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एक सप्ताह गरमी से राहत नहीं
एक सप्ताह गरमी से राहत नहीं सूरत-ए-हाल . झुलसा देने वाली धूप व गरम हवा से घरों में दुबके रहे लोग अप्रैल में इस तरह की कड़ी धूप व गरमी पड़ने से लोग परेशान हो गये हैं. सबसे ज्यादा इस धूप से परेशानी स्कूली बच्चों को हो रही है. जब धूप आग उगल रही होती […]
एक सप्ताह गरमी से राहत नहीं
सूरत-ए-हाल . झुलसा देने वाली धूप व गरम हवा से घरों में दुबके रहे लोग
अप्रैल में इस तरह की कड़ी धूप व गरमी पड़ने से लोग परेशान हो गये हैं. सबसे ज्यादा इस धूप से परेशानी स्कूली बच्चों को हो रही है. जब धूप आग उगल रही होती है, उसी वक्त स्कूलों में छुट्टी होती है. उस समय बच्चों को घर पहुंचने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इससे बच्चे बीमार भी पड़ रहे हैं. कड़ी धूप को देखते हुए कई लोगों ने तो बच्चों को स्कूल भेजना भी बंद कर दिया है.
कटिहार : शरीर को झुलसा देने वाली तेज धूप व पछुवा हवा चलने से सोमवार को पूरे दिन आम जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा. तेज धूप से बचने के लिए लोग अपने घरों में दुबकने को विवश हो गये. राहगीर पेड़ की छांव तलाशने को विवश थे. अप्रैल में इस तरह की कड़ी धूप व गरमी पड़ने से लोग परेशान हो गये हैं. सबसे ज्यादा इस धूप से परेशानी स्कूली बच्चों को हो रही है. जब धूप आग उगल रही होती है, उसी वक्त स्कूलों में छुट्टी होती है.
उस समय बच्चों को घर पहुंचने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इससे बच्चे बीमार भी पड़ रहे हैं. कड़ी धूप को देखते हुए कई लोगों ने तो बच्चों को स्कूल भेजना भी बंद कर दिया है. इधर धूप से बचने के लिए लोग चश्मा, हेलमेट, गमछा, छाता का इस्तेमाल कर रहे हैं. शरीर में पानी का कमी नहीं हो इसके लिए गन्ने का रस, लस्सी, सत्तू, कोल्डड्रिंक्स आदि का सहारा ले रहे हैं. इन चीजों की दुकानें हरेक चौक-चौराहों पर खुल गयी हैं, जहां भीड़ लगी रहती है. इसके अलावा गरमी से बचने के लिए लोग पंखा, कूलर, एसी की खरीदारी कर जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं.
स्कूल से घर लौटने में बच्चे हो रहे परेशान
सोमवार को कटिहार का अधिकतम तापमान 41 डिग्री से ऊपर चला गया. इसके साथ ही पछुवा हवा तेज चलने से लू का एहसास हो रहा था. ऐसे में बच्चों को स्कूल से लौटने में कितनी परेशानी होती होगी. इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. इतनी तेज धूव व गरमी में जब बड़े व्यक्ति घर के अंदर दुबकने को विवश हो रहे हों, वैसे समय में बच्चों को पीठ पर दस किलो का वजन लेकर जब स्कूल से लौटना पड़ता है, तो उनका चेहरा लाल हो जाता है. स्कूल प्रबंधन हैं कि सरकारी नियमों को ठेंगा दिखाकर अपने हिसाब से स्कूलों का संचालन कर रहे हैं. शहर में जितने भी निजी स्कूल हैं सभी का संचालन सुबह आठ बजे से दोपहर एक बजे तक हो रहा है. जबकि पिछले दिनों बढ़ी गरमी के बाद जिला प्रशासन ने सभी सरकारी व निजी स्कूलों का संचालन सुबह 6.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक ही करने का निर्देश जारी किया था. इसके बावजूद निजी स्कूलों के संचालक अपने हिसाब से स्कूलों का संचालन करते रहे और अब भी कर रहे हैं. ऐसे में यदि बच्चों को लू लगता है या बीमार पड़ते हैं, तो भी निजी स्कूलों के सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता है. चूंकि उन्हें तो बड़ा स्कूल का तमगा लगा हुआ है.
