अरवल. 25 मई से रोहिणी नक्षत्र का शुरुआत हो चुका है. किसान इसी खेतों में धान का बीज डालने के लिए खेत तैयार करने के साथ ही खरीफ फसल की खेती के लिए किसान तैयारी में जुटे हुए हैं, लेकिन क्षेत्र की नहरों में अब तक पानी नहीं आया. जिससे किसानों के चेहरे मायूस हैं. रोहिणी नक्षत्र चढ़ने को लेकर बिचड़ा डालने के लिए किसान खेत में मोटर या डीजल पंप से सिंचाई कर रहे हैं. इस नक्षत्र में धान का बिचड़ा डालने के लिए खेतों की जोताई पहले ही किसान कर चुके हैं. अच्छी खेती के लिए यह नक्षत्र किसानों के लिए वरदान माना जाता है. इस नक्षत्र में डाले गये बीज से अच्छी खेती के आसार बने रहते हैं. इस लिहाज से किसान खेती-बाड़ी के लिए खेतों की जोताई के बाद बिचड़ा डालने के लिए जुट गये है. यह नक्षत्र 15 दिनों का होता हैं. आठ जून को समाप्त हो गया. इसके बाद मृगशिरा नक्षत्र शुरू होगा. जिले में धान की खेती 44 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि में किसान करते हैं. इसके चलते रोहिणी नक्षत्र में धान का बिचड़ा तैयार करने का काम शुरू कर दिया जाता है. लेकिन, पानी की कमी के चलते अधिसंख्य किसान रोहिणी नक्षत्र में धान का बीज डालने से वंचित रह जाते हैं. बारिश होने के बाद ही बीज डाल पाते हैं. इस समय जिनके पास बोरिंग या सबमर्सिबल की व्यवस्था है, उन्हीं किसानों द्वारा धान का बीज डाला जा रहा है. धान की खेती करने के लिए किसान मोटर मशीन और अपने ट्रैक्टर की मरम्मत भी करा रहे हैं.
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