अली अहमद @ फलका / कटिहार
मेरे प्यार की उमर हो इतनी सनम, तेरे नाम से शुरू तेरे नाम से खतम… 1988 में बनी फिल्म वारिस का यह गीत फलका प्रखंड के भंगहा गांव के सुरेंद्र पटेल की पत्नी कंचन माला सिन्हा पर सटीक बैठता है. आज पति-पत्नी खुशहाल जीवन जी रहे हैं, तो उसके पीछे कंचल का पति के प्रति प्रेम ही है. सुरेंद्र कहते हैं कि जिसके पास माला जैसी पत्नी हो, उसके लिए तो हर दिन वैलेंटाइन डे ही है. फिर भी वह अपनी पत्नी के प्रति प्रेम जताने का कोई मौका चूकते नहीं हैं.
स्व ध्रूप नारायण मंडल के पुत्र सुरेंद्र पटेल की शादी 27 फरवरी, 1994 को महेशखूंट पंसलावा गांव के एक जमींदार घराने में हुई. शादी के दिन अग्नि को साक्षी मान कर दोनों ने जीवन भर सुख-दुख में साथ निभाने का वादा किया. शादी के बाद पति-पत्नी खुशहाल जीवन जी रहे थे. इसी बीच, सुरेंद्र पटेल 2003 में समिति सदस्य का चुनाव लड़े. फिर चुनाव जीत कर फलका प्रखंड प्रमुख बने. खुशी-खुशी दोनों लोगों का समय व्यतीत हो रहा था. शादी के काफी वर्षों बाद भी दोनों को कोई संतान नहीं हुई. पर, दोनों ने दुखी होने के बजाय बड़े भाई राजेंद्र पटेल की दोनों पुत्रियों को ही अपनी संतान की तरह ही प्यार देने लगे. इससे उन्हें खुद की संतान नहीं होने को कोई मलाल नहीं रहा.
इसी बीच सुरेंद्र पटेल काफी बीमार पड़ गये. इलाज के दौरान पता चला कि उनकी दोनों किडनियां खराब हो गयी हैं. उन्होंने लाखों रुपये अपने इलाज में लगाये, पर ठीक न हो सके. चूंकि, कंचन माला सिन्हा शर्फाबाद, बलयोरी मसौढ़ी में शिक्षिका थीं, तो उन्होंने पति की देखभाल करने के लिए समय की जरूरत थी. इसलिए उन्होंने अपने ‘सत्यवान’ की जिंदगी के लिए अपनी नौकरी की तिलांजलि दे दी और 6 अक्तूबर, 2017 को गुड़गांव के एक अस्पताल में अपनी एक किडनी पति को देकर सुरेंद्र को मौत के मुंह से बाहर खींच लायी. बहरहाल, अब दोनों पति-पत्नी स्वस्थ हैं.
कंचन माला सिन्हा की जेठानी मुखिया किरण पटेल भी दोनों के प्रेम को आज के दंपतियों के लिए प्रेरणास्रोत मानती हैं. सुरेंद्र कहते हैं, मैं दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान हूं, जो मुझे कंचन जैसी पत्नी मिली. मेरे लिए तो हर रोज वेलेंटाइन डे है. वहीं, कंचन कहती हैं, कि मेरे लिए सुरेंद्र ही सबकुछ हैं. उनके बिना तो मैं अपनी कल्पना भी नहीं कर सकती है. बहरहाल आज वैलेंटाइन डे है, तो सुरेंद्र भी उन्हें गुलाब देकर प्रेम जताना नहीं भूले हैं.