जहानाबाद. जब से पटना-गया राष्ट्रीय राजमार्ग पर फोरलेन का निर्माण हुआ है तब से एनएच और शहरी बाइपास पर शहर के लोदीपुर गांव के निकट बना ओवरब्रिज का एक ही लेन चालू किया गया है.
वैसे तो शहरी क्षेत्र का पूरे बायपास पर आये दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन लोदीपुर के निकट ओवरब्रिज के पास यह बाइपास ब्लैक स्पॉट बन चुका है. शहरी बाइपास और खासकर ओवरब्रिज के निकास के पास का क्षेत्र खतरनाक रूप से डेंजर जोन बन चुका है. इस जगह पर एक ही लेन चालू रहने से स्पीड में आ रहीं गाड़ियां आमने-सामने टकरा जाती हैं. शनिवार को इस जगह पर दो दुर्घटनाएं हुईं. दो बाइक सवारों के बीच हुई टक्कर में दोनों बाइक पर सवार तीन लोग घायल हो गये. जबकि दूसरी दुर्घटना में एक ट्रेलर और टैंकर आपस में टकरा गये, जिसके कारण टेलर पर सवार ड्राइवर गंभीर रूप से घायल हो गया और टेलर का केविन क्षतिग्रस्त हो गया. आसपास के लोगों ने काफी मशक्कत के बाद केबिन से ड्राइवर को जख्मी हालत में निकला और उसे इलाज के लिए सदस्य अस्पताल पहुंचाया. पटना-गया एनएच 22 पर जब से शहरी क्षेत्र में नया बाइपास बना है तब से इस बाइपास पर लगभग प्रतिदिन कोई ना कोई छोटी-बड़ी सड़क दुर्घटनाएं घटित हो रही हैं जिसमें अक्सर किसी ने किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है. जबकि लगभग प्रतिदिन होने वाली दुर्घटना में बड़ी संख्या में लोग जख्मी होते हैं. कुछ दिन पहले ही शहरी बाइपास में स्कॉर्पियो से कुचलकर एक महिला की मौत हो गयी थी. इससे पहले सिकरिया पेट्रोल पंप के समीप कार और बाइक के बीच हुई टक्कर में दो लोगों की मौत हो गयी थी. इससे पहले दो बाइक के बीच टक्कर में एक की मौत हो गयी थी, जबकि दूसरा बाइक चालक गंभीर रूप से जख्मी हो गया था. पिछले महीने नरु गांव के पास कार और स्कॉर्पियो की टक्कर में कार सवार चार लोग घायल हो गये थे. मार्च में ही एनएच 110 पर नदियावां के समीप बस ने एक मासूम बच्ची को कुचल डाला था जिसके कारण बच्ची की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी थी. जबकि अपनी बेटी को बचाने के लिए गये पिता स्कॉर्पियो के धक्के से गंभीर रूप से घायल हो गये थे. मार्च में ही बाइपास में दो ट्रैकों के बीच टक्कर में एक चालक की मौत हो गयी थी. जबकि दूसरे ट्रक के चालक सहित दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गये थे. इससे पहले निजामुद्दीन पुर बाइक और ट्रैक्टर के बीच में एक युवक की मौत हो गयी थी. जबकि दूसरा युवक गंभीर रूप से घायल हो गया था. एक अनुमान के मुताबिक जिले में प्रति माह औसतन सड़क दुर्घटनाओं में 8 से 10 लोगों की मौत हो जाती है. जबकि दर्जनों लोग घायल हो जाते हैं.तेज रफ्तार पर नहीं लग रहा लगाम
जिले में वाहनों की तेज रफ्तार और वाहन चालकों के द्वारा ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन मासूम लोगों की जिंदगी लील रहा है. जिला और पुलिस प्रशासन के प्रयास के बावजूद वाहनों की स्पीड पर ब्रेक नहीं लग रहा है. राष्ट्रीय राजमार्ग 83 पर जब से नया फोरलेन बनाया गया है तब से इस पर सड़क दुर्घटनाएं काफी बढ़ गयी है. खासकर शहरी बाइपास पर तो लगभग प्रतिदिन कोई न कोई सड़क दुर्घटना हो रही है जिनमें कई लोगों की जान चली जाती है तो कई लोग गंभीर रूप से जख्मी होकर जिंदगी और मौत से जंग लड़ते रहते हैं. ऐसी बात नहीं है कि केवल बाइपास पर ही तेज रफ्तार वाहन दुर्घटना को अंजाम दे रहे हैं. जिले के स्टेट हाइवे पर भी वाहन चालक रफ्तार पर लगाम नहीं लगते जिसके कारण दुर्घटनाओं में मासूमों की जान चली जाती है. राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर स्टेट हाइवे और देहाती क्षेत्र की सड़कों पर भी आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं, जिसमें बेकसूरों की जान जा रही है. ज्यादातर दुर्घटनाओं में वाहनों की तेज रफ्तार और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी ही दुर्घटना का कारण बनती है.वाहन चालक नहीं रखते स्पीड पर नियंत्रण
