भभुआ. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के आदर्श आचार संहिता लगने के बाद जिले के माननीय जनप्रतिनिधियों के कोटे की कई योजनाएं भी फंस गयी हैं. गत विधानसभा सत्र में इन जनप्रतिनिधियों के कोटे से 1313 योजनाओं को प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान किया गया था, जिसमें से आचार संहिता लगने के पूर्व 1013 योजनाओं का काम ही पूरा किया जा सका है. गौरतलब है कि सरकार द्वारा विधायकों तथा विधान परिषद के सदस्य एमएलसी को अपने क्षेत्र में विकास का काम करने के लिए एक निश्चत राशि दी जाती है. उस राशि के आलोक में जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र में विकास को लेकर योजनाओं की अनुशंसा करते हैं. इसके बाद उक्त योजनाओं का काम मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना विभाग के माध्यम से राशि का आवंटन किया जाता है, जिसके बाद योजनाओं का काम आरंभ कराया जाता है. इधर, इस संबंध में जब जिला योजना पदाधिकारी राजीव रंजन से बात की गयी, तो उन्होंने बताया वित्तीय वर्ष 2020-21 से लेकर वित्तीय वर्ष 2025-26 में आचार संहिता लगने के पहले जनप्रतिनिधियों के कोटे से कुल 1313 योजनाओं को प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान किया गया था, जिसमें से 1013 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं. इन योजनाओं में भभुआ विधायक भरत बिंद की 347 योजनाओं में 53 योजनाएं अपूर्ण है. चैनपुर विधायक मो जमा खां की 433 योजनाओं में से 131 योजनाएं अपूर्ण है. वहीं, अब सांसद बन चुके पूर्व के रामगढ़ विधायक सुधाकर सिंह की वित्तीय वर्ष 2023-24 तक तथा उपचुनाव में रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने अशोक कुमार सिंह की वित्तीय वर्ष 2024-25 से वित्तीय वर्ष 2025-26 की कुल 211 योजनाओं में 44 अपूर्ण, मोहनिया विधायक संगीता कुमारी की कुल 186 योजनाओं में 64 योजनाएं अपूर्ण हैं. इसी तरह विधान परिषद के सदस्य एमएलसी संजीव श्याम सिंह, जीवन कुमार, अवधेश नारायण सिंह, निवेदिता सिंह तथा संतोष कुमार सिंह कुल 136 योजनाओं में से आठ योजनाओं का काम पूरा नहीं किया जा सका है. उन्होंने बताया कि इन योजनाओं का क्रियान्वयन आचार संहिता लगने के बाद भी तभी हो सकता है, जब इन योजनाओं का शिलान्यास किया जा चुका है. जबकि, आचार संहिता लगने के बाद जनप्रतिनिधियों की लगभग डेढ़ दर्जन योजनाओं को प्रशासनिक स्वीकृति देने की प्रक्रिया बंद कर दी गयी है. = जनप्रतिनिधियों के कोटे में सरकार ने अब तक दिये 76 करोड़ 38 लाख रुपये गत विधानसभा के सत्र वित्तीय वर्ष 2020-21 से लेकर वित्तीय वर्ष 2025-26 तक आचार संहिता लगने के बाद माननीयों के कोटे पर सरकार ने 76 करोड़ 38 लाख रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की थी. इसमें सबसे अधिक रुपये भभुआ विधायक भरत बिंद की योजनाओं पर 16 करोड़ 76 लाख, संयुक्त विधायक रामगढ़ सुधाकर सिंह तथा अशोक सिंह के कोटे पर 16 करोड़ 72 लाख, मोहनिया विधायक संगीता कुमारी के कोटे पर 16 करोड़ 34 लाख तथा चैनपुर विधायक जमा खां के कोटे पर 16 करोड़ 13 लाख रुपये सरकारी राशि की प्रशासनिक स्वीकृति दी जा चुकी थी. जिला योजना पदाधिकारी ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2022 में जनप्रतिनिधियों को एक करोड़, 2022-23 में दो करोड़ तथा 2022-23 से लेकर 2025 तक चार करोड़ रुपये का कोटा दिया गया था.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

