फोटों 5 उपस्थित किसान धान की सीधी बुआई में 20 प्रतिशत जल व श्रम की होती है बचत कृषि भवन के सभागार में प्रखंड स्तरीय खरीफ महाभियान का आयोजन मोहनिया सदर. गुरुवार को प्रखंड मुख्यालय स्थित कृषि भवन के सभागार में प्रखंड स्तरीय खरीफ महाभियान 2025 कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसका उद्घाटन जिला कृषि पदाधिकारी अनिमेष कुमार सिंह ने दीप जला कर किया. अपने संबोधन में कृषि वैज्ञानिक अमित कुमार सिंह ने कहा कि वर्षा अनुपात से कम होती है या फिर जहां पानी की कमी है, वहां के किसान भाइयों को वैज्ञानिक विधि द्वारा धान की सीधी बुआई करने की सलाह दी जाती है. धान की सीधी बुआई संसाधन संरक्षित खेती की एक तकनीक है, जिसमें 20 प्रतिशत जल तथा श्रम की बचत होती है. धान की सीधी बुआई की सफलता के लिए सही विधि के साथ समय से बुआई करना चाहिए, इस तकनीक से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार के साथ उत्पादन लागत घटने से किसान अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं. धान की सीधी बुआई करने के लिए केवल मध्यम व निचली जमीन जहां पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो, उसी जमीन का चुनाव करना चाहिए, खेत में नमी की कमी रहने पर एक हल्की सिंचाई कर देना चाहिए और यदि वर्षा हो जाती है तो इसकी जरूरत नहीं है. हल से दो बार खेत की जुताई कर दें व हेंंगा चला दें ताकि मिट्टी हल्की भुरभुरी हो जाये. धान की सीधी बुवाई के लिए लेजर लेवलर से भूमि का समतलीकरण करना जरूरी है, यह बीज की समान गहराई, फसल के अच्छे जमाव, विकास, खरपतवार नियंत्रण व जल के एक समान वितरण में सहायक होता है. कम अवधि व मध्यम अवधि वाली धान की किस्मों में राजेंद्र मंसूरी-1, राजेंद्र भगवती, पूसा- 834, नरेंद्र- 97, एमटीयू 1001 व चयनित हाइब्रिड सीड जो 90 से 95 दिन से लेकर 115 से 120 दिनों में तैयार हो जाती है, ऐसे ही बीज का प्रयोग करना चाहिए. सीड ड्रिल द्वारा बुवाई करने पर मध्यम प्रकार के दानों के लिए बीज दर 15 से 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा बड़े दानों के लिए बीज दर 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर डाली जाती है. इसके लिए बुआई का तरीका कुछ अलग हटकर होता है. छोटे रकबा में खुरपी चला कर बुआई कर सकते हैं. मध्यम रकबा में देशी हल के पीछे पंक्ति में बुआई करें. बड़े रकबा वाले किसान गेहूं की बुआई करने वाले सीड ड्रिल से धान की बुआई उसी प्रकार से कर सकते हैं, जैसे गेहूं में की जाती है. मशीन का समायोजन कर बीज की मात्रा को निर्धारित किया जाता है. बीज की बुआई 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई पर की जाती है. # उर्वरक की मात्र व खरपतवार नियंत्रण 120 किलोग्राम नेत्रजन, 60 किलोग्राम स्फूर व 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर दिया जाता है. नेत्रजन की आधी मात्रा, स्फूर तथा पोटाश की पूरी मात्रा बुआई के समय व नेत्रजन की चौथाई मात्रा दो बार बुआई के 20 दिनों बाद व 40 दिनों के बाद सिंचाई देकर उपनिवेशन करना चाहिए. यदि वर्षा हो जाये तो सिंचाई की कोई जरूरत नहीं पड़ती है. बुआई के पहले हल्की सिंचाई कर खेत की जुताई करने से खरपतवार पर बहुत हद तक नियंत्रण हो जाता है. सीधी बुआई करने के 2 दिनों के अंदर 400 मिली पेन्डीमीथिलीन को 200 लीटर पानी में खोलकर एक एकड़ खेत में छिड़काव करने से 20 दिनों तक कोई खरपतवार नहीं जमता है. धान में खरपतवार नियंत्रण के लिए नोमिनीगोल्ड 100 मिलीलीटर दवा 200 लीटर पानी में घोल बनाकर 1 एकड़ में छिड़कने से नोमिनीगोल्ड का स्प्रे करते समय खरपतवारों की अवस्था दो से पांच पत्ती के बीच होनी चाहिए तथा खेत में नमी रखनी चाहिए. वहीं जिन किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि योजना का लाभ मिल रहा है उनको अपना इकेवाइसी करना अनिवार्य है. इस कार्यक्रम में प्रमुख पुनीता देवी सहित कोई भी पंचायत समिति सदस्य शामिल नहीं हुए. प्रमुख पति राजेश प्रसाद ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा मांगी गयी जानकारी प्रमुख को अभी तक उपलब्ध नहीं कराय गयी है, इसलिए हम लोग इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए. इस दौरान सहायक तकनीकी प्रबंधक प्रतीक्षित कुमार राय, वेद प्रकाश मिश्रा, नवीन कुमार, कृषि समन्वयक भानु प्रताप रामेश्वरम्, विनोद कुमार पांडेय, पद्मा कुमारी व किसान उपस्थित रहे.
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