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Kaimur News : कटराकलां बिस्कोमान बंद, हजारों किसानों को खाद के लिए होगी फजीहत

प्रखंड क्षेत्र के पूर्वी भाग में एनएच 319 के किनारे अवस्थित कटराकलां बिस्कोमान को बंद कर दिया गया है

मोहनिया सदर. प्रखंड क्षेत्र के पूर्वी भाग में एनएच 319 (एनएच 30) के किनारे अवस्थित कटराकलां बिस्कोमान को बंद कर दिया गया है, जिससे क्षेत्र की 10 पंचायतों के हजारों किसानों को खरीफ फसल के लिए इस बार कटराकलां बिस्कोमान से खाद नहीं मिलेगी, जिससे इस क्षेत्र के किसानों को खाद के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. कटराकलां बिस्कोमान के बंद होने से मोहनिया बाजार समिति डड़वा में अवस्थित बिस्कोमान के साथ अन्य रजिस्टर्ड खाद दुकानों पर भी खाद को लेकर अतिरिक्त लोड बढ़ जायेगा और मारामारी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. कटराकलां बिस्कोमान के संचालित होने से पूर्वी क्षेत्र के किसान उक्त बिस्कोमान से ही अपनी आवश्यकतानुसार खाद ले लिया करते थे, जिससे प्रखंड के पूर्वी भाग का लोड मोहनिया बिस्कोमान पर नहीं पड़ता था, लेकिन इस बार खाद को लेकर स्थिति काफी भयावह हो सकती है, क्योंकि 10 पंचायत के हजारों किसान खरीफ फसल में धान की रोपनी के लिए खाद को लेकर मोहनिया बिस्कोमान पर ही निर्भर हो जायेंगे. किसानों को हर बार खरीफ व रबी फसलों की बुआई के समय खाद की किल्लत का सामना करना पड़ता है. 17 जनवरी 2019 को रबी फसल की बुआई को लेकर कटराकलां बिस्कोमान पर खाद के लिए सिलौंधा व कटराकला गांव के किसानों के बीच विवाद हो गया था, जिसमें दोनों तरफ से 15-20 राउंड गोलियां चली थीं, गोली से तो कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन ईंट, पत्थर और लाठियां चलने से सिलौंधा गांव के छह लोग घायल हो गये थे. # 2017 में खुला था कटराकला बिस्कोमान इस क्षेत्र के किसानों के खाद की समस्याओं को देखते हुए वर्ष 2017 में कटराकलां में एनएच 319 के किनारे एक निजी गोदाम में बिस्कोमान संचालित किया गया था. इसकी भंडारण क्षमता 950 एमटी बतायी जाती है. इस क्षेत्र के किसानों की माने तो रबी और खरीफ फसलों के लिए उक्त बिस्कोमान में 24000 बोरी खाद आया करती थी, जिसमें खरीफ फसल के लिए 3000 बोरी यूरिया, 3000 बोरी डीएपी, 3000 बोरी एनपी और 3000 बोरी एपीएस व सागरिक आती थी. इतनी ही खाद रबी फसल के लिए भी आया करती थी. इस बिस्कोमान के संचालित होने से पूर्वी क्षेत्र के दो प्रखंड मोहनिया व कुदरा की 10 पंचायतों के किसानों को आसानी से कटराकलां बिस्कोमान से खाद मिल जाती थी, जिससे उनको मोहनिया बिस्कोमान या किया अन्य खाद दुकानों पर निर्भर नहीं होना पड़ता था # अभी से दुकानों पर यूरिया मिलने लगा 330 रुपये बोरा अभी तो खेतों में डाले गये धान के बिचड़े तैयार भी नहीं हुए हैं कि प्रखंड के पूर्ववर्ती क्षेत्र में अवस्थित खाद की दुकानों पर धड़ल्ले