जमुई . इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त को श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया जायेगा. आचार्य पंडित शत्रुघ्न झा ने बताया कि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इसी दिन भक्तजन उपवास रखते हैं और रात्रि 12 बजे भगवान का जन्मोत्सव मनाकर व्रत का पारण करते हैं. आचार्य शत्रुघ्न झा ने बताया कि 16 अगस्त को अष्टमी तिथि सुबह 09:35 बजे से शुरू होकर 17 अगस्त को सुबह 10:40 बजे तक रहेगी. निशीथ काल का समय रात 11:55 बजे से 12:40 बजे तक है. इसमें श्रीकृष्ण जन्म पूजन श्रेष्ठ माना गया है. उन्होंने कहा कि पूजा से पहले घर और मंदिर को साफ कर सजाएं, कलश स्थापना करें, भगवान को स्नान कराएं, नए वस्त्र पहनाएं और माखन-मिश्री का भोग लगाएं. पंडित झा ने बताया कि यह पर्व धर्म की अधर्म पर विजय और सत्य की स्थापना का प्रतीक है. भगवान कृष्ण के जीवन से हमें धर्म पालन, कर्तव्य और भक्ति का संदेश मिलता है. इस दिन व्रत-पूजन से घर में सुख-समृद्धि आती है और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं. उन्होंने कहा कि धार्मिक मान्यता के अनुसार, मथुरा के कारागार में देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र के रूप में कृष्ण का जन्म हुआ. कंस के अत्याचार से बचाने के लिए वासुदेव उन्हें गोकुल में नंद-यशोदा के घर छोड़ आए. यहीं उनका पालन-पोषण हुआ और बाद में उन्होंने कंस का वध कर मथुरा को अत्याचार से मुक्त किया. आचार्य झा ने बताया कि जन्माष्टमी का व्रत रखने से जीवन में आनंद, शांति और समृद्धि आती है. यह व्रत व्यक्ति को पापों से मुक्त करता है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है. भक्त को भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे उसके सभी कार्य सिद्ध होते हैं और परिवार में खुशहाली बनी रहती है.
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