Bihar: जहानाबाद के मखदुमपुर प्रखंड में बराबर पहाड़ी स्थित है. यह भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे पुरानी चट्टानों से निर्मित गुफाओं का घर है. जिला मुख्यालय से सिर्फ 25 किलोमीटर दूर स्थित यह स्थल वास्तुकला का अद्भुत नजारा प्रस्तुत करता है.
साधुओं के लिए बनी थी गुफा
मिली जानकारी के अनुसार इन गुफाओं का निर्माण सम्राट अशोक के शासनकाल (273-232 ईसा पूर्व) और उनके उत्तराधिकारी दशरथ के समय में तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में किया गया था. कहा जाता है कि ये गुफाएं मूल रूप से आजीवक संप्रदाय के साधुओं के लिए बनाई गई थीं. वह उस समय का एक प्रभावशाली धार्मिक समुदाय था.
बराबर पहाड़ी की 4 मुख्य गुफाएं
यहां बराबर पहाड़ी में कुल 4 मुख्य गुफाएं स्थित हैं. जिनमें कर्णचौपर, लोमस ऋषि, सुदामा और विश्वज्योति शामिल हैं. इनमें से सुदामा और लोमस ऋषि गुफाएं वास्तुकला की दृष्टि से विशेष महत्व रखती है. वहीं, लोमस ऋषि गुफा का द्वार स्तूप और चैत्य शैली में निर्मित है. यही बाद में बौद्ध वास्तुकला का आधार बन गया.
आईने की तरह चमकती हैं भीतरी दीवारें
सबसे खास बात यह है कि इन गुफाओं की दीवारें बहुत ही चिकनी है. इसके अंदर का भाग रिफाइंड पॉलिश किया हुआ है. कहते हैं कि यह मौर्यकालीन पत्थर की पॉलिशिंग तकनीक का बेहतरीन उदाहरण है. इस तकनीक की वजह से गुफाओं की भीतरी दीवारें आईने की तरह चमकती हैं और यहां आवाजें गूंजती रहती हैं. यही वजह है कि ये गुफाएं साधना के लिए उपयुक्त स्थान थी.
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तेजी से हो रहा विकास
प्राप्त जानकारी के अनुसार बराबर का क्षेत्र भगवान शिव के लिए भी प्रसिद्ध है. वर्तमान में यहां विकास कार्य बहुत ही तेजी से हो रहा है. इसकी वजह से स्थल का पर्यटन महत्व भी बढ़ रहा है. ये गुफाएं न सिर्फ भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती हैं, बल्कि मौर्यकालीन कौशल का भी जीवंत प्रमाण हैं.
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