मोहनिया शहर. वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय ने महाराणा प्रताप महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य का अनुमोदन कर दिया हैं. इससे अब गणित विभाग के अध्यक्ष डॉ महातिम सिंह अब विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदित प्राचार्य हो गये हैं. पूर्व प्राचार्य डॉ अनिल कुमार के रिटायर के बाद पहली बार महाराणा प्रताप कॉलेज को विश्वविद्यालय से अनुमोदित प्राचार्य मिला हैं. विश्वविद्यालय से प्रभारी प्राचार्य के मिले अनुमोदन के बाद खाता संचालन का रास्ता साफ हो गया है. मालूम हो कि पूर्व प्राचार्य के रिटायरमेंट के बाद भूगोल विभाग के अध्यक्ष डॉ शंभु नाथ सिंह को प्रभारी प्राचार्य बनाया गया था. जिसको विश्वविद्यालय ने अनुमोदित नहीं किया था. शासी निकाय ने डॉ शंभु नाथ सिंह को प्रभारी प्राचार्य बनाया था. उस शासी निकाय के वैधता पर प्रश्न चिह्न लग गये थे. इस कारण 14 महीने तक विश्वविद्यालय में यह मामला लटका रहा और अंतत: विश्वविद्यालय ने शंभु नाथ सिंह को प्रभारी प्राचार्य के पद से हटा दिया. जबकि, विश्वविद्यालय से बिना अनुमोदन प्राप्त किये ही डॉ शंभु नाथ सिंह और सचिव के रूप में डॉ बृजेंद्र नारायण सिंह खाता का संचालन शुरू कर दिये थे. जबकि, विश्वविद्यालय से अनुमोदन प्राप्त होने के बाद ही खाता संचालन का पत्र निकलता हैं. इधर, 17 फरवरी को गणित विभाग के अध्यक्ष डॉ महातिम सिंह को विश्वविद्यालय ने प्रभारी प्राचार्य बना दिया, जिसकी संपुष्टि एक मार्च को हुई शासी निकाय की बैठक में की गयी. उस बैठक में श्रम संसाधन मंत्री सह जनप्रतिनिधि सदस्य संतोष कुमार सिंह, विश्वविद्यालय प्रतिनिधि डॉ अवध विहारी सिंह तथा सरकारी प्रतिनिधि के रूप में एसडीएम राकेश कुमार सिंह उपस्थित थे. शासी निकाय की हुई इस बैठक के प्रस्ताव संख्या दो में डॉ महातिम सिंह को प्रभारी प्राचार्य के रूप में नियुक्त करने का अनुमोदन प्राप्त करने के लिए विश्वविद्यालय को भेजा गया था. विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदन का पत्र निर्गत होने के बाद महाविद्यालय परिवार में भी खुशी की लहर दौड़ पड़ी हैं. इनसेट :- 12 माह से बंद हैं महाविद्यालय का खाता संचालन मोहनिया शहर. एक वर्ष पूर्व 28 फरवरी को वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय द्वारा महाराणा प्रताप महाविद्यालय के सभी खाता का संचालन बंद कर दिया गया हैं. तभी से शिक्षकों का वेतन भुगतान भी रुका हुआ हैं. पिछले साल होली से लेकर दिवाली तक का त्योहार इस कॉलेज के कर्मियों को वेतन प्राप्त नहीं हुआ था. खाता संचालन शुरू कराने के लिए शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारी संघ विश्वविद्यालय से गुहार लगा रही थी. इसी दौरान तत्कालीन प्रभारी प्राचार्य व सचिव यह मामला हाईकोर्ट लेकर चले गये, जिससे हाईकोर्ट में मामला जाते ही भूमिदाता परिवार के सदस्य कौशलेंद्र प्रताप सिंह इस मामले में इंटर्वेनर बन गये.
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