कर्मनाशा, दुर्गावती. जिले के दुर्गावती प्रखंड अंतर्गत कई गांवों में बाढ़ के पानी से सैकड़ों एकड़ से अधिक धान की फसल बर्बाद हो गयी है. किसानों ने सरकार और प्रशासन से जल्द कार्रवाई कर उचित मुआवजे की मांग की है. किसानों के सामने यह समस्या दुर्गावती व कर्मनाशा नदी के उफान पर आने के कारण आयी है, जिससे क्षेत्र के किसानों को भारी नुकसान हुआ है. सबसे अधिक नुकसान निपरान व चोगड़ा गांव के किसानों के धान की फसल की हुई है. वैसे, दुर्गावती व कर्मनाशा नदी के तटीय इलाके के सभी गांव के किसानों की अरहर, चरी, बाजारी व धान की फसल भी नष्ट हो गयी है. निपरान गांव के किसानों की धान की फसल अभी भी पानी में डूबी है और गांव के रास्ते पर दो फुट पानी बह रहा है. वहीं, जहां-जहां बाढ़ का पानी घट गया है, फसलों के सड़ने से दुर्गंध आने लगी है, जिससे लोगों की परेशानी और बढ़ गयी है. स्थानीय लोगों के साथ बक्सर सांसद सुधाकर सिंह द्वारा भी बिहार सरकार को पत्र भेज कर जिले के बाढ़ग्रस्त इलाकों में बाढ़ से क्षति हुई फसलों की किसानों को आर्थिक सहायता देने की मांग की गयी है. – सरियांव गांव व कुहीरा सिवान के आधे भु-भागमें छठे दिन भी डूबी रही धान की फसल स्थानीय प्रखंड क्षेत्र के निचले इलाके के बधारों में छठे दिन गुरुवार को भी जलजमाव की स्थिति बनी रही, ऐसे में जिन बधारों की ओर जलजमाव है वैसे किसानों की उम्मीद पूरी तरह टूट चुकी है. पानी खिसकने के बाद भी खेतों में खड़े धान की फसल पर मिट्टी का हल्की परत दिख रही है, तो कहीं खेतों में झुकी व पसरी नजर आ रही है, जिसे किसान अपने परिवार की जिंदगी और भविष्य का सहारा मान रहे थे, वह बाढ़ की वजह से बर्बाद नजर आ रही है. सरियाव गांव के किसान रामा बिंद, मुनिब कुमार बिन्द, सुलम बिंद, ऊदल पासवान, मुरारी पासवान आदि कहते हैं कि पिछले दिनों हुई भारी बारिश व नदियों के उफान से उनकी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गयी है. गोरार गांव के मध्यम व छोटे तबके के किसानों में शामिल बंशु यादव, सुबेदार राम, छब्बन राम, बिजय पाल आदि कहते हैं कि जलजमाव घटने के बाद धान की फसलों में काफी नुकसान देखा जा रहा है, जो बची भी है वह बदरंग हो गयी है. मनोहरपुर के किसान सुधार यादव, मनोज यादव, डहला के रामाशंकर, राम अवतार यादव आदि कहते हैं कि पानी में डूबने से अगैती धान की फसलों में शामिल सम्पूर्णा, कृष्णा, सोनम के अलावा श्रीराम गोल्ड जैसे धानों में ज्यादा बर्बादी देखी जा रही है. वहीं, रेणे पर आयी नाटी मंसूरी जैसे धानों पर भी काफी बुरा असर पड़ा है – कहते हैं बाढ़ से जूझते दुर्गावती क्षेत्र के किसान किसानों का कहना है कि हर साल बाढ़ आने से उनकी फसलें बर्बाद हो जाती है, लेकिन किसानों को उचित मुआवजा नहीं मिलता है. स्थानीय किसानों अक्षय पासवान, मिथिलेश सिंह, मनोज राजभर, चंद्रशेखर यादव, राधेश्याम साहनी आदि ने बताया कि बाढ़ का पानी लगभग छह दिनों तक खेतों में जमा रहने से धान, चरी, अरहर, बाजरा व सब्जी की फसलें सड़ गयी हैं. इसमें दुर्गावती प्रखंड अंतर्गत धनसराय, सरैया, निपरान, कानपुर, ढड़हर, नुआव, मसौढा, बहेरा डहला, चेहरिया, चोगड़ा, बभनपुरा, सरियांव, गोरार, दुर्गावती सहित करीब एक दर्जन गांवों के किसानों की सैकड़ों एकड़ फसलें नष्ट हुई है. बाढ़ उतरने के बाद अब धान की फसल के सड़ने से दुर्गंध से भी ग्रामीण काफी परेशान हैं. किसानों ने सरकार से पीड़ित किसानों को तत्काल मुआवजा देने की अपील की है. उन्होंने स्थानीय प्रशासन से भी केवल सर्वे रिपोर्ट बनाने के बजाय जमीनी स्तर पर ठोस कदम उठाने का आग्रह किया है, ताकि हर साल होने वाले इस भारी नुकसान से किसानों को राहत मिल सके. किसानों ने की सरकार से राहत देने की अपील निपरान गांव निवासी मिथिलेश सिंह ने किसानों की बर्बाद हुई फसल पर चिंता व्यक्त की और सरकार से मुआवजे की मांग की है. उन्होंने कहा कि यदि सरकार पीड़ित किसानों को मुआवजा देती है, तो उन्हें काफी राहत मिलेगी. उन्होंने बताया कि निपरान गांव के किसानों की काफी फसल अभी भी बाढ़ के पानी में डूबी है. किसानों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गयी है, अरहर, चरी, बाजरा व धान की फसल पूरी तरह नष्ट हो गयी है, अभी भी गांव के रास्ते पर पानी बह रहा है. पीड़ित किसानों को इस समय सरकार से सहायता की सख्त जरूरत है. क्या कहते हैं अधिकारी इस संबंध में पूछे जाने पर अंचलाधिकारी दुर्गावती सदानंद कुमार ने बताया कि फसल क्षति का आकलन करके ऊपर रिपोर्ट भेजी जायेगी. जिस किसान का भी फसल क्षति का आवेदन आयेगा, उनका कर्मचारी से रिपोर्ट करा कर मुआवजा के लिए डिमांड करेंगे.
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