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Jehanabad : भ्रष्टाचार के खिलाफ जनप्रतिनिधियों ने मनरेगा कार्यालय में जड़ा ताला

मनरेगा कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने सोमवार को करीब 11 बजे मनरेगा कार्यालय के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया. इस मौके पर जनप्रतिनिधियों ने नारेबाजी करते हुए कार्यक्रम पदाधिकारी के कार्य शैली के विरुद्ध कहा कि मनरेगा योजना की स्वीकृति व प्राक्कलन बनाने के नाम पर 10 प्रतिशत कमीशन लिया जाता है.

कलेर

. मनरेगा कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने सोमवार को करीब 11 बजे मनरेगा कार्यालय के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया. इस मौके पर जनप्रतिनिधियों ने नारेबाजी करते हुए कार्यक्रम पदाधिकारी के कार्य शैली के विरुद्ध कहा कि मनरेगा योजना की स्वीकृति व प्राक्कलन बनाने के नाम पर 10 प्रतिशत कमीशन लिया जाता है. इस अवसर पर पंसस, मुखिया, वार्ड सदस्य जैसे दो दर्जन त्रिस्तरीय जनप्रतिनिधियों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि बगैर चढ़ावा दिये मनरेगा कार्यालय में कोई भी काम नहीं किया जा रहा है. यही नहीं मनरेगा योजनाओं की स्वीकृति एवं मानव कार्य दिवस में लगातार कटौती किया जा रहा है. उनका कहना था कि मनरेगा में मानव कार्य दिवस का सृजन नहीं किया जा रहा है तथा प्राक्कलन की स्वीकृति के नाम पर पूर्ण तरह कमीशन खोरी हावी है. प्रोग्राम पदाधिकारी की मनमानी से कार्यालय में मौजूद कर्मचारी, जनप्रतिनिधियों पर हावी हैं जो किसी भी कार्य को लेकर मुखिया सहित अन्य जनप्रतिनिधियों को पैसा नहीं देने पर फाइल को लटका देते हैं. वहीं मनरेगा द्वारा पुरानी योजनाओं को कमीशनखोरी को लेकर बाधा पहुंचाया जा रहा है. ऐसी स्थिति में जनप्रतिनिधि जनता के समक्ष विवश हो गये हैं. जनता ने जिस काम के लिए जनप्रतिनिधियों को चुना है, उस पर मनरेगा कार्यालय के कर्मचारियों ने पूरी तरह जकड़ लिया है. ऐसी अवस्था में अधिकारियों से मांग किया है कि यथाशीघ्र मनरेगा कार्यालय के गतिविधियों का जांच किया जाए. उन्होंने कहा कि कर्मचारी बेलगाम हो गये हैं और कमीशन खाने के लिए अलग से बिचौलियों को रखते हैं और उन्हीं के माध्यम से कमीशन लिया जाता है. इस मौके पर कार्यालय में स्थानीय डाटा ऑपरेटर से लेकर तकनीकी सहायक पर त्रिस्तरीय जनप्रतिनिधियों ने कई आरोप लगाया और कहा कि प्रोग्राम पदाधिकारी के सहयोग से कार्यालय में वृहद पैमाने पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है. दूसरी तरफ कार्यक्रम पदाधिकारी मौन है. नतीजा है कि मजदूरों को रोजगार देने वाला कार्यालय खुद मजदूरों से पैसा उगाही करने का अड्डा बन गया है.

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