मोहनिया सदर. विगत 25 फरवरी को आपके अपने समाचार पत्र प्रभात खबर ने महज 50 मीटर दूरी पर है ओवरब्रिज फिर भी लोग करते है रेलवे ट्रैक को पार नामक शीर्षक से कुछ लोगों द्वारा रेलवे ट्रैक को पार करते हुए तस्वीर के साथ खबर को प्रकाशित किया था. खबर छपने के तीन दिन बाद ही रेल प्रशासन द्वारा डड़वा टैक्सी स्टैंड के समीप वाले रेलवे ट्रैक की घेराबंदी करवा दी गयी, इसके बावजूद उक्त स्थान पर लोग जान हथेली पर लेकर रेलवे ट्रैक पार करने से बाज नही आ रहे हैं, जबकि उक्त स्थान पर पांच से छह रेल लाइनें एक के बाद एक गुजरती है, जिसमें रेलवे माल गलियारा भी शामिल है. अब सवाल यह उठता है कि रेलवे द्वारा बनाये गये कानून का अनुपालन करने व कराने की जिम्मेदारी जिस रेल पुलिस के कंधों पर दी गयी है, आज वही रेल पुलिस अपनी जिम्मेदारियों से क्यों विमुख हो गयी है. यदि रेलवे ट्रैक पार करने वाले लोगों पर रेल पुलिस कानूनी कार्रवाई करती और उन पर नियमानुसार जुर्माना लगती तो शायद इस तरह लोग रेलवे ट्रैक पार नहीं करते. रेलवे की सुरक्षा के लिए रेल प्रशासन अपने रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ घेराबंदी कर रही है, जिससे कि इंसान व पशु रेलवे ट्रैक पर नहीं जा सके. घेराबंदी वाले स्थान पर पशु तो रेलवे ट्रैक पर नहीं जा रहे हैं, लेकिन इंसान नियमों की अनदेखी कर घेराबंदी के नीचे से घुसकर जान के जाेखिम के बावजूद रेलवे ट्रैक पार करने से तनिक भी परहेज नहीं कर रहे हैं. खास बात यह भी है कि रेलवे पुलिस को इसकी जिम्मेदारी दी गयी है, लेकिन वह भी अपनी जिम्मेदारियों से विमुख नजर आ रही है. # गलत तरीके से रेलवे ट्रैक पार करने पर जर्माना व सजा का प्रावधान रेल विभाग के अपने अलग कानून है, जिसका अनुपालन सभी को करना होता है. रेलवे एक्ट 147 स्पष्ट रूप से इस बात का उल्लेख करता है कि प्रतिबंधित क्षेत्र में या अनधिकृत तौर पर प्रवेश करना एक जुर्म है, रेल एक्ट 147 का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति पर 1000 रुपये अर्थदंड से लेकर 06 माह के कैद या फिर दोनों सजा का प्रावधान है. लेकिन, विडंबना तो यह है कि रेल अधिनियम की सुसंगत धाराओं का अनुपालन करने व कराने की जिम्मेदारी जिनके कंधों पर रेल सरकार द्वारा दी गयी है, वही अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ ले रहे हैं. जबकि, जिस स्थान पर बड़ी संख्या में लोग रेलवे ट्रैक को पार करते हैं, वहां से महज 500 मीटर की दूरी पर पश्चिम तरफ रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) व राजकीय रेल पुलिस (जीआरपी) का थाना अवस्थित है. यदि राजकीय रेलवे पुलिस घेराबंदी के बावजूद रेलवे ट्रैक पार करने वाले लोगों को पकड़ती और उन पर जुर्माना लगाती या फिर कानूनी कार्रवाई करती तो शायद इस तरह से लोग रेलवे द्वारा बनाये गये नियमों का उल्लंघन नहीं करते. लेकिन रेल पुलिस अपनी जिम्मेदारियों से पूरी तरह मुंह मोड़ चुकी है, जबकि उक्त स्थान से 50 मीटर पूरब और पश्चिम रेलवे ट्रैक पर कई हादसे भी हो चुके हैं. इसमें रेल लाइन को पार करने वाले आम लोगों से लेकर रेल कर्मचारियों की भी ट्रेन की चपेट में आने से मौतें हो चुकी है. वहीं, जिस स्थान पर बड़ी संख्या में लोग रेलवे ट्रैक पार करते हैं उससे पूरब महज 50 मीटर की दूरी पर ओवरब्रिज बनाया गया है यदि ओवरब्रिज के सहारे लोग रेलवे ट्रैक को पार करते, तो शायद कोई अप्रिय घटना नहीं घटती. # बोले जीआरपी थानाध्यक्ष इस संबंध में पूछे जाने पर भभुआ रोड जीआरपी थाना अध्यक्ष मुन्ना कुमार ने कहा कि रेलवे ट्रैक पार करने से लोगों को रोकना आरपीएफ का कार्य है. # बोले आरपीएफ इंचार्ज इस संबंध में पूछे जाने पर भभुआ रोड आरपीएफ इंचार्ज रामजी लाल बुनकर ने कहा कि स्टेशन पर रेलवे ट्रैक पार करने वाले कई लोगों को पकड़ा गया, जुर्माना भी लगाया जा चुका है उस स्थान पर भी कार्रवाई की जायेगी.
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