कर्मनाशा. पहाड़ी इलाकों में अत्यधिक बारिश होने और यूपी के नौगढ़ व मूसाखाड़ बांध से पानी छोड़ जाने के कारण रविवार को कर्मनाशा नदी उफना गयी है. इस कारण नदी के तटीय इलाकों में पानी फैल गया है. इससे किसानों के सैकड़ों एकड़ खेतों में लगी धान की फसल पानी में डूब गयी है. नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ने के कारण बाढ़ आने की आशंका काफी बढ़ गयी है. दरअसल, पहाड़ी इलाकों में दो दिन से झमाझम बारिश हो रही है. इससे नौगढ़ बांध व मूसाखाड़ बांध में पानी लबालब भर गया है. लतीफ शाह वियर से पानी ओवरफ्लो होने लगा. इसके बाद शनिवार को नौगढ़ बांध से 10 हजार 800 क्यूसेक पानी छोड़ गया. मूसा खाड़ बांध से भी 26 हजार क्यूसेक पानी कर्मनाशा नदी में डिस्चार्ज किया जाने लगा. जबकि, लतीफ शाह वियर के ऊपर से भी पानी ओवरफ्लो होकर कर्मनाशा नदी में गिर रहा है. ऊपर से अत्यधिक पानी आने से कर्मनाशा नदी का जलस्तर शनिवार की रात से ही तेजी से बढ़ने लगा. देखते ही देखते देर रात तक कर्मनाशा नदी भी पूरी तरह से भर गया. रविवार की सुबह भी कर्मनाशा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा था. इससे कर्मनाशा नदी के तटीय इलाकों में बाढ़ का पानी तेजी से फैलने लगा. इससे किसानों के खेतों में लगी फसल पानी में डूबने लगी है. दुर्गावती प्रखंड क्षेत्र के खजुरा, सरैयां, ढङहर, कानपुर, धनसराय, लरमा, जमुरनी करारी व मसौढ़ा पंचायत के गांवों में बाढ़ का पानी फैलने लगा है. पानी के बढ़ते जलस्तर को देख ग्रामीण भी बाढ़ आने की संभावना से भयभीत हैं. वहीं, कर्मनाशा नदी के तटीय इलाके में बाढ़ का पानी घुसने से किसानों की सैकड़ों एकड़ धान की फसल पानी में डूब गयी है. इससे किसानों के सामने पशुओं के लिए चारा आदि की समस्या बढ़ गयी है. स्थिति यह हो गयी है कि नदी के किनारे बसे सरैया गांव के पश्चिम तरफ दो घर बाढ़ के पानी में घिर गये हैं. इसी तरह पानी बढ़ता रहा, तो नदी के तटीय इलाके के गांव बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं. नदी के कछार पर खेतों से बालू व मिट्टी निकाले जाने से स्थिति हुई बदतर दुर्गावती प्रखंड अंतर्गत खजुरा, सरैया, ढड़हर सहित अन्य गांवों के समीप वर्षों पूर्व कर्मनाशा नदी के कछार पर स्थित खेतों से बालू और मिट्टी अवैध ढंग से निकाल लिए जाने से नदी का तटबंध कट गया है. इससे बांधों में पानी छोड़े जाने से निचले इलाके में खजुरा, सरैयां, ढड़हर व राठी गांवों में सबसे पहले बाढ़ से प्रभावित होने की संभावना बढ़ गयी है. वैसे भी फसल डूब जाने से किसानों का काफी नुकसान होने की संभावना जतायी जा रही है. सबसे ज्यादा दिक्कत किसानों के पशुओं को चारा के लिए होगी, क्योंकि नदी किनारे खेतों में लगे पशुओं का चारा पानी में डूब गया हैं. किसानों को पूरी आशंका है की फसल बर्बाद होने के साथ पशुओं के चारे की किल्लत भी बढ़ जायेगी. क्षेत्र के किसानों ने जिलाधिकारी कैमूर का ध्यान इस गंभीर समस्या की ओर आकृष्ट कराया है.
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