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रिजेक्ट गाड़ियां चलाने पर रोक

जुगाड़ से बने वाहनों पर भी बरती जायेगी सख्ती भभुआ नगर : शहर सहित ग्रामीण इलाकों में परिवहन व्यवस्था, खटारा वाहन एवं जुगाड़ गाड़ी पर टिकी है. इन वाहनों पर जल्द ही परिवहन विभाग अब अपना शिकंजा कसेगा. गौरतलब है कि विभाग द्वारा काला धुआं उगलते इन वाहनों पर लगाम नहीं लगाये जाने से शिक्षा […]

जुगाड़ से बने वाहनों पर भी बरती जायेगी सख्ती
भभुआ नगर : शहर सहित ग्रामीण इलाकों में परिवहन व्यवस्था, खटारा वाहन एवं जुगाड़ गाड़ी पर टिकी है. इन वाहनों पर जल्द ही परिवहन विभाग अब अपना शिकंजा कसेगा. गौरतलब है कि विभाग द्वारा काला धुआं उगलते इन वाहनों पर लगाम नहीं लगाये जाने से शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों को भी स्कूलों द्वारा खटारा वाहनों से ही ढोया जाता है. सरकार ने नया निर्देश जारी करते हुए परिवहन विभाग को जुगाड़ गाड़ियों एवं रिजेक्टेड वाहनों पर लगाम लगाने को कहा है.
इस संबंध में परिवहन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार ऐसे वाहनों की धर-पकड़ के लिए एक टीम गठित की जायेगी. वह लगातार ऐसे वाहनों के खिलाफ अभियान चला कर कार्रवाई करेगी. वैसे देखा जाये तो एक तरफ जहां केंद्र तथा राज्य सरकार प्रायोजित विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या पर आमलोगों को संवेदित किया जाता है ताकि, प्रदूषण की समस्या से निजात मिल सके लेकिन, इसका असर कई बार नियम बनाने के बावजूद देखने को नहीं मिलता है. नतीजतन आमलोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है़
खटारा गाड़ियों की भरमार
देश के विभिन्न प्रदेशों के वैसे वाहन जो वहां के विभागीय हुक्मरानों व प्रदूषण विभाग द्वारा रिजेक्ट कर दिया गया है, उसे यहां पर कम लागत खर्च में ला कर चलाया जाता है. इन वाहनों में यात्री बसों के साथ ऑटो, जीप, बोलेरो, 407, टाटा मैजिक एवं अन्य गाड़ियों का परिचालन धड़ल्ले से किया जा रहा है.
इतना ही नहीं शहर सहित ग्रामीण इलाकों में देहाती नैनो उर्फ जुगाड़ गाड़ियों की भी भरमार हो गयी है. होंडा मशीन को ठेला पर सेट कर जुगाड़ गाड़ी बनायी जाती है. ऐसे वाहनों पर सामान के साथ आम मरीजों को भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाया जाता है. भले ही इस जुगाड़ गाड़ी से निकलने वाले धुएं खतरनाक क्यों ना हो. धुएं और धूल की चपेट में आने से शहर के लोग बीमार पड़ रहे हैं़ प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो रही है.

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