गोरौल : आज पानी के लिए हर जगह हाहाकार मचा हुआ है. नदी-नाले सूख रहे हैं. क्षेत्र में दर्जनों तालाब हैं, जिनमें एक बूंद भी पानी नहीं है. वहीं कई गांवों के लोगों व किसानों के लिए जीवनदायिनी मानी जाने वाली वाया नदी भी सूखी पड़ी हुई है.
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सूख गयी वाया नदी, किसान व पशु-पक्षी परेशान
गोरौल : आज पानी के लिए हर जगह हाहाकार मचा हुआ है. नदी-नाले सूख रहे हैं. क्षेत्र में दर्जनों तालाब हैं, जिनमें एक बूंद भी पानी नहीं है. वहीं कई गांवों के लोगों व किसानों के लिए जीवनदायिनी मानी जाने वाली वाया नदी भी सूखी पड़ी हुई है. इसकी वजह से पशु-पक्षी तो बेहाल हैं […]
इसकी वजह से पशु-पक्षी तो बेहाल हैं ही, किसानों के समक्ष भी सिंचाई की बड़ी समस्या उत्पन्न हो गयी है. वहीं नदी सूखने का सीधा असर इसके आसपास के इलाके के भू-जल स्तर पर पड़ा है. भू-जल स्तर काफी नीचे चला गया है जिसकी वजह से कई इलाके के लोग भीषण जलसंकट का सामना कर रहे हैं.
नेपाल से निकलकर भैंसा लोटन होते हुए बिहार के कई जिलों से होकर गुजरने वाली यह नदी गोरौल प्रखंड के कटरमाला, रुसुलपुर तुर्की होती हुई महुआ प्रखंड की ओर आगे बढ़ती है. कभी इस नदी में सालों भर पानी भरा रहता था. उस वक्त न तो किसानों को सिंचाई करने में कोई परेशानी होती थी और न ही पशु-पक्षी के लिए ही पानी की कमी होती थी.
भू-जल स्तर भी सालों भर बरकरार रहता था. लोक आस्था के महापर्व छठ के दौरान हजारों छठ व्रती वाया नदी के किनारे भगवान सूर्य की उपासना करती थी, लेकिन आज यह नदी अपने अस्तित्व बचाने को जूझ रही है. कटरमाला पंचायत की मुखिया जानकी देवी बताती हैं कि पहले इस नदी में काफी पानी रहता था जिससे किसान सिंचाई भी करते थे और अपने पशुओं को स्नान कराया करते थे, लेकिन अब यह नदी बिल्कुल सूख चुकी है.
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