से खाद की कालाबाजारी शुरू हो गयी है, जो यूरिया सरकारी रेट पर 266 रुपये प्रति बोरा मिलना चाहिए उस यूरिया को किसान अभी से ही 330 रुपये प्रति बोरा खरीद रहे हैं. इसी से समझा जा सकता है कि इस क्षेत्र के किसानों के लिए कटराकला बिस्कोमान के बंद होने का परिणाम कितना भयावह होगा. किसान मजबूर होकर दुकानों से निर्धारित मूल्य से अधिक रुपये देकर खाद खरीदने को विवश हो गये है, क्योंकि उनको पता है कि 25 से 30 किलोमीटर की दूरी तय कर मोहनिया बिस्कोमान पहुंचकर लाइन लगाना काफी परेशानियों भरा होगा. फिर भी छोटे किसान तो ब्लैक में यूरिया खरीद कर अपना काम चला लेंगे, लेकिन जो बड़े और मध्यम वर्गीय किसान है उनको कालाबाजारी की दर पर यूरिया खरीदना काफी महंगा पड़ेगा. मोहनिया बिस्कोमान में तो कई बार खाद लेने के लिए लोगों को रात में ही लाइन लगानी पड़ती रही है यहां तक कि यहां भी खाद के लिए मारपीट व खूनखराबा हो चुका है. ऐसी स्थिति में जब 10 पंचायत का अतिरिक्त लोड मोहनिया बिस्कोमान पर पड़ेगा, तो स्वाभाविक है कि इस बार खाद की दिक्कत काफी विकराल रूप ले लेगी. इतना ही नहीं महिलाओं को खाद लेने में वरीयता मिलेगी, यह सोचकर हर बार की तरह इस बार भी बड़ी संख्या में महिलाओं को रात में ही या अहले सुबह से ही खाद के लिए कतार में खड़ा रहना पड़ेगा और अपनी बारी आने का इंतजार करना उनकी मजबूरी बनी रहेगी. # छिन गया दर्जनों लोगों का रोजगार कटराकलां बिस्कोमान के बंद होने से दर्जनों लोगों का रोजगार छिन गया है. गांव में खाद व कीटनाशक की छोटी दुकानें खोलकर दुकानदार किसानों को फुटकर खाद आसानी से दिया करते थे. बिस्कोमान से खाद लाकर यह दुकानदार गांव में संचालित अपनी छोटी-छोटी दुकानों पर खाद की बिक्री करते थे, लेकिन अब बिस्कोमान बंद होने से यह दुकानदार यदि मोहनिया से खाद का उठाव करते हैं तो गाड़ी का भाड़ा अधिक लगेगा, जिससे यह फुटकर खाद दुकानदार खाद की अधिक कीमत किसानों से वसूल करेंगे. इतना ही नहीं दूसरे गांवों के किसान इ-रिक्शा लेकर बिस्कोमान पहुंचने थे और वहां से अपने जरूरत की खाद उस पर लोड कर अपने गांव ले जाते थे. इस बिस्कोमान के बंद होने से गांव के छोटे खाद दुकानदारों, इ-रिक्शा चालकों व गोदाम में खाद उतारने और लोड करने वाले मजदूर सहित इससे जुड़े दर्जनों लोगों का रोजगार छिन गया है. # जिले में बिस्कोमान का सिर्फ तीन गोदाम ही है अपना यदि हम बिस्कोमान कर्मियों की माने तो जिले में बिस्कोमान का अपना सरकारी गोदाम सिर्फ तीन ही है, जबकि अन्य छह निजी गोदाम में बिस्कोमान संचालित होता है. बिस्कोमान का अपना गोदाम मोहनिया, रामगढ़ व कुदरा में ही है, जबकि पुसौली, भभुआ प्रखंड की मींव पंचायत के सपनवतियां, चैनपुर, चांद प्रखंड के पवरां, दुर्गावती प्रखंड के भेरिया व मोहनिया के कटराकलां में निजी गोदाम में बिस्कोमान संचालित होता है. लेकिन, इस बार कटराकलां बिस्कोमान बंद कर दिया गया है. जबकि