भभुआ सदर.
माॅनसून के आने में कुछ दिन शेष है. बरसात में जलजमाव की समस्या से निबटने के लिए नगर पर्षद की ओर से रात में भी शहर के सभी बड़े नालों की सफाई करायी जा रही है. मुख्य नाले व उपनालों की सफाई करायी जा रही है. इसके बावजूद लेबल बराबर नहीं रहने और अतिक्रमण की वजह से नालों की सफाई कोई काम नही आ रही है. क्योंकि सफाई के बावजूद हाल फिलहाल हुई हल्की बारिश में ही जलजमाव हो जा रहा है. जबकि, अभी पूरी बरसात बाकी है. गौरतलब है कि भभुआ शहर में दो दशकों से बरसात के मौसम में जलजमाव की समस्या बढ़ जाती है. जिला मुख्यालय की कई सड़कें पखवारों तक तालाब बनी रहती हैं. कई मुहल्ले टापू में तब्दील हो जाते हैं. जलजमाव के कारण शहरी जनजीवन अस्त-व्यस्त रहता है. आलम यह होता है कि जगह-जगह सड़कें टूटती हैं, तो कई घरों, दुकानों और गोदामों में नाले का पानी प्रवेश कर जाता है. सरकारी खजाना तो खाली होता ही है, आम आदमी और दुकानदारों-व्यवसायियों को भी क्षति उठानी पड़ती है. बारिश के सीजन में प्रमुख बाजार पानी-पानी होता है, तो सड़कों -गलियों में कीचड़ का साम्राज्य फैला होता है.= हर साल होती है कवायद, लेकिन नहीं मिलता जलजमाव से छुटकाराऐसा नहीं है कि नगर पर्षद इससे मुक्ति के लिए प्रयास नहीं करती है. हर साल नाला उड़ाही पर नगर पर्षद लाखों रुपये पानी की तरह बहा देती है, लेकिन हर बरसात के सीजन में बारिश का पानी शहर से बाहर नहीं बह पाता है. बरसात के पहले तक योजनाएं बनती हैं और धरातल पर उतरते-उतरते बारिश का मौसम ही खत्म हो जाता है. शहरवासी वर्षों से जलजमाव की समस्या से जूझ रहे हैं. इससे मुक्ति दिलाने को बड़ी-बड़ी घोषणाएं हुई, लेकिन, ईमानदारी से काम किसी पर भी नहीं हुआ. इधर, नगर विकास विभाग ने 31 मई तक शहर के सभी प्रमुख नालों के उड़ाही का अल्टीमेटम दिया है और प्रशासनिक पदाधिकारियों को दशकों पुरानी जलजमाव की समस्या को दूर करने की जिम्मेदारी सौंपी है.
= लूट-खसोट व बगैर योजना के नालों-उपनालों के निर्माण से आती है समस्यादरअसल पिछले 30 साल से नगर पर्षद क्षेत्र में हर साल नाले-नालियों के निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं. लेकिन, बरसात के आते ही जलजमाव की समस्या जस की तस बनी रह जाती है. इसके लिए जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक पदाधिकारी, कर्मी और ठेकेदार सभी जिम्मेवार हैं. क्योंकि, एक तरफ जिला मुख्यालय में तेजी से आबादी बढ़ रही है. नगर पर्षद क्षेत्र का दायरा भी बढ़ रहा है. वहीं, दूसरी तरफ संसाधन कम पड़ते जा रहे हैं. शहर के रहनेवाले पूजन यादव, जयप्रकाश सिंह, आमिर खान, संजय आर्य, उदय शंकर राय आदि का कहना था कि नगर पर्षद के द्वारा कई साल से बिना योजना के नाले व नालियों के निर्माण में करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाया गया. शहर के कई नये बसे मुहल्ले व आबाद इलाके में नालियों को नाले के लेबल का बनाते हुए चौड़े और गहरे होने थे और बढ़ती आबादी के साथ ड्रेनेज और सीवरेज सिस्टम का विकास करना चाहिए था. लेकिन, बिना किसी योजना के नाले-नालियों का निर्माण जारी है. ऐसे में नालों और उपनालों के लाख सफाई कराने के बाद भी पिछले साल की तरह ही इस बार भी बरसात में शहर का डूबना लाजिमी हैं.= अनियमितता के आगे शहर में मुख्यमंत्री के सात निश्चय योजना भी फेलऐसा नहीं है कि सरकार इन क्षेत्रों के विकास को लेकर योजनाएं नहीं देती. मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत ही गली-नाली पक्कीकरण, हर घर नल का जल, हर घर बिजली जैसी कई महत्वाकांक्षी कार्य हैं. लेकिन, इनमें अधिकतर नगर पर्षद क्षेत्र के वार्डों और मुहल्लों में सुचारु रूप से क्रियान्वित नहीं हो पाते. क्योंकि शहर के विकास को लेकर दस योजनाएं पारित होती है, तो सिर्फ एक योजना ससमय पूरा हो पाता है. बाकी नौ योजनाओं को पूरा होने में समय लग जाता है. समय पर योजना पूरी नहीं होने से नागरिकों को उसका लाभ नहीं मिल पाता. शहर में कई योजनाएं तो वर्षों से लंबित पड़ी है. लंबे समय से कई योजनाओं के पूरा नहीं होने से भी समस्याएं जस की तस बनी हैं. इधर, शहर की विकास योजनाओं में संवेदकों की मनमानी हमेशा अधिकारियों पर हावी रही है. हालांकि, विकास योजनाओं को नहीं पूरा करनेवाले संवेदकों या एजेंसियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है. लेकिन, ऐसा होता नहीं हैं. ऐसे में वर्षों से चली आ रही समस्याएं कभी जड़ से खत्म नहीं होती.
= वार्डवार जलजमाव से मुक्ति के लिए ड्रेनेज सिस्टम जरूरी- वार्डों के नाले-नालियों से जलनिकासी की पर्याप्त व्यवस्था- नाले-नालियों और सड़कों के निर्माण के पूर्व प्लानिंग- शहर में अनुपयोगी नालियों के निर्माण पर रोक लगे- जलजमाव से मुक्ति को लेकर बड़ी राशि का आवंटन- योजना बनाकर वार्डवार विकास कार्य को मूर्त रूप देना- नाला जाम करनेवालों पर दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान- कूड़ा-कचरा निस्तारण योजना को सही से लागू करने की जरूरतडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है