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कटिहार में सेल्फी ले रहे तीन युवक ट्रेन की चपेट में आये, कट कर मौत

कटिहार : कटिहार-सेमापुर रेलखंड के कारी कोसी नदी स्थित लाल पुल पर बुधवार को सेल्फी की सनक ने तीन युवकों की जान ले ली. सुबह की सैर पर निकले तीन युवक सेल्फी के चक्कर में सीमांचल एकसप्रेस ट्रेन की चपेट में आ गये. घटना की जानकारी मिलते ही ग्रामीण पहुंचे. मृतक के शवों को लेकर […]

कटिहार : कटिहार-सेमापुर रेलखंड के कारी कोसी नदी स्थित लाल पुल पर बुधवार को सेल्फी की सनक ने तीन युवकों की जान ले ली. सुबह की सैर पर निकले तीन युवक सेल्फी के चक्कर में सीमांचल एकसप्रेस ट्रेन की चपेट में आ गये. घटना की जानकारी मिलते ही ग्रामीण पहुंचे. मृतक के शवों को लेकर अपने गांव चले गये. जानकारी मिलते ही डीएम, एसपी, रेल एसपी सहित कटिहार आरपीएफ, जीआरपी, सहायक थाना पुलिस, कोढ़ा थाना पुलिस घटना स्थल पर पहुंची.

पुलिस व रेल पुलिस के अफसरों ने ग्रामीणों को समझा-बुझाकर दो शवों को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेजा. जबकि एक मृतक का शव कोसी की धार में बह गया. एनडीआरएफ की टीम उसे खोज रही है. कोढ़ा थाना क्षेत्र के घुसकी गांव में मासखुर आलम के घर पर बकरीद को लेकर मेहमान और रिश्तेदार आये थे. मासखुर की बहन व जीजा शाहजहां भी आये थे.
गांव के ही तफसीर आलम, जान मोहम्मद, मासखुर आलम, मो सहाबुद्दीन गांव से कुछ दूर पर स्थित लाल पुल पर सुबह 9.30 बजे घूमने निकले थे. साथ में मासखुर के बहनोई शाहजहां (35) और सरमाजुल भी साथ थे.
डाउन रेलवे ट्रैक पर सहाबुद्दीन, शाहजहां एवं सरमाजुल सेल्फी ले रहे थे, तब अप रेलवे ट्रैक पर तफसीर, जान मोहम्मद एवं मासुखर थे. कोई सेल्फी ले रहा था तो कोई वीडियो बना रहा था. तभी दिल्ली आनंद बिहार से जोगबनी जाने वाली ट्रेन (12488 ) डाउन ट्रैक पर आ गयी. जिसकी चपेट में सेल्फी ले रहे तीनों युवक आ गये. जिसमें तीनों की मौत हो गयी.
दो के शव क्षत-विक्षत होकर सूखे क्षेत्र में गिर पड़े थे. जबकि तीसरा कोसी नदी में बह गया. घटना को देख दूसरे ट्रैक पर खड़े युवक हक्के बक्के रह गये. हादसे में मासखुर आलम भी जख्मी हो गया. उसके बाद तीनों गांव की ओर भाग खड़े हुए. घटना की जानकारी मिलते ही गांव में मातमी सन्नाटा पसर गया. मृतक के परिजन एवं स्थानीय लोग घटनास्थल की ओर भागे.
आरोप: ट्रेन के लोको पायलट ने हॉर्न नहीं बजाया
मृतक के परिजनों और हादसे से बच गये युवको ने बताया कि रेलवे की लापरवाही से यह हादसा हुआ है. सीमांचल के लोको पायलट ने ट्रेन का हॉर्न नहीं बजाया था, जिस कारण पुल पर खड़े युवक आवाज नहीं सुन सके. अगर उसने हॉर्न बजाया होता, तो युवकों की जान बच जाती.

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