रामपुर.
करोड़ो रुपये खर्च होने के बाद भी दामोदरपुर प्राथमिक विद्यालय के भवन की स्थिति जर्जर अवस्था में है, लगातार बरसात होने से आये दिन छत में लगे पटिया सहित दीवार से प्लास्टर गिर रहा है. इसके चलते बच्चों को बरामदे में बैठा कर पढ़ाया जा रहा था. उक्त विद्यालय को डीइओ राजन कुमार के आदेश पर बगल के गांव बनौली प्राथमिक विद्यालय में शिफ्ट किया जा रहा है. जानकारों का कहना है कि दामोदरपुर प्राथमिक विद्यालय के भवन का निर्माण सन 2000 (दो हजार) में कराया गया था, तब से लेकर आज तक कभी भवन की मरम्मत नहीं करायी गयी. विद्यालय भवन का आलम यह है कि पटिया, छत का प्लास्टर सहित दीवार का प्लास्टर कब बच्चाें व शिक्षक पर गिर जाये कहा नहीं जा सकता. ऐसी स्थिति में किसी बड़े हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता. विद्यालय के बच्चे और शिक्षक सुरक्षित नहीं थे. उक्त विद्यालय में 32 बच्चे बच्चियां नामांकित है, जिसने 13 छात्र, 18 छात्राएं एवं चार शिक्षक शिक्षिकाएं कार्यरत हैं. लेखापाल हिमांशु शेकर पांडेय ने गुरुवार को बताया की प्राथमिक विद्यालय दामोदरपुर, रामपुर के प्रधान शिक्षिका सविता देवी ने आवेदन के माध्यम से सुचित किया था कि विद्यालय का भवन जर्जर हो चुका है. दीवाल द छत टूटने की स्थिति में हैं भवन के छत एवं दीवार का हिस्सा कभी भी टूट कर गिरता रहता है. प्राथमिक विद्यालय दामोदरपुर, रामपुर की प्रधान शिक्षिका से प्राप्त आवेदन के आलोक में डीइओ श्री कुमार के सम्यक विचारोपरांत तथा विद्यालय के बच्चों एवं शिक्षकों के सुरक्षा के दृष्टिकोण से शैक्षणिक गतिविधियों के निर्बाध एवं सफल संचालन के लिए प्राथमिक विद्यालय दामोदरपुर को नजदीक के प्राथमिक विद्यालय बनौली, रामपुर में अगले आदेश तक के लिए शिफ्ट किया जाता है. साथ ही प्रधान शिक्षिका, प्राथमिक विद्यालय दामोदरपुर को निर्देश दिया जाता है कि प्राथमिक विद्यालय बनौली, रामपुर में तत्काल शिफ्ट करते के लिए विद्यालय का संचालन कराना सुनिश्चित करें, यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा.– शिफ्ट हाेने के बाद भी अभिभावकों को सता रहा सड़क हादसे का डरप्राथमिक विद्यालय बनौली में शिफ्ट हाेने के बाद छोटे नन्हें मुन्हे बच्चे 500 मीटर अपने गांव से मुख्य सड़क के रास्ते विद्यालय में पढ़ने आयेंगे, यहां भी उनके साथ कब घटना दुर्घटना घट जाये कहना मुश्किल है. अभिभावकों का कहना है कि यदि बच्चों के साथ कोई घटना दुर्घटना होती है, तो इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा. उनका कहना है कि करोड़ों रूपये हर वर्ष शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालयों के विकास के लिए खर्च किया जाता है, यदि समय रहते विभाग एवं पदाधिकारी द्वारा ध्यान दिया गया होता, तो आज भवन जर्जर स्थिति में नहीं होता, न ही उक्त विद्यालय को दूसरे विद्यालय में शिफ्ट करने की नौबत नही होती.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

