कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र के किसान इन दिनों रवि फसल की बुवाई को लेकर गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं. डीएपी और यूरिया खाद की भारी कमी के कारण किसान कई दिनों से इफको बाजार का चक्कर लगा-लगा कर लौटने को मजबूर हैं. किसान सन्नी पासवान ने बताया कि इफको बाजार में सरकारी मूल्य पर मिलने वाली डीएपी उपलब्ध ही नहीं है. खेरिया पवई, अमोल, गेड़ाबाड़ी आदि बाजारों में सरकारी दर से अधिक कीमत पर डीएपी धड़ल्ले से बेची जा रही है. किसान आर्थिक रूप से परेशान हैं. किसानों ने बताया कि बारिश से इस बार मक्का की बुआई पहले ही देरी से शुरू हुई थी. अब महंगे खाद और बीज के कारण खेती की लागत बढ़ गई है. मुनाफा होने की संभावना बेहद कम हो गई है. गेड़ाबाड़ी, खेरिया, पवई, कोलासी और बेलाल चौक के कई दुकानों पर बिना किसी मापदंड के दो नंबर मक्का बीज की बिक्री की जा रही है. कोढ़ा नगर पंचायत के गेड़ाबाड़ी बाजार स्थित अन्नपूर्णा फर्टिलाइज़र के दुकानदार सूरज चौधरी ने बताया कि डीएपी 1650 रुपये में उपलब्ध है. जबकि इसका सरकारी मूल्य 1350 रुपये है. इफको बाजार के बिक्री अधिकारी टोटन चक्रवर्ती ने जानकारी दी कि पिछले दिनों बाजार में 12:32:16 रासायनिक खाद के 1100 पैकेट आए थे. जिनमें से अब मात्र 582 पैकेट बचे हैं. 20:20:0:13 खाद के भी 1100 पैकेट आए थे. 1065 पैकेट शेष हैं. 14 अक्तूबर को आए 1554 पैकेट यूरिया में से अब केवल 385 पैकेट ही बचे हैं. सबसे अधिक मांग डीएपी की है. जिसके 1000 पैकेट 8 अक्तूबर को आए थे. तीन दिनों में ही किसानों के बीच वितरण हो गया. किसान बार-बार इफको बाजार पहुंच रहे हैं. उन्हें निराश होकर लौटना पड़ रहा है. कृषि पदाधिकारी नवीन कुमार ने बताया कि कोढ़ा प्रखंड में लगभग 105 खाद-बीज दुकानें रजिस्टर्ड हैं. यदि किसी भी दुकान पर दो नंबर बीज या सरकारी दर से अधिक मूल्य पर खाद बेचने की शिकायत मिलती है, तो विभाग जांच कर कठोर कार्रवाई करेगा. अधिक मूल्य वसूलने वाले दुकानदारों की लाइसेंस रद्द कर उनके खिलाफ कानूनन कार्रवाई की जायेगी.
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