नुआंव, अधौरा, रामपुर, भगवानपुर प्रखंड में बिस्कोमान है ही नहीं, जिससे अब सिर्फ आठ बिस्कोमान ही पूरे जिले में संचालित हैं. निजी गोदाम मालिकों और बिस्कोमान के बीच गोदाम के किराये को लेकर हमेशा मनमुटाव रहा है. बिस्कोमान निजी गोदाम मालिकों को प्रतिमाह 20,000 रुपये देती है, जबकि दूसरे निजी गोदामों को अन्य कंपनियां अपनी सामग्री रखने के एवज में 40-50 हजार रुपये या उसकी भंडारण क्षमता के अनुसार भुगतान करती है. क्या कहते हैं किसान – कटराकलां के किसान सह व्यवसायी भुटेली राम कहते हैं कि कटराकला में बिस्कोमान रहने से क्षेत्र के किसानों को आसानी से खाद मिल जाती थी. हम अपनी दुकान भी चला लेते थे और आसानी से खाद के लिए बिस्कोमान में कतार में लग कर खाद भी ले लिया करते थे. समय का बचत हो जाता था. खाद घर ले जाने के लिए किसी साधन की जरूरत नहीं पड़ती थी. अब तो मोहनिया जाकर लाइन लगाना काफी कठिन हो गया है. – बभनगांवा के वयोवृद्ध किसान घनश्याम मिश्रा कहते हैं कि कटराकलां में बिस्कोमान रहने से कटराकलां, बढुपर, मुजान, ससना, शहबाजपुर, डंडवास, सलथुआं, खरहना सहित कई पंचायतों के किसान खाद के लिए अहले सुबह पहुंच कर लाइन में लग जाते थे. खाद भी आसानी से मिल जाया करती थी. इस बिस्कोमान के बंद होने से परेशानी काफी बढ़ गयी है. अभी से दुकानदार खाद की कालाबाजारी करने लगे हैं, अभी तो धान की रोपनी बाकी है. – मुजान पंचायत के सेमरियां के रहने वाले किसान धर्मराज सिंह ने कहते है कि हम लोग दो चार बोरी के लिए सरकारी बिस्कोमान पर आश्रित रहते थे. अब तो खाद ब्लैक में खरीदना मेरी मजबूरी बन जायेगी. दुकान वाले निर्धारित मूल्य से काफी अधिक रुपये की मांग करेंगे और मजबूरी में हम जैसे किसानों को अधिक रुपये भुगतान करना पड़ेगा. बाजार में कालाबाजारी बढ़ जायेगी, जहां 50 बोरी खाद खरीदने वाला रुपये लेकर खड़ा रहेगा, वहां पांच बोरी खरीदने वाले को कौन पूछेगा. इसलिए विभाग से निवेदन है कि बिस्कोमान को इधर ही कहीं स्थापित किया जाये. – सलथुआं के किसान गणेश पांडेय कहते हैं कि कटराकलां बिस्कोमान किसानों के लिए वरदान था. हम जैसे वृद्ध किसान यहां सुबह आते थे और लाइन लगाकर दोपहर के भोजन तक खाद लेकर घर पहुंच जाते थे. जब यहां खाद नहीं मिलेगी तो मेरे यहां से मोहनिया की दूरी 20 किलोमीटर है. वहां जाकर लाइन लगाना हम जैसे वृद्ध के वश की बात नहीं रह जायेगी. इसलिए विभाग से मेरा आग्रह होगा कि हम सभी रैयतों की समस्या को ध्यान में रखते हुए इस क्षेत्र में बिस्कोमान को रखा जाये. # बोले क्षेत्रीय अधिकारी इस संबंध में पूछे जाने पर बिस्कोमान के क्षेत्रीय पदाधिकारी चंदन कुमार ने कहा कि कटराकलां बिस्कोमान में सप्लाई कम थी. साथ ही कुछ और भी टेक्निकल कारण है. इसकी वजह से कटराकलां बिस्कोमान को बंद कर दिया गया है. उस क्षेत्र के किसान मोहनिया या रामगढ़ बिस्कोमान से खाद ले सकते हैं.

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