चैनपुर. चैनपुर प्रखंड के वीरना मौज में मंगलवार को बनारस-रांची कोलकाता एक्सप्रेसवे के लिए अधिग्रहित भूमि पर लगी धान की फसल को जेसीबी से रौंद दिया़ इसके बाद काम शुरू कराया गया़ इससे आक्रोशित किसानों ने बुधवार को उक्त जमीन पर कोई भी काम करने नहीं दिया़ प्रशासन मंगलवार की तरह अधिग्रहित जमीन पर काम शुरू करने के लिए पूरी तैयारी के साथ आया था़ लेकिन, किसानों के विरोध धरना व प्रदर्शन को देखते हुए बगैर काम की ही वापस लौटना पड़ा़ उक्त जमीन पर काम करने के लिए जिला प्रशासन के अधिकारी जेसीबी मशीन सहित बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ विरना मौजा के अधिग्रहित जमीन पर पहुंचे थे़ लेकिन, जब अधिकारियों ने यह देखा कि विरोध के लिए बड़ी संख्या में किसानों के साथ राजनीतिक दल के लोग भी वहां पर आ गये हैं. साथ ही धरना देते हुए सरकार व प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की जा रही है, तब जिला प्रशासन के लोग काम करने के बजाय वापस लौटना बेहतर समझा. किसानों का स्पष्ट रूप से कहना था कि जब तक की अधिग्रहित जमीन के मुआवजे की राशि उनके खाते में नहीं आ जाती है, तब तक वह अपनी जमीन पर काम नहीं करने देंगे़ इसके साथ ही किसानों ने अब नया मांग रखा है कि जमीन पर काम शुरू करने के लिए प्रशासन दिसंबर महीने तक इंतजार करें, जब जमीन पर लगी धान की कटनी हो जायेगी, तब मुआवजे की भुगतान के बाद इस पर काम करना शुरू करें.
किसानों के समर्थन में उतरे राजनीतिक दल के लोग
एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए मंगलवार को निर्माण एजेंसी द्वारा अधिग्रहित की गयी जमीन पर जेसीबी से धान के फसल रौंदने का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, वैसे ही विभिन्न राजनीतिक दलों के लोग सक्रिय हो गये़ राष्ट्रीय जनता दल के बक्सर से सांसद सुधाकर सिंह ने वीडियो को अपने सोशल मीडिया अकाउंट से शेयर करते हुए उक्त कार्रवाई को एक्सप्रेसवे निर्माण के नाम पर किसानों के ऊपर अत्याचार बताया और इसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किए जाने की बात लिखी़ वहीं, आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए कई राजनीतिक दल के लोग भी किसानों के इस आंदोलन के समर्थन में बुधवार को किसानों के धरना-प्रदर्शन एवं विरोध में शामिल हुए़ धरना स्थल पर राष्ट्रीय जनता दल के भोला यादव भाजपा के विमलेश पांडे सहित कई अन्य नेता मौजूद रहे़ उन्होंने प्रशासन के द्वारा एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए किया जा रहे कार्यों का विरोध किया गया.पहले मुआवजा भुगतान, तब प्रशासन करे काम
वाराणसी से रांची होते हुए कोलकाता तक बनने वाले एक्सप्रेसवे के लिए जमीन का अधिग्रहण का कार्य पूरा कर लिया गया है़ एक्सप्रेसवे का कार्य समय से पूरा हो इसके लिए प्रशासन एक्सप्रेसवे के लिए चिह्नित जमीन पर किसानों ने धान की फसल लगायी थी़ जिसे प्रशासन द्वारा नष्ट किया जा रहा है. प्रशासनिक पदाधिकारी का कहना था कि एक्सप्रेसवे के लिए सीमांकन किए गए भूमि पर किसी भी तरह की खेती नहीं करनी थी, लेकिन किसानों के द्वारा इस पर धान की रोपनी की गयी है. प्रशासन के मुताबिक एक्सप्रेस वे का कार्य शुरू है, लेकिन फसल लगे होने के कारण आगे का कार्य अवरोध हो रहा है़ इसको देखते हुए इस तरह का कदम उठाये जा रहे है़ वहीं, किसानों का कहना था कि प्रशासन के द्वारा उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा है. किसान नेता विमलेश पांडेय व अभिमन्यु सिंह ने बताया कि इसी जिले में सीवों मौजा में किसानों को एक करोड़ 30 लाख प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजे की भुगतान की गयी है़ जबकि चैनपुर प्रखंड के किसानों को 28 लाख रुपए प्रति एकड़ के दर से मुआवजे की राशि दी जा रही है, जो कि कहीं से भी न्यायोचित नहीं है.
धान की फसल काटे बगैर नहीं करने देंगे काम
बुधवार को करवंदिया गांव के समीप किसानों की हुई महा जूटान में काफी संख्या में किस पहुंचे थे़ किसानों ने पूरे दिन धूप में बैठकर प्रदर्शन किया़ इस दौरान सरकार एवं प्रशासन के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की. फसल नष्ट किये जाने से नाराज किसानों ने प्रशासन के विरुद्ध नारेबाजी करते हुए उचित मुहावरे के साथ-साथ समय देने की भी मांग रखी. किसानों ने कहा कि एक्सप्रेस के लिए अधिग्रहित भूमि का मुआवजा जिन किसानों को नहीं दिया गया है, उनकी फसल को नुकसान न पहुंचा जाए और उन्हें दो से तीन महीने का समय दिया जाए़ इससे वह अपनी फसल को काट सके. इस दौरान उनकी अधिग्रहित भूमिका उचित मुआवजे की राशि का भुगतान भी किया जाए़ इसके बाद एक्सप्रेसवे का काम शुरू किया जाये, लेकिन प्रशासन उनकी मांगों को मानने को तैयार नहीं था़ जिससे पूरे दिन हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा.क्या कहते है अनुमंडलाधिकारी
काम शुरू कराने गये भू-अर्जन पदाधिकारी संजीव कुमार सज्जन एवं अनुमंडल पदाधिकारी भभुआ अमित कुमार काफी लंबे समय तक वहां मौजूद रहकर काम शुरू कराने के बाबत मंथन करते रहे़ लेकिन विरोध को देख उन्हें बुधवार की शाम को निराश होकर वापस लौटना पड़ा़. इधर, अनुमंडलापदाधिकारी ने बताया कि अलग-अलग सर्किल रेट होता है और उसी के हिसाब से किसने की भूमि का चार गुना मुआवजा दिया जा रहा है और जहां कहीं किसानों को परेशानी हुई, तो वहां चार गुना का भी दोगुनी राशि का भुगतान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यदि किसी भी किसान को लगता है कि उन्हें मुआवजे की राशि कम दी जा रही है़ सक्षम न्यायालय में इसकी शिकायत दर्ज कर सकते हैं और न्यायालय के निर्देश पर मुआवजा की राशि के भुगतान की जायेगी़ उन्होंने बताया कि इस तरह से एक्सप्रेसवे का काम रोकना कहीं से भी न्याय संगत नहीं है.
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