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जिले के दो बड़े राजनीतिक घराने की नहीं बची सीट, नहीं काम आया कोई भी रणनीति

Bihar Assembly 2025 News: 2025 के विधानसभा चुनाव में यह दोनों घराने अब जमुई के राजनीतिक पटल पर पूर्व के ही कहे जाएंगे.

जमुई. एक वक्त था जब बिहार की राजनीति में जमुई के दो घरानों का नाम हमेशा चर्चा में रहता था. चाहे राष्ट्रीय जनता दल की सरकार हो या एनडीए की सरकार हो, इन दोनों घरानों की सहभागिता सरकार में होती ही थी. लेकिन 2025 के विधानसभा चुनाव में यह दोनों घराने अब जमुई के राजनीतिक पटल पर पूर्व के ही कहे जाएंगे. दरअसल जमुई जिले के सभी चार विधानसभा सीटों पर शुक्रवार को जो परिणाम आया, उसमें जमुई के दो बड़े घराने अपनी सीट बचाने में नाकामयाब रहे. जबकि दो और घराने अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे. गौरतलब है कि जमुई में कभी राजद के केंद्रीय मंत्री रहे जयप्रकाश नारायण यादव का ऐसा बोलबाला था कि उन्हें लालू यादव के सबसे करीबी नेताओं में से एक माना जाता था. उनके भाई विजय प्रकाश यादव भी बिहार सरकार में मंत्री रहे जयप्रकाश यादव बांका से सांसद भी रहे और केंद्रीय मंत्री भी रहे. लेकिन इस बार झाझा विधानसभा सीट से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. कुछ यही हाल बिहार के कद्दावर नेताओं में से एक तथा नीतीश कुमार के करीबी कहे जाने वाले दिवंगत पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह का भी था. नरेंद्र सिंह खुद तो बिहार सरकार के मंत्री थे ही, उनके तीन बेटे जमुई जिले के अलग-अलग विधानसभा सीट से विधायक रहे. उनके दिवंगत पुत्र अभय सिंह चकाई और जमुई से विधायक रहे. उनके दूसरे पुत्र अजय प्रताप जमुई से विधायक रहे, तो उनके तीसरे पुत्र सुमित कुमार सिंह चकाई से लगातार विधायक रहे और नीतीश कुमार की पिछली मौजूदा सरकार में मंत्री भी थे. लेकिन सुमित सिंह इस चुनाव में अपनी सीट नहीं बचा पाए और अब इन दोनों परिवारों में से कोई भी बिहार की राजनीति में अपनी जगह नहीं बचा सका है. श्रेयसी सिंह ने बचाई अपनी सीट, दामोदर भी जीते एक तरफ जहां जयप्रकाश नारायण यादव और सुमित कुमार सिंह अपनी सीट नहीं बचा सके तो वहीं दूसरी तरफ जमुई के दो और राजनीतिक परिवार से आने वाले दामोदर रावत और श्रेयसी सिंह अपनी सीट बचा पाने में कामयाब रहे. दामोदर रावत ने झाझा विधानसभा सीट से जयप्रकाश नारायण को हराया तो श्रेयसी सिंह ने जमुई विधानसभा सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी आरजेडी प्रत्याशी मो. शमशाद आलम को पराजित किया. श्रेयसी सिंह के पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. दिग्विजय सिंह के बाद उनकी पत्नी पुतुल देवी भी राजनीति में आई और वह बांका से सांसद भी रही. माता-पिता की राह पर चलते हुए श्रेयसी सिंह ने वर्ष 2020 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और उसे चुनाव में उन्हें भारी मतों से जीत मिली थी और अपने इस प्रदर्शन को दोहराते हुए श्रेयसी ने एक बार फिर से अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखा है. तो वही नीतीश कुमार के करीबी कहे जाने वाले पूर्व मंत्री दामोदर रावत लगातार छठी बार झाझा से विधायक बने हैं. दामोदर रावत भी अपनी सीट बचा पाने में कामयाब हो गए.

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