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Jehanabad : एक ही मरीज को महीने में सात यूनिट उपलब्ध कराया गया ब्लड

सदर अस्पताल में नि:शुल्क ब्लड के लिए मरीजों को नाकों चने चबाना पड़ता है. अस्पताल प्रशासन द्वारा मरीजों को नियम-कानून बताये जाते हैं. साथ ही उनसे डोनर लाने को कहा जाता है.

जहानाबाद नगर. सदर अस्पताल में नि:शुल्क ब्लड के लिए मरीजों को नाकों चने चबाना पड़ता है. अस्पताल प्रशासन द्वारा मरीजों को नियम-कानून बताये जाते हैं. साथ ही उनसे डोनर लाने को कहा जाता है. जब तक कोई डोनर रक्तदान नहीं करता है तब तक उन्हें ब्लड उपलब्ध नहीं कराया जाता है. वहीं दूसरी तरफ एक मरीज पर अस्पताल प्रशासन की इतनी कृपा बरसी कि उसे एक महीने में सात यूनिट ब्लड नि:शुल्क उपलब्ध कराया गया. नि:शुल्क ब्लड उपलब्ध कराने के लिए सीएस से लेकर प्रभारी अस्पताल अधीक्षक तक ने अनुशंसा किया जिसके बाद ब्लड बैंक द्वारा नि:शुल्क ब्लड उपलब्ध कराया गया. जानकारी के अनुसार उक्त मरीज को दिसंबर माह में 12, 13, 16 तथा 20 दिसंबर को एक-एक यूनिट ब्लड उपलब्ध कराया गया. जबकि जनवरी माह में 12, 14, 21 जनवरी को ब्लड उपलब्ध कराया गया. शशि कुमार पांडेय नामक इस मरीज पर अस्पताल प्रशासन की जम कर कृपा बरसी. एक मरीज को एक महीने के अंदर सात यूनिट ब्लड नि:शुल्क उपलब्ध कराये जाने की बात सामने आने पर रक्तदान करने वाली संस्था रक्त सेवा द्वारा यह निर्णय लिया गया कि जब तक अस्पताल प्रशासन द्वारा बिना रिप्लेसमेंट के अनियमित रूप से ब्लड सप्लाई की मनमानी पर रोक नहीं लगायी जाती, तब तक संस्था किसी भी रक्तदान शिविर का आयोजन नहीं करेगी और न ही किसी अन्य शिविर में सहयोग देगी. संस्था के अध्यक्ष रजनीश कुमार विक्कू ने बताया कि एक ही मरीज को बिना किसी रिप्लेसमेंट के 7-7 यूनिट रक्त उपलब्ध कराया गया है, जो कि रक्तदान के मानकों के विपरीत है. ऐसी अनियमित आपूर्ति से रक्त सेवकों के मन में यह संदेह उत्पन्न हो रहा है कि कहीं पैरवी के नाम पर या किसी अन्य माध्यम से अवैध रूप से ब्लड की बिक्री तो नहीं की जा रही. रक्त सेवा का स्पष्ट मत है कि रक्तदान एक सेवा है, न कि व्यापार. अस्पताल प्रशासन की जवाबदेही बनती है कि रक्तदान से प्राप्त यूनिट्स का उचित और पारदर्शी उपयोग हो. जब तक अस्पताल प्रशासन पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं करता, तब तक रक्त सेवा किसी भी रक्तदान शिविर का आयोजन नहीं करेगी. हालांकि संस्था इमरजेंसी मामलों में जरूरतमंद मरीजों को रक्त उपलब्ध कराने की अपनी सेवा पूर्ववत जारी रखेगी, लेकिन रक्तदान शिविर का आयोजन तभी किया जायेगा जब प्रशासन यह आश्वासन देगा कि रक्तदान का कोई भी यूनिट किसी भी प्रकार के दबाव, पैरवी या आर्थिक लेन-देन के कारण गलत हाथों में नहीं जा रहा. संस्था ने यह मांग किया है कि अस्पताल प्रशासन ब्लड इश्यू की स्पष्ट नीति बनाये और इसे सार्वजनिक करे, बिना रिप्लेसमेंट ब्लड इश्यू की पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता और भ्रष्टाचार की आशंका न रहे, ब्लड बैंक की ऑडिट करायी जाये, जिससे यह स्पष्ट हो कि कहीं किसी प्रकार की अनियमित बिक्री या ब्लैक मार्केटिंग तो नहीं हो रही, पैरवी के नाम पर ब्लड इश्यू की प्रक्रिया की जांच हो, ताकि कोई रैकेट संचालित न हो रहा हो. क्या कहते हैं अधिकारी अगर एक ही मरीज को एक महीने के अंदर सात यूनिट ब्लड नि:शुल्क उपलब्ध कराया गया है, तो यह गलत है. इसकी जांच होनी चाहिए. डॉ चंद्रशेखर आजाद, प्रभारी सिविल सर्जन

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