जहानाबाद. नगर परिषद क्षेत्र के विकास के लिए शहर के लोग तरस रहे हैं लेकिन शहर के विकास के प्रयास की जगह नगर परिषद में आपसी खींचातानी और एक दूसरे को नीचा दिखाने का प्रयास चल रहा है. नये नगर परिषद बोर्ड के गठन को लगभग ढाई वर्ष हो चुके हैं, बावजूद इसके नगर परिषद क्षेत्र में कहीं भी विकास दिखाई नहीं देता है. नगर परिषद के बोर्ड की बैठक बार-बार स्थगित हो रही है. हाल यह है कि पिछले वर्ष 2 दिसंबर को हुई नगर परिषद बोर्ड की बैठक की प्रोसीडिंग आज तक नहीं लिखी गयी है. दिसंबर के बाद अगली बोर्ड की बैठक में नगर परिषद के मुख्य पार्षद और कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा अलग-अलग प्रोसिडिंग लिखी गयी जिसमें एक दूसरे की प्रोसेसिंग पर किसी ने हस्ताक्षर नहीं किये. दोनों ओर से एक दूसरे पर गलत प्रोसिडिंग लिखने का आरोप लगाया जा रहा है. बोर्ड की बैठक पर जब तक मुख्य पार्षद और कार्यपालक पदाधिकारी के साथ-साथ पार्षदों की हस्ताक्षर नहीं होंगे तब तक प्रोसीडिंग्स सही नहीं मानी जायेगी और अगली बैठक में उसकी संपुष्टि नहीं हो सकेगी. यही कारण है कि दिसंबर के बाद अगली बैठक बगैर किसी नतीजे या संपुष्टि के स्थगित हो गई. हाल यह है कि दिसंबर की बैठक की संपुष्टि आज तक नहीं हो सकी है जिसके कारण अगली बैठक होना संभव ही नहीं है. एक तो बोर्ड की बैठक के प्रति माह नहीं करायी जाती है. जब कभी बोर्ड की बैठक होती है तो उसमें विकास के चर्चा कम आरोप प्रत्यारोप और हंगामा ज्यादा होता है. आरोप प्रत्यारोप तो लोकतंत्र का हिस्सा है. पिछले 29 अप्रैल को जहानाबाद नगर परिषद की बोर्ड की बैठक में जो कुछ हुआ उस पर पूरे शहरवासी ऐसे नगर परिषद क्षेत्र में होने पर शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं किंतु जन प्रतिनिधियों पर इसका कोई असर नहीं है. नए बोर्ड के गठन के बाद से नगर परिषद क्षेत्र में विकास नगण्य है किंतु गुटबाज़ी जी और राजनीति अपने चरम पर है. शहर में चारों ओर गंदगी फैली हुई है. नालियां बजबजा रही हैं. जगह-जगह कूड़े के ढेर पड़े हैं. कई वार्डों में आने जाने लायक रास्ता नहीं है. नाली का पानी सड़क और गलियों में बह रहा है. एनजीटी की बैठक और डीएम के निर्देश के बावजूद शहरी क्षेत्र में नदियों में कूड़े का अंबार लगा है. नगर परिषद के ज्यादातर वार्डों के अधिकांश क्षेत्र में अंधेरा छाया रहता है. एलईडी लाइट लगाने और उसकी मरम्मत के लिए कई बैठक में हंगामा हो चुका है बावजूद इसके स्थिति जस की तस बनी है. आज तक नगर परिषद के द्वारा डंपिंग जोन नहीं बनाया जा सका. आज भी कूड़ा इधर-उधर सड़क किनारे फेंका जा रहा है. भागीरथबिगहा में शहरी आबादी के बीच छोटी सी जगह में पूर्व के डंपिंग जोन में लोगों की विरोध के बाद कूड़े की डंपिंग तो बंद हो गई, लेकिन उसका उठाव आज तक नहीं हो सका.
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