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फसलों पर प्रशासन ने चलवाया बुलडोजर व ट्रैक्टर, किसानों से झड़प

भारतमाला एक्सप्रेसवे की जमीन पर लगी फसल को किया नष्ट

चैनपुर. प्रखंड क्षेत्र के सिहोरा, बिरना व करवंदिया में मंगलवार को भारतमाला एक्सप्रेसवे को लेकर अधिग्रहित जमीन पर किसानों के द्वारा लगायी गयी धान की फसल को प्रशासनिक पदाधिकारियों द्वारा पोकलेन मशीन और ट्रैक्टर के माध्यम से नष्ट कर दिया गया. इसकी जानकारी होते ही मौके पर काफी संख्या में किसान इकट्ठा हो गये. साथ ही विरोध करने लगे. इससे प्रशासनिक पदाधिकारी और किसानों के बीच तीखी-नोक-झोंक हुई. इस कार्य के लिए अनुमंडलाधिकारी के नेतृत्व में चैनपुर भभुआ व चांद के अंचलाधिकारी मौके पर पहुंचे और उन लोगों के द्वारा अधिग्रहित भूमि की जांच के बाद उसमें लगीं फसलें को नष्ट कर दिया गया. किसानों का आरोप था कि उनकी फसल को बगैर उनके जमीन का मुआवजा दिये नष्ट कर दिया गया है. इधर, इस कार्रवाई के बाद मौके पर पुलिस के जवान भी पहुंचे. बिना मुआवजा दिये ही हुआ भूमि का अधिग्रहण सरकार की अति महत्वाकांक्षी भारत माला परियोजना के तहत वाराणसी से रांची होते के लिए कोलकाता तक जाने वाली एक्सप्रेस वे के लिए जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया है. बिरना गांव निवासी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि उनकी जमीन की मापी कर एक्सप्रेसवे के लिए अधिग्रहित की गयी है. उन्होंने कहा कि एक्सप्रेसवे बनने के बाद लोगों को काफी सहूलियत होगी, यही सोचकर उन्होंने मापी करायी थी. लेकिन, अभी तक उन्हें उनकी जमीन का मुआवजा नहीं दिया गया और बिना जमीन का मुआवजा दिये ही प्रशासन के द्वारा उनकी फसल को नष्ट कर दिया गया. किसान सुरेंद्र सिंह ने बताया कि जब वह इस कार्य का विरोध करने के लिए पहुंचे, तो पुलिस के द्वारा उन्हें खेत में घसीटा गया और उनके साथ मारपीट की गयी. उन्होंने कहा कि एक ही एक्सप्रेसवे के लिए बेतरी मौजा में मौजा का रेट अलग रखा गया है, जबकि उनके यहां कम मुआवजा दिया जा रहा है. एक जिला, एक एक्सप्रेसवे, एक रेट की मांग कर रहे किसान भारतमाला परियोजना के तहत वाराणसी से कोलकाता तक बनने वाले एक्सप्रेसवे को लेकर प्रशासनिक पदाधिकारी के द्वारा भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया है. कई किसानों किसानों को मुआवजे की राशि का भुगतान भी कर दिया गया है. लेकिन, अभी भी कई किसान ऐसे हैं जो अपनी जमीन की उचित मुआवजे को लेकर अड़े हुए हैं. किसान नेता विमलेश पांडेय व अभिमन्यु सिंह ने बताया कि जिले में एक एक्सप्रेसवे, एक जिला और एक प्रकृति के लिए एक ही मुआवजा रेट होना चाहिए और सभी किसानों के अधिग्रहित भूमि के लिए एक समान दर से मुआवजे की भुगतान होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार अलग-अलग रेट देकर किसानों को आपस में लड़ाने का प्रयास कर रही है, उन्होंने बताया कि जब तक सभी किसानों की समस्या का समाधान नहीं होता उन लोगों का आंदोलन जारी रहेगा. मुआवजे के लिए किसान जाएं सक्षम न्यायालय भारत माला परियोजना के तहत बन रहे एक्सप्रेसवे के लिए अधिग्रहीत जमीन पर किसानों के द्वारा लगायी गयी धान की फसल को मंगलवार को प्रशासनिक पदाधिकारी के द्वारा नष्ट कर दिया गया. प्रशासन की इस कार्रवाई को अन्यायपूर्ण बताते हुए किसान सड़क पर बैठ गये और सरकार व प्रशासनिक पदाधिकारी के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की. क्या कहते हैं अधिकारी चैनपुर अंचलाधिकारी ने बताया कि अधिग्रहित भूमि के लिये किसानों को मुआवजा दिया जा रहा है. कई किसानों के खाते में मुआवजे की राशि का भुगतान भी कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि मुआवजे के लिए किसानों को बार-बार आवेदन देने के लिए भी कहा गया था. लेकिन कुछ किसान आवेदन नहीं दिये हैं, जिनके कारण उनके मुआवजे की राशि का भुगतान नहीं हो पाया है. अंचलाधिकारी ने बताया कि किसानों को यदि मुआवजे की राशि कम लगती हो तो उन्हें सक्षम न्यायालय जाना चाहिये. उन्होंने बताया कि भूमि का अधिग्रहण दो तरीके से होता है. इसमें एक में किसान की सहमति जरूरी होती है, और दूसरे में किसान की सहमति के बिना भी भूमि का अधिग्रहण होता है. उन्होंने बताया कि किसानों के द्वारा सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाया जा रहा है, जबकि सरकार के इस महत्वाकांक्षी भारत माला परियोजना को हर हाल में स समय पूरा किया जाना है.

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