भभुआ सदर. पुलिस प्रशासन और परिवहन विभाग की लगातार जारी घोर लापरवाही के कारण इन दिनों जिले की सड़कों पर तेज रफ्तार हवा से बातें करनेवाले सीएनजी ऑटो मौत बनकर दौड़ रही है, जिसके चलते आये दिन सीएनजी ऑटो में सवार यात्रियों की जान जा रही है. लेकिन प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है. जिले में केवल एनएच-219 यानी भभुआ-मोहनिया सड़क पर ही सीएनजी ऑटो की रफ्तार और अनियंत्रित होने से पिछले 12 महीनों में अधिवक्ता, पेशकार और छात्रों सहित आधा दर्जन लोगों की जान जा चुकी है. लेकिन, पुलिस, ट्रैफिक या परिवहन विभाग इन मौतों को रोकने के लिए ठोस उपाय करने की जगह वाहनों के धर-पकड़ व जुर्माना वसूली तक ही सीमित रह जा रही है. इधर, वाहनों की तेज रफ्तार के कारण कई लोग असमय काल के गाल में समा रहे हैं, जिसके चलते हर दिन घर से बाहर निकलने वाले लोगों के परिजनों को अशुभ आशंका की चिंता लगी रहती हैं कि उनके परिजन सुरक्षित घर लौट भी आयेंगे या नहीं. गौरतलब है कि पिछले 12 महीने में भभुआ-मोहनिया सड़क पर सीएनजी ऑटो की तेज रफ्तार से एक अधिवक्ता, व्यवसायी और प्रतियोगी परीक्षा देकर लौट रहे छात्र सहित आधा दर्जन लोगों की जान असमय जा चुकी है. केस-1 : 30 नवंबर को वाराणसी से रेलवे भर्ती की परीक्षा देकर लौट रहे 20 वर्षीय छात्र सोनहन थानाक्षेत्र के सोहसा गांव निवासी दीपांशु कुमार दुबे की सीएनजी ऑटो के पेड़ से टकराने से घटनास्थल पर ही मौत हो गयी. केस-2 : 6 सितंबर को अखलासपुर पटिया के समीप तेज रफ्तार से आ रहे सीएनजी ऑटो के धक्के से बाइक सवार कामता गांव निवासी नीतीश कुमार नामक युवक की मौत हो गयी. केस-3 : 23 मई को बबुरा पुल पर ट्रैक्टर को ओवरटेक करने में रफ्तार में रहे ऑटो पर ट्रैक्टर की ट्रॉली पर लदा ईंट पलट गया, जिसके नीचे दबकर ऑटो में बैठी औरंगाबाद जिले के बारुण निवासी सागर चौधरी की 12 वर्षीय बेटी की मौत हो गयी. केस-4 : इसी साल 19 जनवरी को सेमरिया गांव के समीप तेज रफ्तार और अनियंत्रित हुए सीएनजी ऑटो के पलटने से भभुआ सिविल कोर्ट के अधिवक्ता अमरेंद्र पांडेय उर्फ टप्पू पांडेय और वार्ड 16 निवासी व्यवसायी परमेश्वर दयाल गुप्ता की दर्दनाक मौत हो गयी. = जल्दबाजी नहीं लेने दे रही दम जिले की सड़कों पर एक अजीब सी हड़बड़ी नजर आती है. हर कोई बेकरार है. रुकने का समय किसी के पास नहीं है. गाड़ी चल रही है, फिर भी जल्दबाजी लगता है, मानो सड़कों पर मौत ओवरटेक कर रही हो. वैसे शहर में भी में गाड़ी खास कर सवारी वाहन चलानेवालों का तो अपना ही मिजाज है. ड्राइवर ने जहां यात्री देखे अपने वाहन वहीं रोक दी, वहीं स्टैंड भी बन गया. सभी की अपनी मर्जी चल रही है, इसके भुक्तभोगी भी सभी हैं. थोड़ी सी हड़बड़ी और लापरवाही लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ रही है.
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