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महिलाओं को स्वावलंबी बना रही हैं दीदी शैलजा
श्रीमती मिश्रा यूं तो पेशे से केबीझा कॉलेज में व्याख्याता हैं, लेकिन उनकी रुचि गरीब और वंचित महिलाओं को आत्मनिर्भर बना कर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की है. सूरज गुप्ता कटिहार : जिले के बरारी प्रखंड अंतर्गत सूजापुर पंचायत के सूजापुर की गांव की महिलाएं न केवल अपने परंपरागत रोजगार से जुड़ कर आर्थिक […]
श्रीमती मिश्रा यूं तो पेशे से केबीझा कॉलेज में व्याख्याता हैं, लेकिन उनकी रुचि गरीब और वंचित महिलाओं को आत्मनिर्भर बना कर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की है.
सूरज गुप्ता
कटिहार : जिले के बरारी प्रखंड अंतर्गत सूजापुर पंचायत के सूजापुर की गांव की महिलाएं न केवल अपने परंपरागत रोजगार से जुड़ कर आर्थिक उन्नति कर रही हैं बल्कि रूढ़िवादी परंपरा से इतर समाज की मुख्य धारा से जुड़ी हैं.
यह सबकुछ कटिहार शहर की एक महिला शैलजा मिश्रा की प्रतिबद्धता और जुनून की वजह से संभव हो सका है. श्रीमती मिश्रा यूं तो पेशे से केबीझा कॉलेज में व्याख्याता है, लेकिन उनकी रुचि गरीब और वंचित महिलाओं को आत्मनिर्भर बना कर समाज की मुख्य धारा से जोड़ने की है. 50 वर्षीय प्रो शैलजा मिश्रा वर्ष 2000 के आसपास बरारी के सूजापुर गांव गयी. गांव में अधिकांश महिलाएं इधर-उधर काम की फिराक में भटकती थीं.
बकौल शैलजा एक छात्र ने उन्हें बताया था कि उस गांव की महिलाएं हुस्न की बाजार में गलत काम भी करती हैं. तब उनके मन में आया कि गांव की महिलाओं को एकजुट करके उन्हें रोजगार का अवसर उपलब्ध कराया जाये. गांव में वह गयी और महिलाओं के साथ मिलने-जुलने की प्रक्रिया शुरू की. महिलाएं जब घुल-मिल गयीं तब उन्हें संगठित करने का प्रयास शुरू हुआ.
विभिन्न शहरों में पहुंचता है मिट्टी का बरतन : एसएचजी के महिलाओं को तापमान को लेकर प्रशिक्षण दिया गया.प्रशिक्षण के उपरांत उनके द्वारा जो मिट्टी का बरतन बनाया जाता है, वह गैस अथवा बिजली की गरमी से फूटता नहीं है. इसके बाद उन्हें ग्रामीण उद्यमिता विकास, कौशल उन्नयन सहित कई तरह का प्रशिक्षण दिया गया. महिलाओं द्वारा निर्मित मिट्टी का बरतन नेपाल, दरभंगा, अररिया, फारबिसगंज, भागलपुर आदि विभिन्न शहरों में पहुंचता है.
शिक्षा का अलख जगा रही बीबी हमीदा
जिले के मनिहारी प्रखंड अंतर्गत मेदनीपुर गांव निवासी बीबी हमीदा ने पिछले एक दशक से सामाजिक कार्यों से जुड़ गयी है. पिछले पांच वर्षों से वह अल्पसंख्यक, आदिवासी, दलित बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने का काम कर रही है.
खासकर अल्पसंख्यक लड़कियों में जारी परदा प्रथा से इतर वह शिक्षा के महत्व को लोगों के बीच रख कर उन्हें उत्प्रेरित कर रही है. बीबी हमीदा की वजह से अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियां घर से निकल कर स्कूल जाने लगी है. बच्चों के शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य आदि के प्रति भी समुदाय को जागरूक कर वह उनके बीच रोशनी का काम कर रही है.
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