– शरद पूर्णिमा की रात चांद सोलह कलाओं से होता है निपुण बारसोई शरद पूर्णिमा की रात सोमवार को बारसोई में माता लक्ष्मी की पूजा बड़े ही धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. संध्या बेला मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर लोगों ने घर घर में पूजा अर्चना की. यूं तो इस पूजा का महत्व बंगाल में अधिक है. पर बंगाल की सीमा से सटे होने के कारण बंगला संस्कृति व परंपरा अधिकतर घरों में देखने को मिल जायेगी. लक्ष्मी पूजा अधिकतर घरों में बड़े ही श्रद्धा एवं विश्वास के साथ मनायी जाती है. ऐसा मानना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चांद सोलह कलाओं से निपुण होता है. इसलिए शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी को चावल व दूध से बने हुए खीर को अर्पण करने के बाद चांद की शीतल रोशनी में रख दिया जाता है. कुछ घंटे रखने के पश्चात मध्य रात्रि के बाद अथवा सुबह खाली पेट में सभी लोग उसे ग्रहण करते हैं. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से स्वास्थ्य लाभ होता है. घर में सुख समृद्धि आती है. इस कारण भी इस पर्व का विशेष महत्व हैं. साथ ही साथ भक्त विभिन्न प्रकार के भोग बनाकर माता लक्ष्मी को रिझाने की कोशिश करते हैं. ताकि घर में धन-धान्य, सुख शांति, प्रेम हमेशा परिपूर्ण रहे. किसी प्रकार का रोग व्याधि न हो.
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