कटिहार : जिले के मनिहारी अनुमंडल के अमदाबाद प्रखंड अंतर्गत जंगला टाल इंग्लिश स्थित गोगाबिल झील प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है. लंबे समय से इस पक्षी विहार को विकसित करने के लिए विभिन्न स्तरों पर पहल की जा रही थी.
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गोगाबिल झील अब लोग करेंगे दीदार
कटिहार : जिले के मनिहारी अनुमंडल के अमदाबाद प्रखंड अंतर्गत जंगला टाल इंग्लिश स्थित गोगाबिल झील प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है. लंबे समय से इस पक्षी विहार को विकसित करने के लिए विभिन्न स्तरों पर पहल की जा रही थी. लेकिन अब लगता है कि जल्द ही गोगाबिल पक्षी विहार का कायाकल्प होगा. पर्यावरण, […]
लेकिन अब लगता है कि जल्द ही गोगाबिल पक्षी विहार का कायाकल्प होगा. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने इस आशय से संबंधित एक अहम फैसला लेते हुए 73.78 एकड़ गैरमजरूआ सरकारी जमीन को अधिग्रहित करते हुए गोगाबिल झील संरक्षण आरक्ष क्षेत्र घोषित कर दिया है.
विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने सोमवार को इस आशय से संबंधित अधिसूचना जारी कर दी है. उल्लेखनीय है कि 90 के दशक में गोगा बिल झील पक्षी विहार के रूप में चर्चा में आया इस पक्षी विहार में हर साल हजारों की तादाद में देश-विदेश से लगभग 300 प्रजाति के पक्षी प्रवास के लिए आते हैं.
इन मेहमान पक्षियों में मुख्य रूप से लाल रीवाले ग्रीव, पोटचार्ड, स्पाटवील, टील, कूट, और ब्रहुमानी हंस शामिल है. इस पक्षी विहार को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से कई स्तरों पर पहल की जा रही थी. पर अब तक परिणाम नहीं निकला था.
अब मंगलवार को जारी अधिसूचना से क्षेत्र के लोगों में खुशी का माहौल है. साथ ही पर्यावरणविद् भी सरकार की अधिसूचना से खुश नजर आ रहे है. ऐसे पर्यावरणविदों की माने तो सरकार के इस पहल से गोगाबिल झील का संरक्षण होगा तथा इसका इसका कायाकल्प जल्द शुरू हो जायेगा.
73.78 एकड़ भूमि बना संरक्षण आरक्ष क्षेत्र : गोगाबिल झील को विकसित करने की दिशा में अब सरकारी पहल शुरू हो गयी है. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने सोमवार को एक अधिसूचना जारी कर जंगला टाल इंग्लिश मौजा में स्थित 73.78 एकड़ गैरमजरूआ सरकारी जमीन को वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 (संशोधित वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 2006) के प्रावधान के मुताबिक गोगाबिल झील संरक्षण आरक्ष क्षेत्र के घोषित कर दिया है.
अब इस पक्षी विहार को विकसित करने के लिए इसी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जायेगी. पर्यावरणविदों की मानें तो अब इस पक्षी विहार का कायाकल्प हो जायेगा. लंबे समय से गोगाबिल पक्षी विहार को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग होती रही है. विभागीय अधिसूचना के अनुसार जिला पदाधिकारी के अनुशंसा आलोक में अधिसूचना जारी की गयी है.
लंबे समय से हो रही थी मांग : गोगाबिल झील पक्षी विहार के रूप में प्रसिद्ध है. यह गोगा बिल करीब 217 एकड़ के भू-भाग तक फैला हुआ है. पर अब तक राजनीतिक व प्रशासनिक उदासीनता का शिकार बना हुआ है. उल्लेखनीय है कि हर वर्ष इस गोगा बिल झील में विदेशी पक्षी प्रवास के लिए पहुंचते है.
साइबेरियन व अन्य देशों के करीब 300 प्रजाति से अधिक की पक्षी यहां प्रवास करते है. अक्टूबर से जनवरी तक प्रवास करते है. फरवरी- मार्च के महीने में ऐसे प्रवासी पक्षी अपने वतन को लौट जाते है. उल्लेखनीय है कि तत्कालीन जिला पदाधिकारी मिथिलेश मिश्र के पहल पर गोगा विकास समिति की बैठक में इसके विकास की संभावनाओं को लेकर चर्चा हुयी थी.
जाने-माने पर्यावरणविद् डॉ टीएन तारक में कई बार गोगाबिल झील के समग्र विकास को लेकर सरकार व प्रशासन को प्रस्ताव दिया. पर अब तक अमल में नहीं हुआ. फलस्वरुप आज भी बिहार व देश के पक्षी विहार के रूप में प्रसिद्ध गोगा बिल झील उपेक्षा का शिकार बना हुआ था. लेकिन सोमवार को विभागीय स्तर से जारी अधिसूचना पर भरोसा करें तो अब जल्द ही गोगाबिल झील पक्षी विहार का कायाकल्प हो जायेगा.
कहते हैं पर्यावरणविद
जाने-माने पर्यावरणविद् डॉ टीएन तारक ने इस संदर्भ में कहा कि गोगाबिल पक्षी विहार को विकसित करने के लिए लंबे समय से प्रयास की जा रही थी. अब सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है तथा वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के प्रावधान के मुताबिक गोगाबिल झील संरक्षण क्षेत्र घोषित कर दिया है. अब इस क्षेत्र का विकास तेजी से होगा. इसके लिए राज्य सरकार बधाई के पात्र है. लंबे समय से किया जा रहा प्रयास रंग ला रहा है. इससे देसी व प्रवासी पक्षियों के संरक्षण का मार्ग प्रशस्त होगा.
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