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प्रधानमंत्री मोदी, मायावती और प्रशांत किशोर की रैली से बदलेगा भभुआ का राजनीतिक समीकरण

POLITICAL NEWS KAIMUR.विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, भभुआ की राजनीति में हलचल तेज होती जा रही है. एक और जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सात नवंबर को प्रस्तावित जनसभा से भाजपा समर्थक उत्साहित हैं.

स्थानीय नेताओं की छवि भी मतदाताओं पर डाल रहा प्रभाव

भभुआ शहर:

विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, भभुआ की राजनीति में हलचल तेज होती जा रही है. एक और जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सात नवंबर को प्रस्तावित जनसभा से भाजपा समर्थक उत्साहित हैं. वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती की छह नवंबर को प्रस्तावित जनसभा से दलित वर्ग में जोश का संचार कर रहा है. जबकि प्रशांत किशोर ने युवाओं और मतदाताओं के बीच नयी चर्चा छेड़ दी है. ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि क्या इन राष्ट्रीय नेताओं का प्रभाव भभुआ के मतदाताओं के मन पर गहरायी तक असर डालेगा या स्थानीय उम्मीदवारों की व्यक्तिगत छवि ही निर्णायक भूमिका निभायेगी? प्रधानमंत्री मोदी भभुआ के जनमानस को प्रभावित कर पायेंगे या मायावती की प्रस्तावित जनसभा दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समाज को एकजुट करने का काम करेगी. यह देखना अहम होगा. वहीं उनके समर्थकों का कहना है कि मायावती की आवाज उन तबकों तक पहुंचती हैं, जो अब भी उपेक्षा का शिकार है. इसी क्रम में प्रशांत किशोर का रोड शो से एक नयी लहर लेकर आया है. वो युवाओं के बीच नयी राजनीतिक बात कर रहे हैं. उनका सीधा संवाद और स्थानीय समस्याओं पर खुली चर्चा ने युवाओं और बुद्धिजीवों का ध्यान खींचा है. यहां के स्थानीय लोगों से और युवाओं से चर्चा करने पर पता चलता हैं कि भभुआ में बाहरी नेताओं की रैली से वोटो का रुझान कुछ हद तक प्रभावित हो सकता है. लेकिन, अंतिम निर्णय अब भी स्थानीय समीकरणों पर निर्भर करेगा. इस बार दिलचस्प होगा कि यहां के मतदाता जातीय समीकरण से ऊपर उठकर वोट करेंगे या फिर स्थानीय प्रत्याशियों के नियत और काम को ज्यादा महत्व देंगे. देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता, मायावती का जनाधार या प्रशांत किशोर की नयी राजनीति की बात मतदाताओं को आकर्षित करेंगी या उम्मीदवारों की व्यक्तिगत छवि और उसकी पहुंच ही चुनाव परिणाम को तय करेगी. अंततः यह चुनाव केवल दलों की ताकत नहीं, बल्कि स्थानीय छवि और जन विश्वास की परीक्षा भी है, भभुआ के मतदाता अब तय करेंगे कि वे राष्ट्रीय नेताओं की अपील से प्रभावित होंगे या अपने क्षेत्रीय प्रतिनिधि की कार्यशैली को तरहीज देंगे. इसका असली जवाब 11 नवंबर के मतदान के दिन मतपेटी में खुलेगी।

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