बच्चों की परेशानी से उन्हें कोई लेना देना नहीं होता है. जिला प्रशासन भी ऐसे स्कूलों के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं करता है. इसका खामियाजा छोटे-छोटे बच्चों को उठाना पड़ता है. सोमवार को भीषण गरमी के बीच दोपहर एक बजे से दो बजे के बीच कई बसों में ठूंस-ठूंस कर बच्चों को घर पहुंचाया जा रहा था. आग उगलती धूप में पहले से बस की छत गरम रहती है. ऊपर से भीड़ की वजह से बच्चे पसीने से तर बतर हो रहे थे. कई बच्चे रिक्शा से भी घर लौट रहे थे. धूप से बच्चों का बीमार होने का खतरा बना रहता है.
मजदूरों व फुटपाथ पर रहने वालों की मुसीबत
आग बरसा रही धूप व गरमी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं. इससे मजदूर वर्ग के लोगों की जहां परेशानी बढ़ा कर रख दी है, वहीं फुटपाथ पर दुकान लगा कर अपना जीवन यापन कर रहे लोग की भी परेशानी बढ़ती जा रही है. एक तो तेज धूप ऊपर से गर्म हवा के थपेड़ों ने उनका जीवन दूभर कर दिया है. मजदूर वर्ग के लोग तेज धूप के कारण काम करने से कतरा रहे हैं. यदि काम कर लिया, तो बीमार पड़ने का खतरा बना रहता है. यही वजह है कि मजदूरों की कमी साफ दिख रही है. वहीं फुटपाथ पर सब्जी, फल बेचने वाले, चाय, पान की दुकान चलाने वाले, ठेला, रिक्शा, ऑटो चलाने वालों की भी परेशानी बढ़ गयी है.
छांव ढूंढ़ते रहते हैं राहगीर
शहर में पेड़ पौधों की कमी की वजह से छांव ढूंढ़ने पर भी छांव नहीं मिलता है. ऐसे में दूर दराज से आने वाले लोगों को कड़ी धूप परेशान कर रही है. गौरतलब हो कि ग्रामीण क्षेत्र से बड़ी संख्या में प्रतिदिन लोग जिला मुख्यालय विभिन्न कामों से पहुंचते हैं. धूप व गरमी से बचने के लिए जहां लोग पेड़ देखते हैं वहां हमेशा लोगों की भीड़ आपको मिल जायेगी. रेलवे स्टेशन परिसर, बस स्टैंड के निकट, समाहरणालय, कोर्ट परिसर आदि में लोगों को धूप से बचने का एक मात्र सहारा पेड़ ही है. जहां कुछ देर रुककर धूप से राहत पाते हैं.
ठंठे पेय पदार्थ की बिक्री बढ़ी
तेज धूप के साथ गरमी पड़ने के साथ ही ठंठे पेय पदार्थ की बिक्री में तेजी आ गयी है. लोग ठंडे फलों में तरबूज, खीरा, ककरी आदि का सेवन कर रहे हैं. लस्सी, सत्तू, कोल्डड्रिंक्स, गन्ने का रस, नींबू पानी का भी लोग सेवन कर रहे हैं. दरअसल इन चीजों के सेवन से शरीर में पानी की कमी होने का खतरा नहीं रहता है. शाम होते ही आइस्क्रीम की बिक्री भी खूब हो रही है. सभी चौक-चौराहों सहित गली मुहल्ले में आइस्क्रीम वाले घूम-घूम कर बेचते देखे जा सकते हैं.
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