सोनो. प्रखंड मुख्यालय सोनो में स्थित पशु अस्पताल हाथी का दांत साबित हो रहा है. प्रायः बंद रहने वाला यह अस्पताल बदहाली की मिसाल बन चुका है. सरकारी उदासीनता और उपेक्षा का दंश झेल रहे इस अस्पताल में न डॉक्टर है न दवा है. करोड़ों की लागत से बने अस्पताल भवन में धूल की मोटी परत बैठ गयी है. प्रखंड के तीन पशु अस्पतालों पैरा मटिहाना, महेश्वरी और सोनो में केवल पैरा मटिहाना में एकमात्र चिकित्सक कार्यरत हैं. इन पर एक लाख मवेशियों की स्वास्थ्य के देखरेख की जिम्मेदारी है. सोनो मुख्यालय के पशु अस्पताल के यूं बंद रहने से पशु पलकों को बड़ी परेशानी हो रही है. प्रतिनियोजन कर हफ्ते में दो दिन डॉक्टर भेजने का ढोंग रचा जाता है. सरकारी आंकड़ों में टीकाकरण अभियान चलता जरूर है लेकिन ज़मीनी सच्चाई इससे अलग है. पशुओं को समय पर टीके नहीं लग पाते है. पशु के अस्वस्थ होने पर पशुपालकों को मजबूरी में प्राइवेट डॉक्टरों के पास जाना पड़ता है. कई बार तो इलाज के अभाव में मवेशी दम तोड़ देते है. स्थानीय कई पशुपालकों ने विभागीय अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री सचिवालय तक गुहार लगा चुके हैं मगर कोई फायदा नहीं हुआ. जवाबदेही कहीं नहीं दिखती. वहीं पैरा मटिहाना में पदस्थापित पशु चिकित्सक डॉ श्यामशंकर प्रसाद कहते है कि सप्ताह में दो दिन मंगलवार और शनिवार को सोनो में मैं उपलब्ध रहता हूं. बाकी दिन पैरा मटिहाना में रहता हूं. पशुपालक पैरा मटिहाना भी आ सकते हैं.
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