जहानाबाद. बिहार प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष और विधान पार्षद डॉ प्रमोद चंद्रवंशी ने शुक्रवार को घोसी प्रखंड के कई गांवों का दौरा कर वहां के मत्स्य किसानों की समस्याएं सुनीं. मत्स्य किसानों को हुए नुकसान को लेकर उन्होंने डीएम अलंकृता पांडेय को ज्ञापन देकर किसानों को मुआवजे दिलाने की मांग की है.
जानकारी के अनुसार जिले से होकर गुजरने वाली फल्गु नदी के जलस्तर बढ़ने के कारण घोसी और मोदनगंज प्रखंड क्षेत्र के करीब 50 गांव प्रभावित हुए हैं. प्रशासन ने उदेरास्थान बराज से 1.15 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा है जिसके बाद नंदना, मेटरा, भारथू, बिजलीपुरा, नोकनबिगहा, अतियामा, मंगला, उड़ेरा और तुलसीपुर सहित 50 गांवों में बाढ़ का पानी खेत और गांव में फैल गया है. उन्होंने कहा कि तटबंध से पानी छोड़ने के कारण तकरीबन 50 से अधिक तालाबों में बाढ़ का पानी फैल गया और लाखों रुपये के मछलियां पानी की तेज धारा में बह गईं. वहीं नदी में अचानक आयी बाढ़ के कारण सैकड़ों किसान के फसल बर्बाद हो गए. चंद्रवंशी ने बताया कि पिछले दो-तीन दिनों से हो रही बारिश के कारण फल्गु नदी में अचानक पानी आ गया, जिससे घोसी, मोदनगंज प्रखंड के दर्जनों गांव में बाढ़ का पानी घुस गया है. किसान एवं मत्स्यपालकों का भारी नुकसान हुआ है. मत्स्यपालक मनीष कुमार, अभय कुमार शर्मा, पिंटू कुमार, अरविंद कुमार, अशोक राम, गुड्डू शर्मा, अमरनाथ, निर्मल कुमार, नीरज कुमार, रामनिवास कुमार आदि ने डॉ चंद्रवंशी को बताया कि बाढ़ के पानी से 50 बीघा में बने तालाब की मछलियां नदी की तेज धारा में बह गईं, जिससे करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि नुकसान के कारण मछलीपालन के लिए हब बने इस क्षेत्र में मछली पालकों की रीढ़ टूट गयी है.
वहीं भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के जिला सचिव जगदीश प्रसाद के नेतृत्व में चार सदस्यीय एक जांच दल घोसी और मोदनगंज प्रखंड के बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा किया. ज्ञातव्य हो कि विगत 16 जुलाई को फल्गु नदी में आया तूफान के कारण नदी का तटबंध विभिन्न जगहों पर टूट गया जिसके कारण प्रखंड घोसी एवं मोदनगंज के दर्जनों गांव बाढ़ की पानी से बुरी तरह प्रभावित हुआ. गांव में पानी घुसा, आवागमन बाधित हुआ एवं खासकर धान का फसल पूरी तरह बर्बाद हो गया. किसानों के पास अब कोई चारा नहीं बचा. जो धान का मोरी रोपा गया था वह बाढ़ की पानी में गल गया और अब धान का मोरी उनके पास उपलब्ध नहीं है कि दोबारा रोपनी का कार्य किया जा सके. इस प्रकार प्रभावित गांव का किसानों पर दोहरा मार पड़ा है.
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