भभुआ. बर्ड फ्लू रोग फैलने की आशंका से अब आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों को अंडा की जगह सरकार ने सत्तू का शरबत पिलाने का फैसला लिया है. इसे लेकर आइसीडीएस के प्रभारी जिला प्रोग्राम पदाधिकारी द्वारा सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों को निर्देश जारी कर दिया गया है. गौरतलब है कि इसके पूर्व जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर जिन बच्चों को स्कूल पूर्व शिक्षा दी जा रही थी, उन सभी नामांकित बच्चों को पोषाहार के रूप में समुचित पोषण उपलब्ध कराने को लेकर सरकार द्वारा अंडा अथवा मूंगफली देने का निर्देश दिया गया था. यह पोषाहार सप्ताह में दो दिन बुधवार और शुक्रवार को आंगनबाड़ी के बच्चों को उपलब्ध कराया जाता था. उसे अब सरकार के निर्देश पर गर्मी का मौसम और बर्ड फ्लू के बढ़ते खतरे से सुरक्षा को लेकर अंडे को बंद कराते हुए अंडे की जगह पर सत्तू का शरबत पिलाने का निर्देश जारी किया गया है. इधर, इस संबंध में पूछे जाने पर प्रभारी जिला प्रोग्राम पदाधिकारी सविता रानी ने बताया कि राज्य में बर्ड फ्लू की घटना और गर्मी के मौसम में प्रचंड गर्मी पड़ने की संभावना को देखते हुए सरकार ने सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर मुर्गी के अंडा अथवा मूंगफली के स्थान पर दो चम्मच चने के सत्तू लगभग 50 ग्राम का घोल तैयार कर स्कूल पूर्व शिक्षा प्राप्त कर रहे तीन वर्ष से लेकर छह वर्ष तक के बच्चों को पिलाने का निर्णय लिया है. इसे देखते हुए जिले के सभी 11 बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों को तत्काल प्रभाव से अंडे की जगह सत्तू का घोल बच्चों को पिलाने का निर्देश दे दिया गया है. =मौसमी फल भी बच्चों के पोषाहार में शामिल करने का निर्णय बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सत्तू में पाये जाने वाले पोषक तत्व और प्रोटिन काफी लाभकारी होते हैं. जानकारों के अनुसार, वैसे भी चने का सत्तू एक एन्डी ऑक्सिडेंट के रूप में काम करता है, जो मानव शरीर के इम्यूनिटी बढ़ाने में भी कारगर है. चने के सत्तू में पाया जाने वाला फाइबर पेट के लिए फायदेमंद माना जाता है. मिलाजुला कर चने का सत्तू पीने से शरीर को कई तरह के फायदे मिलते हैं. यह पाचन में सुधार सहित वजन नियंत्रण, उर्जा प्रदान करने तथा शरीर को ठंडा रखने में भी मदद करता है. इधर, विभागीय जानकारी के अनुसार समाज कल्याण विभाग बिहार सरकार द्वारा बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए मौसमी फल तरबूज, खीरा, नीबूं, ककडी, खरबूज आदि को भी बच्चों के पोषाहार में शामिल करने का निर्णय लिया है. इन्सेट जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों पर सवा लाख बच्चों को मिलेगा सत्तू का शरबत भभुआ. जहां तक जिले में चल रहे आंगनबाड़ी केंद्रों पर स्कूल पूर्व शिक्षा पा रहे बच्चों की संख्या की बात है, तो वर्ष 2024 में दिसंबर माह में जिले में संचालित कराये जा रहे आंगनबाड़ी केंद्रों पर एक लाख 24 हजार 175 बच्चों को पोषाहार से लाभंवित किया जा रहा था. साथ ही साथ इन आंगनबाड़ी केंद्रों पर 26 हजार 136 धातृ और गर्भवती महिलाएं को भी आंगनबाडी केंद्रों के माध्यम से लागू किये जाने वाले सरकार की योजनाओं का लाभ दिया जा रहा था. हालांकि, वर्ष 2025 में अब आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों की संख्या बढ़ने की भी संभावना है. वहीं, वर्तमान में जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र को मिलाकार 1752 केंद्रों का संचालन बाल विकास परियोजनाओं के माध्यम से कराया जा रहा है. गौरतलब है कि आंगनबाड़ी केंद्रों से इन बच्चों को पोषक अनपूरक आहार देने के साथ-साथ विद्यालय पूर्व शिक्षा भी दी जाती है. यही नहीं इन आंगनबाड़ी केंद्रों पर स्वास्थ्य विभाग और आशा के सहयोग से बच्चों के टीकाकरण और स्वास्थ्य जांच की भी व्यवस्था होती है और स्वास्थ्य जांच के आधार पर स्वास्थ्य में सुधार के लिए सलाह भी दी जाती है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है