एनएचआइ द्वारा सड़क की स्थिति क्षेत्र और घनी आबादी को देखते हुए वाहनों की स्पीड की सीमा तय की जाती है. शहरी क्षेत्र में वाहनों की स्पीड की एक सीमा तय की गयी होती है. अमूमन यह सीमा ऐसी आबादी वाले क्षेत्र में 20 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है. इसके लिए घनी आबादी वाले क्षेत्र में प्रवेश वाली जगह पर ही गति सीमा की बोर्ड लगायी जाती है, किंतु जहानाबाद जिले में हर ऐसी घनी आबादी वाले क्षेत्र में जहां कहीं बोर्ड लगा हुआ भी है, तो वाहन चालक उन नियमों का पालन नहीं करते हैं जिसके कारण तेज रफ्तार में चलने वाले वाहन चालक के साथ-साथ आम लोग भी दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं और अपनी जानें गंवा रहे हैं. जिले में आए दिन सड़क दुर्घटनाएं होती हैं जिसमें अक्सर लोगों की जान चली जाती है. वाहनों की बेहिसाब रफ्तार के कारण जिले में हिट एंड रन का मामला भी बढ़ रहा है. आए दिन कोई वहां किसी सड़क पर चलते व्यक्ति को कुचलकर भाग जाता है. इसके अलावा वाहनों द्वारा एक दूसरे का ओवरटेक करने, झपकी लगने अथवा शराब पीकर गाड़ी चलाने और घनी आबादी में भी वाहनों की गति निर्धारित गति सीमा के अनुसार नहीं रखना भी दुर्घटना का कारण बनता है.सतर्कता से कम हो सकती हैं दुर्घटनाएं
अगर घनी आबादी वाली जगहों पर प्रवेश के समय अगर सतर्कता बरती जाये और भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में प्रवेश के पहले गति सीमा और सतर्कता का बोर्ड, सड़क पर स्पीड ब्रेकर लगाई जाए और सड़क किनारे उगे जंगलों को साफ कर विजिबिलिटी बढ़ायी जाये, तो दुर्घटनाओं में काफी हद तक कमी लायी जा सकती है. किंतु अभी तक एनएचआइ और आरसीडी के द्वारा इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. दुर्घटना में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन और शराब पीकर गाड़ी चलाना भी प्रमुख वजह बनती हैं.बाइपास पर बेतहाशा दौड़ते हैं वाहन
शहर में सुबह 8 से रात 9 तक बड़े वाहनों के लिए नो एंट्री लगायी गयी है. नो एंट्री के बाद बड़े वाहन खासकर बालू और गिट्टी लादने वाले डंपर और ट्रक ट्रैफिक नियमों को ताक पर रखकर तेज रफ्तार से वाहन हांकते थे. किंतु जब से बाइपास चालू हुआ है तब से बाइपास में ऐसे वाहन बेतहाशा दौड़ लगाते हैं. खासकर बालू और गिट्टी लादे ट्रक चालक पुलिस, परिवहन और खनन विभाग से बचने के लिए तो जल्दी-जल्दी ट्रिप लगाने के लिए लापरवाही और हाई स्पीड में वाहन चलाकर भागते नजर आते हैं. यही कारण है कि इन दोनों बाइपास में सड़क दुर्घटनाएं काफी बढ़ गयी है.
शहर में दिन में रहती है नो एंट्री
कुछ वर्ष पहले तक जहानाबाद शहर दुर्घटना का हॉटस्पॉट बना था. शहर के समाहरणालय के निकट बने कारगिल चौक से लेकर काको मोड़ तक के बीच आए दिन दुर्घटनाएं होती थीं. इसमें काको मोड़ ऊंटा सब्जी मंडी, अरवल मोड़, फिदाहुसैन मोड़, बत्तीस भवड़िया दुर्घटना के लिए ब्लैक स्पोर्ट बना था जिनमें होने वाली दुर्घटनाओं में बड़ी संख्या में लोगों की जान जा चुकी है जिसके बाद जिला प्रशासन ने शहर में सुबह 8 बजे से लेकर रात 9 बजे तक बड़े वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी, जिसके बाद शहरी क्षेत्र में होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आयी है किंतु जब से बाइपास चालू हुआ है तब से दुर्घटनाएं बाइपास में काफी बढ़ गयी है. बाइपास चालू होने के पहले रात में 9 बजे के बाद जब नो एंट्री खत्म होती है तो बड़े वाहन खासकर बालू और गिट्टी ढोने वाले हाइवा और बड़े ट्रक चेकिंग से बचने के लिए हाई स्पीड में वाहन चलाकर भागते नजर आते थे. सुबह में भी यही हाल होता था जिसके कारण इन्हीं समय में शहरी क्षेत्र में दुर्घटनाएं ज्यादा होती थीं. अब भी नो एंट्री के बाद शहरी क्षेत्र से बड़े वाहन गुजरते हैं लेकिन बाइपास चालू होने के बाद अब इनकी संख्या पहले के बनिस्पत कम हो गयी है.क्या कहते हैं पदाधिकारी
वाहन चेकिंग के दौरान हाइ स्पीड में चलने वाले वाहन चालकों को पकड़ कर उनसे जुर्माना वसूल किया जाता है. राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों की स्पीड पर निगरानी रखने के लिए ट्रैफिक पुलिस द्वारा स्पीड गन के साथ गश्ती की जा रही है. सड़क सुरक्षा की बैठक में एनएच द्वारा दूसरे लेन को जल्द चालू कराने का आश्वासन दिया गया है. नवनीत कुमार, ट्रैफिक डीएसपी, जहानाबादडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है