भभुआ सदर. जनता के पैसे से सरकारी काम किस तरह किए जाते हैं, इसका उदाहरण शहर के वार्ड 13 स्थित पोस्ट ऑफिस गली में देखा जा सकता है. यहां शिव मंदिर से बुधु राम के घर तक नाली और पीसीसी सड़क का निर्माण कार्य दो महीने पहले शुरू हुआ था. शुरुआत में गड्ढा खोद दिया गया, नाली का आधा-अधूरा निर्माण भी किया गया, लेकिन उसके बाद से काम पूरी तरह ठप पड़ा है. अब गली में रहने वाले लोग हर दिन परेशानी झेल रहे हैं. सड़क निर्माण के लिए करीब साढ़े तीन फीट गहरे खोदे गये गड्ढे और उसमें जलजमाव से स्थिति नारकीय हो गयी है. करीब एक हजार से अधिक की आबादी महीनों से नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. चारपहिया वाहन तो दूर, साइकिल और मोटरसाइकिल से भी आना-जाना मुश्किल हो गया है. जलजमाव से बढ़ा खतरा नाली अधूरी छोड़ देने और सतह से करीब साढ़े तीन फुट ऊपर बनाने के कारण दोनों ओर खतरनाक गड्ढे बन गये हैं. लोगों को आने-जाने के लिए केवल पैदल रास्ते का सहारा है. गलीवासियों का कहना है कि अगर संभलकर न चलें तो किसी भी वक्त दुर्घटना हो सकती है. पोस्ट ऑफिस गली के निवासी संजय आर्य और जसवंत कुमार ने बताया कि दो महीने पहले नाली और सड़क के लिए गली खोदी गयी थी. बीच में नाली तो अधूरी बनी, लेकिन सड़क अब तक नहीं बनी. नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी संजय उपाध्याय और नप अध्यक्ष विकास तिवारी से कई बार फरियाद की गयी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. संवेदक की लापरवाही, विभाग की चुप्पी स्थानीय लोगों का कहना है कि नाली जाम रहने से पानी सड़कों पर बहकर खोदे गये गड्ढों में जमा हो रहा है. इससे सड़क पैदल चलने लायक भी नहीं रह गयी है. दरअसल नगर पर्षद भभुआ में सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी और घोटाला जड़ तक फैला हुआ है. जांच और कार्रवाई होने के बावजूद घटिया निर्माण, कमीशनखोरी और सरकारी राशि की लूट पर लगाम नहीं लग पा रही है. अधिकारियों की चुप्पी से संवेदकों का मनोबल और बढ़ गया है. गलीवासियों ने कहा कि अब गली केवल नाम की रह गयी है, हकीकत में यह क्षेत्र उपेक्षित और नारकीय बन चुका है. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए नगर प्रशासन को तत्काल जल निकासी की व्यवस्था, सड़क मरम्मत और नियमित सफाई करनी चाहिए, ताकि त्रासदी झेल रहे लोगों को राहत मिल सके. पार्षद बोले– कोई सुनवाई नहीं वार्ड संख्या 13 के पार्षद उत्तम चौरसिया ने बताया कि वे लगातार शिकायत कर रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है. करीब 24 लाख की लागत से सड़क निर्माण का प्राक्कलन दो महीने से तैयार है, लेकिन इओ और अध्यक्ष द्वारा टेंडर की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा रही है. उनका आरोप है कि नगर पर्षद में मिलीभगत से भ्रष्टाचार और मनमानी चरम पर है. यहां तक कि पार्षदों की भी कोई सुनवाई नहीं होती. उन्होंने कहा– “थक-हारकर अब हम भी शिकायत करना छोड़ चुके हैं, क्योंकि जब सुनवाई ही नहीं हो रही तो शिकायत करने से क्या फायदा” ———— क्या कहते हैं लोग नरक झेलने से अच्छा है घटिया ही सड़क बना दे नगर परिषद दो महीने पहले नाली और सड़क निर्माण के लिए गड्ढा खोदा गया था. नाली जैसे-तैसे अधूरी बनी, लेकिन सड़क निर्माण शुरू ही नहीं हुआ. अब गहरे गड्ढे से लोग गिरकर जख्मी हो रहे हैं. बच्चों के आने-जाने में परिजनों को काफी परेशानी हो रही है. हेमंत कुमार सड़क कैसे बने इससे मतलब नहीं, पर गड्ढा खोदकर छोड़ने से दिक्कत है. घर में बूढ़ी मां और छोटे बच्चों को लाने-ले जाने में परेशानी झेलनी पड़ती है.कम से कम गड्ढा भर दिया जाता और नालियां साफ करा दी जातीं. जलजमाव से पूरे मुहल्ले में बदबू और गंदगी फैल रही है. धनौती देवी पोस्ट ऑफिस गली पहले शहर की पहचान मानी जाती थी़ नगर परिषद की लापरवाही से हालात बद से बदतर हो गये हैं. गली में सफाई और मरम्मत कार्य पूरी तरह ठप है. अब यह गली शहर का सबसे बड़ा नरक मोहल्ला बन चुकी है. रामजी तिवारी काफी दिन से सड़क तोड़कर छोड़ दी गयी है. इसके कारण स्कूल आना-जाना मुश्किल हो गया है. मेरी डीएम अंकल से मांग है कि सड़क जल्द बनवायी जाए. ऐसा होने पर हम सब उनके बहुत आभारी रहेंगे. वैष्णवी कुमारी
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