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आज चंद्रग्रहण के साथ होगी 15 दिवसीय पितृपक्ष की शुरुआत

21 सितंबर को आश्विन अमावस्या के साथ होगा पितृपक्ष का समापन

भभुआ सदर. पितरों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का पर्व पितृपक्ष आज से आरंभ हो रहा है. पितृपक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है. पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने, उनकी पूजा-आराधना और तर्पण-अर्पण के विधान इस बार सात सितंबर रविवार को आज भाद्रपद पूर्णिमा के दिन पूर्णिमा तिथि के श्राद्ध से आरंभ होगा. पितृपक्ष का विधिवत आरंभ आश्विन कृष्ण प्रतिपदा आठ सितंबर से होगा. इस दिन प्रतिपदा का श्राद्ध किया जायेगा. ज्योतिषशास्त्री उपेंद्र तिवारी व्यास के अनुसार श्राद्ध और तर्पण का मूल आधार अपनी कृतज्ञता और आत्मीयता व सात्विक वृत्तियों को जागृत रखना है़ और इस भौतिकतावादी युग में इन प्रवृत्तियों को जीवित, जागृत रखना संसार की सुख-शांति के लिए नितांत आवश्यक भी है.

चंद्रग्रहण से होगी पितृपक्ष की शुरुआत

पंडित उपेंद्र तिवारी व्यास के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा छह सितंबर की आधी रात के बाद 12.57 बजे से लग जायेगी, जो सात सितंबर की रात 11.47 बजे तक रहेगी. श्राद्ध की पूर्णिमा सात सितंबर को आज होगी़ इसमें अपने मातृ कुल के पितरों का श्राद्ध तर्पण-अर्पण किया जायेगा. इसी रात में खग्रास चंद्रग्रहण भी होगा, जो पूरे भारत में दृश्यमान होगा. चंद्रग्रहण रात में 9:52 बजे से आरंभ होकर 1:27 बजे तक रहेगा और चंद्रग्रहण का मोक्ष होते ही आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि लग जायेगी, इसलिए प्रतिपदा का श्राद्ध आठ सितंबर को होगा.

12 सितंबर को एक ही दिन होगा पंचमी और षष्ठी का श्राद्ध

इसके अलावे 12 सितंबर को दोपहर 1.20 बजे तक पंचमी है. इसके बाद षष्ठी तिथि लग जायेगी, जो 13 सितंबर सुबह 11.04 बजे तक रहेगी. पिंडदान, तर्पण में दोपहर 12 से दो बजे तक तिथि होना अनिवार्य है. ऐसे में 12 सितंबर को पंचमी व षष्ठी तिथि का श्राद्ध किया जायेगा. सनातन संस्कृति में पितरों को समर्पित यह पक्ष 21 सितंबर आश्विन अमावस्या तक रहेगा और 22 सितंबर को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से मां आदिशक्ति की आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र आरंभ हो जायेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा को पूर्णिमा श्राद्ध होता है. पूर्णिमा के बाद एकादशी, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्टी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या श्राद्ध आता है. इन तिथियों में पूर्णिमा श्राद्ध, पंचमी, एकादशी और सर्व पितृ अमावस्या का श्राद्ध प्रमुख माना जाता है.

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