सिंह, जदयू नेता रमाकांत राय सहित कई वक्ताओं ने मुंशी प्रेमचंद्र के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके साहित्य पर विस्तार से चर्चा किया. प्रेमचंद जयंती के अवसर पर पुस्तक का हुआ विमोचन कटिहार. जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन कटिहार के तत्वावधान में प्रेमचंद जयंती के अवसर पर पुस्तक विमोचन सह कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया. अध्यक्षता संस्थान के अध्यक्ष सुरेशचन्द्र सरस ने की. मंच संचालन संस्था के सचिव अवध बिहारी आचार्य ने किया. विनोद कुमार नैकित के रचित काव्य संग्रह ख्यालों की बगिया का विमोचन डॉ कामेश्वर प्ंकज ने किया. उसके बाद प्रेमचंद के कृतित्व और व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला गया. पंकज ने बताया कि प्रेमचंद आज भी सबसे अधिक याद किये जाते हैं. डॉ अनवर इरज ने कहा कि प्रेमचंद कुछ नहीं लिखकर केवल कफन ही लिख देते तो वे अमर हो जाते, प्रो मनोज परासर ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद अपने समय के सिद्ध कवि थे. उन्होंने साहित्य को यर्थाथ रूप दिया. अवध बिहारी आचार्य ने प्रेमचंद को कालजयी लेखक बताते हुए कहा कि उनकी कहानियों या उपन्यासों में समाज की पीड़ा और दर्द ही नहीं उसका निराकरण भी है. इस दौरान नेहा किरण ने सरस्वती वंदना कर मां का आशीर्वाद लिया. विश्वनाथ राम कुशवाहा, सहदेव मिश्र, अजयगीत, गोपाल सोनी, डॉ जवाहर देव, नीलकंठ, संभावना, पूर्णिमा चौधरी, गुणानंद महाराज, फरहानाज, कन्हैया प्रसाद केसरी, दशरथ सिंह, सुरेशचन्द्र सरस, विनोद मिश्रा, लक्ष्मी देवी ने समाज को काव्य के माध्यम से नई चेतना देने का कार्य किया.धन्यवाद ज्ञापन संस्था के सह सचिव डॉ जवाहर देव ने किया.

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