भोजन, शुद्ध पानी की किल्लत से बाढ़ पीड़ित हो रहे हैं बेहाल कुरसेला बाढ़ से जनजीवन बेहाल बना हुआ है. राहत सुविधा के अभाव में बाढ़ पीड़ित दुखदायी पीड़ा को झेल रहे हैं. उंचे जगहों पर शरण लेने वाले बाढ़ विस्थापितों को दो वक्त का भोजन मयस्सर नहीं हो पा रहा है. शुद्ध पेयजल, शौच सुविधा के बिना पीड़ितो को कष्ट कारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. गरीब परिवार बच्चों को दुध की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं. बाढ़ की तबाही जनजीवन पर शामत बन कर टूट रहा है. सैलाव ने हर तरफ तबाही बर्बादी का मंजर उपस्थित कर दिया है. प्रखंड क्षेत्र का अधिकांश विद्यालयों में बाढ़ का पानी प्रवेश करने से पठन पाठन ठप हो गया है. ग्रामीण क्षेत्र के औसतन सड़कों पर बाढ़ का पानी चढ़ने से यातायात व्यवस्था बाधित है. क्षेत्र के अधिकतर गांवों का मुख्य सड़कों से संपर्क भंग हो चुका है. बाढ़ के बीच सर्प दंश की घटना बढ़ने लगी है. पशु चारा के अभाव में क्षेत्र के पशुपालक बड़ी संख्या में पशुओं को लेकर सुखे क्षेत्रों की ओर पलायन कर चुके हैं. गंगा नदी के जलस्तर नरम पड़ने का खबर है. जानकारी अनुसार बाढ़ के स्थिर होने की जानकारी है. बावजूद बाढ़ प्रभावितों को इससे विशेष राहत नहीं मिल सका है. सड़क, तटबंधों पर बाढ़ का दबाव यथावत बना हुआ है. एनएच 31 भठ्ठा चौक से दियारा के शेरमारी, चांयटोला, अजमाबांध, चापर आदि गांवों को जोड़ने वाले सड़क पर कलबलिया नदी के बाढ़ का तेज बहाव हो रहा है. सड़क पर नदी के कटाव का खतरा बना हुआ है. दियारा क्षेत्र के लोग जोखिम लेकर पानी बहाव के बीच सड़कों से गुजरने का कार्य कर रहे हैं. घुरना बल्थी महेशपुर सड़क सह बांध पर मड़कोस धार के बाढ़ का दबाव यथावत बना हुआ है. मधेली के बारह नम्बर ठोकर व बांध पर बाढ़ ने दबाव बना रखा है. क्षेत्र में मक्का, पाट, सब्जी की खेती बाढ़ में डूब कर नष्ट हो चुका है. फसलों के नष्ट होने से किसानों को आर्थिक रुप से नुकसान पहुंचा है. निचले क्षेत्र के दर्जन से अधिक गांवों बाढ़ के चपेट में आकर दुखदायी पीड़ा को झेल रहे हैं. बाढ़ के बीच महिलाओं को शौच के विकट समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. चापानल के बाढ़ में डूबने से लोगों के समक्ष पेयजल का संकट उत्पन्न हो गया है. गंगा पार दियारा में निवास करने वाले लोग मुसीबतों में ज़िन्दगी को सलामत बचाने का जद्दो जेहाद कर रहे हैं. दियारा में राहत सहायता पहुंचाने की सुधि नहीं लिया गया है. पानी के बीच टापू बने दियारा क्षेत्र के लोगों को दैनिक उपयोग के वस्तुओं का किल्लत पड़ गया है. गंगा पार कर बाजारों तक पहुंचना दियारा के लोगों के लिए संभव नहीं रह गया है.
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