उमेश सिंह केशर, भभुआ
पिछले साल कैमूर दौरे पर आये बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गंगा-कर्मनाशा नदी लिंक योजना को लेकर घोषित की थी. इसको लेकर जमनियां गंगा जल उद्भव योजना में अंडरग्राउंड पाइपलाइन के सर्वे का काम उत्तर प्रदेश में शुरू करा दिया गया है. जानकारी के अनुसार, इस योजना के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रगति यात्रा के दौरान कैमूर आने पर घोषणा की थी. इसके लिए स्थानीय विधायक अशोक सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री से लेकर यूपी के मुख्यमंत्री से मिलेे थे. गंगा का पनी रामगढ़ में लाने के लिए विधायक लगातार प्रयास करते रहे. उनके प्रयास का परिणाम अब दिख रहा है. वहीं, इस योजना को लेकर पूर्व में कैमूर जिला प्रशासन व उत्तर प्रदेश के प्रशासन की संयुक्त बैठक हुई थी. इसमें योजना के रूपरेखा पर विस्तृत रूप से विचार करते हुए पाइपलाइन कार्य का सर्वे कराने पर सहमति बनी थी. इधर, इस संबंध में पूछे जाने पर ग्रामीण विकास विभाग कैमूर के निदेशक मयंक कुमार सिंह ने बताया कि सरकार के निर्णय के बाद इस योजना पर जिला प्रशासन की पहल शुरू की गयी है.अधिकारियों की टीम उत्तर प्रदेश प्रशासन के साथ की थी बैठकदो माह पूर्व कैमूर जिला प्रशासन की ओर से उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में अधिकारियों की टीम उत्तर प्रदेश प्रशासन के साथ बैठक में शामिल हुई थी. इसमें जमनियां गंगा जल उद्भव योजना के मैप पर गहन मंथन करने के बाद पाइपलाइन गुजरने वाले क्षेत्रों का सर्वे कराने का निर्णय लिया गया था. उन्होंने बताया कि सहमति के बाद उत्तर प्रदेश में इस योजना का पाइपलाइन बिछाने के लिए सर्वे काम भी पिछले माह शुरू करा दिया गया. सर्वे के बाद इसका आकलन किया जायेगा कि पाइपलाइन के क्रम में कितनी सरकारी जमीन और कितनी निजी जमीन आती है. इसके बाद इस योजना के अगले चरण का काम निर्धारित किया जायेगा. गौरतलब है कि प्रगति यात्रा के दौरान कैमूर पहुंचे मुख्यमंत्री ने इस योजना की घोषणा की थी. इसके बाद 25 फरवरी को कैबिनेट में योजना की मंजूरी दी गयी थी. फिर योजना को धरातल पर उतारने के लिए पूर्व डीएम सावन कुमार की अध्यक्षता में जल संसाधन विभाग के टीम ने स्थल का भौतिक निरीक्षण किया था.
528 करोड़ की योजना को धरातल पर उतरते ही रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में झूमेगी हरियाली528 करोड़ रुपये की लागत पर मूर्ति रूप लेने वाले जमनियां गंगा जल उद्वव योजना के धरातल पर उतरने के साथ ही रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र के खेतों में हरियाली उतरने में देर नहीं लगेगी और किसानों के आर्थिक स्थिति में व्यापक परिवर्तन आ जायेगा. जानकारी के अनुसार, यूपी के जमानिया में गंगा तट पर पानी को लिफ्ट करने के लिए पंप लगाये जायेंगे. लगभग 11 किलोमीटर अंडर ग्राउड पाइपलाइन के सहारे गंगा का पानी कर्मनाशा नदी के ककरैत पंप केनाल तक पहुंचाया जायेगा. इसके बाद ककरैत पंप केनाल से वैट बनाकर इस गंगा और कर्मनाशा का संयुक्त जल तीन फाटकों के सहारे एक कर्मनाशा नदी में दूसरा ककरैत नहर में और तीसरे फाटक से लरमा पंप केनाल में गिराया जायेगा. इसके बाद विधानसभा क्षेत्र के रामगढ, दुर्गावती तथा नुआंव प्रखंड में गंगा के पानी की हिलोरें किसानों को खेतों तक पहुंच जायेगी और विधानसभा क्षेत्र के लगभग 11 हजार हेक्टेयर से अधिक खेतों में लगे फसलों की प्यास बुझ सकेगी और जिले सियों को गंगा के लहरों की सौगात भी प्राप्त हो जायेगी. पर्व त्योहार के मौके पर गंगा स्नान का लाभ अब जमनियां, बक्सर और बनारस जाने के बजाये जिला वासी जिले में ही गंगा स्नान का लाभ प्राप्त कर सकेंगे.इन्सेट68 किलोमीटर में फैला है जमनियां नहर प्रमंडल का नेटवर्क भभुआ. अब गंगा के पानी को समेटने वाला जमनियां नहर प्रमंडल 68 किलोमीटर के रेंज में गंगा के पानी की लहरों को किसानों के खेतों तक पहुंचायेगा. क्योंकि, वर्तमान में जब बरसात में कर्मनाशा नदी में पानी भरपूर होता है, तो खेतों का पटवन भी ठीक से हो जाता है. लेकिन, बरसात के बाद कर्मनाशा नदी में पानी कम होने के साथ ही जमनियां नहर प्रमंडल के सभी पंप कैनालों की स्थिति डवाडोल हो जाती है. लेकिन, जब गंगा की हिलोरे कर्मनाशा से मिलेगी, तो रामगढ, दुर्गावती और नुआंव प्रखंड के कबिलासपुर, सराय, देवहलियां ,कल्याणपुर, नरहन, सहुका, जंदाहा, जमुरना, अभैदे, बडौरा आदि कई गांवों में पटवन के बाद खुशहाली का नया मंजर दिखाई देगा. इधर, इस संबंध में किसान यूनियन के अध्यक्ष हरीजी सिंह ने बताया कि पूर्व में उत्तर प्रदेश और बिहार के बीच गंगा के जल लाने का बंटवारे में उत्तरप्रदेश के जमनियां में बहने वाली गंगा का 560 क्यूसेक जल बिहार के ककरैत घाट तक लाकर कर्मनाशा नदी में छोड़ा जाना था. इस योजना को जमनियां पंप नहर के रूप में विकसित किया जाना था, ताकि नुआंव, रामगढ़ और दुर्गावती प्रखंड के किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधा मिल सके. इसके बाद विश्वकर्मा पंप केनाल और लरमा पंप केनाल का निर्माण कराया गया. लेकिन, गंगा का पानी कर्मनाशा नदी तक नहीं लाये जाने के कारण ये दोनों पंप केनाल नाला बन कर रह गये हैं.
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